- शोरूम बड़े, लेकिन पार्किंग की सुविधा नदारद ऐसे शोरूम को भेजे जाएंगे ध्वस्तीकरण के नोटिस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पार्किंग को लेकर हाईकोर्ट की फटकार लगने के बाद आखिर मंगलवार से एमडीए के सक्रिय दिखे। एमडीए उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी ने इंजीनियरों की टीम शहर में बड़े-बड़े शोरूम का सर्वे करने के लिए मैदान में उतार दी। यह सर्वे तीन दिन चलेगा, जिसमें पहले दिन गढ़ रोड पर सर्वे किया गया।
यहां बड़े-बड़े शोरूम बने हुए हैं, लेकिन उनके पास पार्किंग नहीं हैं। पार्किंग को लेकर उन्हें नोटिस भी थमाये जा रहे हैं, ताकि ऐसे शोरूम पर कार्रवाई की जा सके।
दरअसल, डीएम, एमडीए उपाध्यक्ष, नगरायुक्त को हाईकोर्ट ने शहर की पार्किंग को लेकर तलब किया था। हाईकोर्ट ने पार्किंग के मुद्दे पर अधिकारियों को खूब फटकार लगाई, जिसके बाद मंगलवार से ही हाईकोर्ट के आदेश का पालन एमडीए ने आरंभ करते हुए शहर में बड़े-बड़े शोरूम का सर्वे आरंभ कर दिया।
एमडीए की एक टीम ने पहले दिन गढ़ रोड पर शोरूम का सर्वे किया, जहां पर एमडीए की टीम ने शोरूम कितना बड़ा हैं, उसकी पार्किंग है या फिर नहीं? इसको नोट किया तथा साथ ही साथ जिन शोरूम में पास पार्किंग नहीं हैं, उनको नोटिस भी थमाये जा रहे हैं।
शोरूम तो बड़े हैं, लेकिन पार्किंग नहीं हैं, ऐसे शोरूम को ध्वस्तीकरण करने के लिए नोटिस भेजे जाएंगे। पार्किंग की व्यवस्था करना बेहद अनिवार्य होगा। अब बड़ा सवाल यह है कि जब शोरूम के पास पार्किंग नहीं है तो फिर बिल्डिंग का मानचित्र कैसे स्वीकृत कर दिया गया? इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
यह सर्वे तीन दिन चलेगा, जिसमें शोरूम मालिकों पर प्राधिकरण के नियमों की चाबुक चलेगी। इसकी तैयारी एमडीए ने आरंभ कर दी हैं। इसमें कोई रियायत नहीं होगी। क्योंकि एमडीए की हाईकोर्ट में पार्किंग के मुद्दे पर क्लास लग चुकी हैं। ऐसे में एमडीए पार्किंग के मुद्दे पर व्यापारियों की घेराबंदी करने जा रहा हैं। पार्किंग की शहर में सबसे बड़ी समस्या है।
पुरानी पर कार्रवाई, नई को खुली छुट
पुरानी बिल्डिंग तो पार्किंग के मामले में बड़ी समस्या बनी हुई है ही साथ ही नये बिल्डिंग जो निर्माणाधीन है, उनके पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। फिर भी उनके निर्माण चल रहे हैं। पीएल शर्मा रोड पर ई-पार्क है, जिसके पास कोई पार्किंग नहीं है। मानचित्र दो सौ गज में स्वीकृत हैं, लेकिन निर्माण तीन सौ वर्ग गज में कर दिया गया है।
इसी तरह से किंग बेकरी ने भी बड़ा निर्माण कर दिया है, इसके पास भी पार्किंग नहीं है। कागजों में दिखाने के लिए बेसमेंट को पार्किंग बताया जा रहा है, जहां पर बेकरी का काम चल रहा है। इसी तरह से कोपरेटिव बैंक चौराहे से पीएल शर्मा रोड पर जाने वाले मार्ग पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हो गया है, लेकिन उसके पास एक कार को पार्किंग करने की व्यवस्था नहीं है।
इसकी पार्किंग कहां होगी? यह एमडीए के अधिकारी बताने को तैयार नहीं है। इसमें आधा मानचित्र व्यवसायिक व आधा घेरलू स्वीकृत कर दिया गया है। इसमें भी खामियां ही खामियां हैं, मगर जब हाईकोर्ट की फटकार लगती है, तब एमडीए के अधिकारियों की आंखें खूलती है।
पीएल शर्मा रोड को लेकर भी एडवोकेट अशोक चौहान ने याचिका दायर की है, जिसमें अवैध निर्माण को मुद्दा बनाया गया है। इसमें पार्किंग की समस्या भी प्रमुखता से रखी गई हैं। अब हाईकोर्ट में पीएल शर्मा रोड को लेकर सुनवाई होती है तो एमडीए अधिकारियों की भी गर्दन फंस सकती है।