Saturday, April 20, 2024
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नहीं है बजट, प्रोजेक्ट रिजेक्ट

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  • बिजली-बंबा बाइपास का नहीं होगा चौड़ीकरण, 100 करोड़ का नहीं है पीडब्ल्यूडी पर बजट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बिजली बंबा बाइपास का चौड़ीकरण नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट को सरकार ने रिजेक्ट कर दिया है। चौड़ीकरण प्रोजेक्ट पर 100 करोड़ रुपये खर्च होने वाले थे, जिसके लिए सरकार ने बजट नहीं होना बताकर हाथ खींच लिये हैं। हाल ही में कमिश्नर सुरेन्द्र कुमार ने बैठक ली थी, जिसमें बिजली बंबा बाइपास चौड़ीकरण को लेकर मुद्दा उठा था।

इसका प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए भी कहा गया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने इसका जो प्रोजेक्ट तैयार किया था, उसे सरकार ने यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया है कि चौड़ीकरण के लिए बजट नहीं है। फिर एनएचएआई दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे व इनर रिंग रोड को आपस में जोड़ेगी, इसी से हापुड़ रोड की कक्निटिविटी की जाएगी।

अब बिजली बंबा बाइपास चौड़ीकरण पर सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करने के कतई मूड में नहीं है।
दरसअल, लंबे समय से बिजली बंबा बाइपास चौड़ीकरण की फाइल फुटबाल बन गई है। सबसे पहले इसके चौड़ीकरण का प्रस्ताव एमडीए ने तैयार किया था।

एमडीए ने चौड़ीकरण के साथ-साथ रेलवे लाइन पर ओवर ब्रिज की प्लानिंग की थी, जिसकी आठ वर्ष पहले प्लानिंग हुई, लेकिन धरातल पर योजना नहीं उतर पायी।

बीच में एमडीए ने बिजली बंबा बाइपास प्रोजेक्ट को लेकर हाथ खड़े कर दिये थे। बाद में यह प्रोजेक्ट पीडब्ल्यूडी के पास पहुंच गया था।

पीडब्ल्यूडी ने चौड़ीकरण का प्लान बनाया, जो 100 करोड़ अनुमानित लागत आकी गई थी। यह फाइल तैयार कर शासन को भेजी गयी, लेकिन शासन स्तर से इसको लेकर बजट नहीं होने की बात कहते हुए हाथ खड़े कर दिये हैं।

अब यह साफ हो गया कि बिजली बंबा बाइपास का चौड़ीकरण नहीं होगा। वैसे इस रोड पर सर्वाधिक ट्रैफिक रहता हैं, लेकिन फिर भी सरकार ने इसको तव्वजो नहीं दी।

कमजोर प्लानिंग का नमूना रेलवे लाइन पर बना ब्रिज

इसे कमजोर प्लानिंग का एक नमूना ही कहा जाएगा कि बिजली बंबा बाइपास पर रेलवे लाइन पर रेलवे ने तो ब्रिज तैयार कर दिया, लेकिन उसके लिए एप्रोच रोड एमडीए आठ वर्ष के लंबे समय बाद भी नहीं बना पाया। यही नहीं, एमडीए जमीन का अधिग्रहण तक नहीं कर पाया।

यही वजह है कि रेलवे ने इस पर बड़ी धनराशि खर्च कर अपने पार्ट का ब्रिज का कार्य पूर्ण कर दिया, लेकिन एमडीए अपनी जिम्मेदारी ही नहीं निभा पाया।

यह अधिकारियों की लापरवाही का नमूना हैं, जो अधिकारियों को याद दिलाता रहेगा। इसमें किसी अधिकारी के खिलाफ शासन स्तर से कार्रवाई होनी चाहिए थी, जो नहीं की गई।

क्योंकि अफसरों की लापरवाही के चलते रेलवे ने तो पैसे खर्च कर दिये, लेकिन एमडीए ने ओवर ब्रिज को लेकर जग हसाई करा दी। अफसरों की कमजोर प्लानिंग की लापरवाही का यह अधूरा ब्रिज एक नमूना हैं।

