शैली माथुर
भागदौड़ के इस युग में सभी माता-पिता बच्चों के प्रति चिंताग्रस्त रहते हैं कि उनके बच्चे का पढ़ने में मन नहीं लगता। ये बातें ज्यादातर पांच साल से दस साल की उम्र वाले बच्चों में ही होती हैं। एक ओर माता-पिता इस समस्या को लेकर परेशान हैं तो दूसरी ओर शिक्षक भी इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि बच्चे जो स्कूल में पढ़ाया जाता है, उसे याद नहीं करते। इस समस्या के कारण माता पिता बच्चों को लेकर बहुत तनावपूर्ण व चिंताग्रस्त रहते हैं। यह समस्या कई परिस्थितियों के कारण होती हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सभी बच्चों की समझ तकरीबन एक जैसी ही होती है। बच्चों का पढ़ाई में पिछड़ने का कारण मुख्यत: अभिभावकों व स्कूल, दोनों की लापरवाही से होता है।
माता-पिता को बच्चों को स्कूल भेजने की अत्यंत जल्दी रहती है। आजकल सभी माता पिता पब्लिक स्कूल में ही अपने बच्चे को पढ़ाना चाहते हैं। जब बच्चा पहली बार घर के वातावरण से बाहर निकलता है तो उसे अपनी भाषा के बजाय दूसरी भाषा का प्रयोग करना पड़ता है जिससे उसके दिमाग पर काफी जोर पड़ता है और उसमें पढ़ाई के प्रति अरुचि उत्पन्न हो जाती है। बच्चे का आत्मविश्वास घटने लगता है।
इस समस्या से बच्चे को बचाने का एकमात्र उपाय यही है कि प्राथमिक शिक्षा बच्चे को उसकी अपनी भाषा में मिले। अभिभावकों व अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चे पर अंग्रेजी नहीं थोपें वरन् बच्चे को छोटे-छोटे शब्दों का ज्ञान दें।
बच्चों में अध्यापक के प्रति डर पैदा न करें। जरा सी बात पर उससे यह न कहें कि उसने यदि काम नहीं किया या उनका कहना नहीं माना तो वह उसकी मैडम या सर से शिकायत करेंगे। बच्चों को समझाने का एक तरीका यह भी है कि उससे कहा जाए कि वह अच्छा काम करेगा तो उससे उसकी मैडम खुश होगी तो बच्चा आसानी से मान जाएगा और उसके मानसिक विकास के साथ साथ उसमें पढ़ने के प्रति लगन उत्पन्न होगी।
स्कूल जाने वाले बच्चों के पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए पढ़ाई में सकारात्मक भागीदारी जरूरी है। अगर बच्चे पढ़ाई में अच्छे होंगे तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे नई चीजें सीखने में रूचि दिखाएंगे। स्कूल के दौरान बच्चों पर पढ़ाई से संबंधित जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं। कुछ बच्चे सभी कामों को समय पर पूरा कर लेते हैं तो कुछ ऐसा नहीं कर पाते। आइए जानते हैं अभिभावक कैसे अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित रख सकते हैं।
क्या करें
-पढ़ाई से दूर ले जाने वाले कारणों का पता लगाएं
-बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने से पहले उन कारणों का पता लगाएं जो उसे पढ़ाई करने से रोक रहे हैं।
-इन कारणों में आत्मविश्वास की कमी, पढ़ाई में बोरियत, टीवी और मोबाइल का ज्यादा उपयोग या ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार्य शामिल हो सकते हैं।
-ऐसे में बच्चे से दोस्त की तरह बात करें और उनकी समस्याओं को समझें। इसके बाद सभी विकर्षणों को दूर करें और छोटी-छोटी गतिविधियों के जरिए बच्चे को पढ़ाई से जोड़ें।
अध्ययन का समय
-अध्ययन के समय को आसान बनाएं
-बच्चे पढ़ाई के लिए प्रेरित रहें इसके लिए उन्हें सभी आवश्यक चीजें दें जो उनके अध्ययन को आसान बनाती हैं।
-बच्चे के अध्ययन के लिए शांत और ध्यान न भटकाने वाली जगह चुनें।
-अगर बच्चा भूखा है तो पढ़ाई में मन नहीं लगेगा। ऐसे में हल्का नाश्ता और भरपूर पानी दें ताकि वो पढ़ाई में क्रेंदित रहे।
-सुनिश्चित करें कि बच्चे के पास पेंसिल, रबर, कैलकुलेटर और अन्य सभी महत्वपूर्ण उपकरण हैं।
सही योजना अनाएं
-एक सही अध्ययन योजना बनाएं
-अगर आप बच्चों को अध्ययन के लिए एक योजना बनाकर देंगे तो ये उन्हें प्रेरित करेगा।
-शुरुआत में कठिन अध्ययन योजना बनाने से बचें। अगर काम ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा तो बच्चे पढ़ाई से दूर भागेंगे।
-शुरुआत में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें जैसे निर्धारित विषय का एक अध्याय पढ़ना, केवल 5 प्रश्न हल करना आदि।
समय के साथ लक्ष्य को बढ़ाते जाएं। अध्ययन योजना में ब्रेक और खेलकूद को भी जगह दें ताकि बच्चे पढ़ाई में बोरियत महसूस न करें।
बच्चे को पुरस्कार दें
-बच्चे को पढ़ाई के प्रति प्रेरित रखने के लिए पुरस्कार प्रणाली अपनाएं।
-अगर बच्चे सही समय से अपने होमवर्क खत्म कर लें तो उन्हें छोटे और सरल पुरस्कार दें, जैसे टीवी देखना या विशेष खाना देना। इससे बच्चे पढ़ाई के लिए प्रेरित रहेंगे।
-सप्ताह भर लगातार पढ़ाई के बाद बच्चे को अध्ययन अवकाश दें। अवकाश के दिन 1-2 घंटे पढ़ाई करवाएं और बाकी समय उन्हें कहीं बाहर घुमाने ले जा प्रदर्शन के बजाय सीखने पर ध्यान दें
-स्कूल जाने वाले बच्चों के प्रदर्शन से ज्यादा सीखने पर ध्यान दें। हर सप्ताह बच्चे की प्रगति का आंकलन करें कि उसने क्या नया सीखा है। अगर किसी विषय में प्रदर्शन खराब हुआ है तो नकारात्मक टिप्पणी से बचें। इससे बच्चे निराश होंगे।
व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें
-आज के समय में बच्चों का पूरा समय घर के अंदर ही गुजरता है, ऐसे में बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और आलस का शिकार होते हैं।
-बच्चे को ऊजार्वान बनाए रखने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करवाएं।
-सुनिश्चित करें कि बच्चा पढ़ाई से पहले और पढ़ाई के बाद शारीरिक गतिविधि कर रहा है।
-इससे दिमाग में रक्त का प्रवाह होता है और बच्चे तनाव से भी दूर रहते हैं।