Thursday, June 19, 2025
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हाईकमान का फरमान: दूसरी पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन बर्दाश्त नहीं

  • दूसरों की कुर्सी बचाने को अपनी कुर्सी कुर्बान न कर देना, चुनाव परिणाम के बाद होगी समीक्षा
  • जिन्होंने टिकट पाने को बदली अपनी पार्टी, उनकी सूची तैयार, वोट देने में पाला बदलने की सूची का इंतजार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निकाय चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन करने के लिये विभिन्न पार्टियों के दिग्गज नेता एवं संगठन पूरी तकत झोंके हुये हैं। उसमें बूथ प्रभारी से लेकर पार्टी हाईकमान तक सभी 10 मई बुधवार को अलर्ट मोड़ पर रहे। बूथ स्थर से लेकर संगठन के लखनऊ एवं दिल्ली में बैठे अधिकारी मतदान में वोटरों को अपने पक्ष में कैसे किया जाये उस पर रातभर मंथन करते रहे।

ऐसा किसी विशेष पार्टी के द्वारा नहीं बल्कि बड़ी पार्टियों के द्वारा पूरी तरह से निकाय चुनाव पर नजर गढ़ाई हुई हैं कि उनकी ही पार्टी का प्रत्याशी जीतना चाहिए उसके लिये कोई भी जतन क्यों न करना पडेÞ। कुछ प्रत्यासियों ने टिकट वितरण के दौरान पाला बदल लिया, लेकिन कुछ मजबूरी वस पार्टी में तो दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर अपनी पार्टी के प्रत्याशी को हराने एवं दूसरी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिये अंदर ही अंदर जुटे हुये हैं।

सूत्रों की माने तो ऐसे भीतर घातियों से पार्टी संगठन के बडेÞ नेताओं ने संपर्क साधकर चेतावनी दी है कि यदि पार्टी के विरोध में मतदान कराकर दूसरी पार्टी के प्रत्याशी की कुर्सी तो बचा सकते हो, लेकिन जो उन्हे संगठन में पद मिला है, वह पद गंवाकर कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।

लोकसभा का चुनाव हो या फिर विधान सभा का सभी चुनाव परिणाम के बाद पार्टी हार जीत के कारणों की समीक्षा करती है। जिसने पार्टी में बेहतर कार्य किया उसको संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है। जिसने पार्टी संगठन के विरोध में कार्य किया उसका पार्टी में या तो कद कम कर दिया जाता है या उसे संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

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इसमें नगर निकाय चुनाव में भी पार्टियां संगठन में मेहनत से कार्य करने वाले एवं पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं पर नजर बनाए हुये हैं। ऐसे ही कुछ भितर घातियों के खिलाफ संगठन के द्वारा बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। पार्टी सूत्रों की माने तो समीक्षा में संगठन के बडे पदाधिकारी से लेकर बूथ अध्यक्ष तक को शामिल किया गया है कि बूथ पर उनका कार्य पार्टी के प्रति कैसा दिखाई देता है।

चुनाव में जैसी उनकी भूमिका होगी वैसे ही उनका पार्टी में कद बढ़ेगा या घटेगा। नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस पार्टी एवं आजाद समाज पार्टी समेत विभिन्न पार्टियों ने चुनाव मैदान में अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। जिसमें कुछ का टिकट देने पर विरोध हुआ तो कुछ का समर्थन हुआ। अब जिन प्रत्यासियों को चुनाव मैदान में उतारा है।

अब उन्हे जितवाना भी पार्टी हाईकमान की जिम्मेदारी बन गया है। जिन्हे टिकट नहीं मिला या उनके समर्थक कुछ पार्टियों के लिये गले की फांस बने हुये हैं। पार्टी को खतरा सता रहा है कि कहीं वह अंधर ही अंदर भितरघात न कर दें। उसके लिये अधिकतर पार्टी के संगठन के बड़े पदाधिकारी संपर्क बनाए हुये हैं। साथ ही उन्हे मतदान से पूर्व मनाने का भरसक प्रयास जारी रहा,

लेकिन यदि मतगणना के दौरान परिणाम अपनेक्षा के विपरीत आए तो ऐसी स्थिति में पार्टी हाईकमान के द्वारा पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई है कि कहीं दूसरों की कुर्सी बचाने के चक्कर में संगठन में मिले पद की कुर्सी को गंवा न बैठना। पार्टी हाईकमान के इस फरमान के बाद पार्टी के लिये गले की फांस बने कुछ संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता पसोपेश की स्थिति में है।

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