Saturday, July 27, 2024
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मोदी कपड़ा मिल की लीज भूमि को बेचने पर हाईकोर्ट ने लगायी रोक

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  • भूमि की खरीद फरोख्त को लेकर तहसील प्रशासन के आदेश पर नोटिस जारी
  • भूमि पर कोठिया, काम्प्लैक्स बेचने वाले प्रबंधकों में मची खलबली

संजय तिवारी |

मोदीनगर: बंद पड़ी मोदी कपड़ा मिल से सबंधित लीज की भूमि बेचे जाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। विवाद के चलते इस लीज की बेची गयी भूमि का स्वरूप बदलने तथा बैनामे पर रोक लगाने के आदेश दिये हैं। जिसके तहत तहसील प्रशासन की ओर से मोदीनगर के सब रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया गया है। इस आदेश के बाद से अब मिल संबधित लीज की भूमि पर स्थित कोठियां, काम्प्लैक्स, मकान व खाली पड़ी काफी भूमि आदि की खरीद फरोख्त करने वालों में खलबली मच गयी है। मोदी स्पिनिंग मिल का फोटो।

बता दें कि पांच दशक पूर्व मोदी समूह को उद्योग लगाने के लिये व कार्यरत श्रमिकों व स्टाफ को रहने के लिये केंद्र व प्रदेश सरकार की हाउसिंग सब्सिडी स्कीम के तहत लीज पर भूमि आंवटित हुई थी। जिसमें मोदी शुगर मिल की ओर से वर्ष 1949 में मोदी स्पीनिंग एंड विविंग मिल्स को 111 बीघा पक्का भूमि आवंटित कर दी गयी थी। इस भूमि पर मिल की चार इकाईयां स्थपित हुईं, जो बंद पड़ी हैं। साथ ही लीज की इस भूमि पर सतीश पार्क, योगेंद्र पार्क, मोदी गलार्ड, पेट्रोल पंप, कामर्शियल काम्लैक्स सहित कई प्रतिष्ठान भी स्थापित हैं।

मिल बंद होने के बाद केंद्रीय वित्त बोर्ड के आदेशों को लेकर मोदी स्पिनिंग एंड विविंग मिल्स व उससे जुड़ी इकाइयों के प्रबंधतंत्र ने इस लीज भूमि पर बने आवासों, कामर्शियल व खाली भूमि को बेचना शुरू कर दिया। जिसमें मोदी घराने के डीके मोदी की विशेष भूमिका सामने आई वहीं सतीश कुमार मोदी ने भी सम्पत्तियां बेचनी शुरू कर दी। जिसे लेकर पालिका के निर्वतमान चेयरमैन रामआसरे शर्मा ने ऐतराज उठाया और मामला सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष पहुंचा और शासन ने बंद मिल के स्क्रैप बेचे जाने से लेकर आवासों के विवादित प्रकरण पर रोक लगा दी। फिर लीज पर जिस जमीदार की भूमि अधिग्रहण करके दी गयी थी।

मेरठ में रह रहे इस भूमि के जमीदार भरत कुमार गुप्ता ने इस भूमि पर मालिकाना हक जताते हुये पहले जिला प्रशासन से लेकर शासन के आलाधिकारियों के समक्ष ऐतराज जताया और अपनी लीज की भूमि को खाली कराने के लिये गाजियाबाद के सिविल कोर्ट में रिट याचिका दायर की। जिस पर कोर्ट ने भरत गुप्ता की भूमि को वापिस करने के आदेश पारित किये। इस आदेश के विरूद्ध मोदी स्पिनिंग मिल का प्रबंधतंत्र ने वर्ष 2023 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट के न्यायधीश जेजे मुनीर ने 19 जनवरी को आदेश जारी करते हुये भूमि के स्थानांतरण किये जाने से लेकर कई मामलो में इस प्रकरण को विवादित बताते हुये भूमि को बेचने तथा उसके स्वरूप बदलने पर रोक के आदेश दिये हैं। साथ ही लीज की भूमि पर ऋण स्वीकृति पर भी रोक लगायी है। इस आदेश के आने के बाद से तहसील प्रशासन की ओर से रजिस्ट्रार को इस लीज की भूमि के बैनामे पर रोक लगाने के आदेश दिये हैं। भूमि को लेकर रजिस्ट्रार आफिस पर नोटिस भी चस्पा किया गया है।

इस आदेश के बाद से मोदी समूह प्रबंधतंत्र में खलबली मची है, साथ ही भूमि के कई खरीददार जो कि बैनामा करा चुके हैं या भूमि का सौदा कर कंपनी को करोड़ो रूपया दे चुके हैं अब उनके समक्ष बैनामा कराने का भी संकट आ गया है। सवाल यह है कि अब ऐसी भूमि के खरीददारों को मालिकाना हक मिल सकेगा या नही? इसे लेकर सैकड़ों लोगों के माथे पर सिकन व चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं।

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