कांवड़ मार्ग: एनओसी के लिए फाइनल स्टेज में फाइल

कांवड़ मार्ग की फाइल एनओसी के लिए फाइनल स्टेज पर है। कभी भी वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।

पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संदीप कुमार ने कहा कि निर्माण आरंभ करने और पेड़ शिफ्ट करने की पूरी प्लानिंग कर ली है। जैसे ही फाइनल एनओसी पीडब्ल्यूडी को मिलेगी, तभी काम आरंभ कर दिया जाएगा।

करीब एक लाख से अधिक पेड़ हैं, जिसमें से 50 हजार पेड़ शिफ्ट कर दिये जाएंगे। इसकी प्लानिंग भी पीडब्ल्यूडी ने तैयार कर ली है। यूपी सरकार का कावड़ मार्ग का बिग प्रोजेक्ट है, जिसके लिए सरकार ने धनराशि भी स्वीकृत कर रखी हैं, लेकिन इसमें अड़चन सिर्फ वन विभाग की एनओसी की है।

छह पायदान इस प्रोजेक्ट की फाइल पार कर अब फाइनल पायदान पर पहुंच गई है। कब इसको एनओसी मिलती है, तभी काम आरंभ किया जा सकता है।

मुरादनगर नहर से लेकर मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड बॉर्डर तक यूपी सरकार साढ़े नौ मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण करेगा। इस निर्माण कोलेकर तेजी से काम चलेगा।

इसकी पूरी प्लानिंग की गई है, सिर्फ एनओसी मिलने का इंतजार पीडब्ल्यूडी के अधिकारी कर रहे हैं। बताया गया कि गंगनहर की तरफ नौ मीटर जगह छोड़कर सड़क का निर्माण किया जाएगा। ग्रीन बेल्ट में खड़े पेड़ काटे जाएंगे या फिर उन्हें शिफ्ट किया जाएगा।

1.10 लाख पेड़ पीडब्ल्यूडी ने सर्वे कर बताया कि ये पेड़ कटेंगे। इस तरह से कुछ संस्थाएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने पेड़ काटने का विरोध कर दिया है। चिपको आंदोलन भी पिछले दिनों चलाया था। अब देखना यह है कि कितने पेड़ पीडब्ल्यूडी शिफ्ट करता है।

गंगा में गाइड बंद नहीं होने से सड़क का हुआ कटाव

भीकुंड-इकवारा के बीच गंगा पर तैयार हुए ब्रिज पर वाहन तो फर्राटा भर रहे हैं, लेकिन अगला जो खतरा सड़क को पैदा हुआ है, वह शायद किसी को दिखाई नही देता। पुल को जोड़ने वाली एप्रोच रोड तो पीडब्लयूडी ने बना दी, लेकिन एप्रोच रोड के लिए गाइड बंद नहीं किया।

गाइड बंद नहीं होने से दिक्कत यह हो गयी है कि बारिश के चलते गंगा में पानी बढ़ा तो सड़क का कटवा भी हुआ। इससे पीडब्ल्यूडी के आला अफसर भी घबरा गए, क्योंकि यह कटाव बढ़ा तो भविष्य में पूरी सड़क पानी में बह जाएगी, जिसके बाद करोड़ों का नुकसान संभव है।

हाल ही में गाइड बंद करने से पहले शासन स्तर से कुछ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दौरा किया था, जिसमें कहा गया था कि गाइड बंद बेहद आवश्यक हैं, लेकिन इस पुल का बजट आठ बार रिवाइज हो चुका हैं,जिसको लेकर टीएसी जांच भी हो चुकी हैं।

वर्तमान में विजिलेंस जांच चल रही है। कटाव होने से बड़ा नुकसान पीडब्ल्यूडी का होगा, इसके लिए अभी तक कोई तैयारी पीडब्ल्यूडी ने नहीं की हैं।

सिर्फ यह इंतजार किया जा रहा है कि शासन कब गाइड बंद की स्वीकृति देगा, तब जाकर एप्रोच रोड की गाइड बंद की जाएगी, जिसके बाद ही पानी को कटाव करने से रोका जा सकता है।

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