Tuesday, July 9, 2024
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नहीं मानी मांग तो करेंगे पैदल मार्च

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  • हाइवे पर धरने पर बैठे किसानों की प्रशासन को चुनौती राकेश टिकैत की अगुवाई में हाइवे से मेडा तक करेंगे कूच

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: हाइवे पर ग्रीन वर्ज के मुद्दे को लेकर किसानों और व्यापारियों का आंदोलन 14 सितंबर को व्यापक रूप लेगा। आंदोलकारियों के बीच प्राधिकरण के अधिकारियों ने पहुंचकर मांगे नहीं मानी तो 14 सितंबर को भाकियू के राष्टÑीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में हाइवे से मेरठ विकास प्राधिकरण के आॅफिस तक किसान पैदल मार्च करेंगे।

फिर प्राधिकरण के आॅफिस पर अनिश्चितकालीन कढाई चढ़ा देंगे। ये ऐलान आंदोलनकारी किसानों ने किया हैं। किसानों का आंदोलन हाइवे से उठकर प्राधिकरण के आॅफिस पहुंच जाएगा। किसानों के अनुसार दस हजार लोग 14 सितंबर को शहर की सड़कों पर होंगे। यदि ऐसा होता है तो शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।

दरअसल, पखवाड़े भर से किसान और व्यापारी डाबका के सामने एनएच-58 पर धरना देकर बैठे हैं। आंदोलनकारियों की मांग है कि ग्रीन वर्ज को खत्म किया जाए। ग्रीन वर्ज को लेकर प्राधिकरण ने किसानों के साथ भेदभाव किया हैं। प्राधिकरण की वेदव्यासपुरी, श्रद्धापुरी, डिफेंस कॉलोनी, सैनिक विहार आदि कॉलोनी में ग्रीन खत्म कर दिया गया। जो किसानों की कृषि की जमीन थी, उस पर ग्रीन वर्ज लागू कर दिया गया। इस तरह से किसानों को बर्बाद करने की प्राधिकरण अफसरों ने ठान ली हैं।

मास्टर प्लान 2021 में ग्रीन वर्ज लागू किया गया, लेकिन किसानों ने कुछ नहीं कहा। अब मास्टर प्लान 2031 में फिर से किसानों की जमीन पर ग्रीन वर्ज लागू कर दिया गया हैं। मास्टर प्लान में ग्रीन वर्ज खत्म नहीं किया गया। इस तरह से किसानों को बर्बाद करने की प्राधिकरण ने ठान ली हैं। किसान अपने खेत में निर्माण करते है तो प्राधिकरण बुलडोजर चलाकर निर्माण को ध्वस्त कर दे रहा हैं। पचास से ज्यादा निर्माणों पर कट के निशान प्राधिकरण ने लगाये हैं, जिनको गिराने की बात कही जा रही हैं।

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इसी से क्षुब्ध होकर किसान और व्यापारी डाबका हाइवे पर धरना देकर बैठ गए हैं। 14 सितंबर को आंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए भीड़ जुटाई जा रही हैं, जिसमें भाकियू के राष्टÑीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंच रहे हैं। किसान अब आर-पार करने के मूड में हैं। धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि 14 सितंबर को प्राधिकरण के अफसर आंदोलनकारियों के बीच पंचायत में नहीं पहुंचे

और उनकी मांग नहीं मानी तो दस हजार किसानों का सैलाब हाइवे से प्राधिकरण के आॅफिस के लिए पैदल मार्च करेगा। इस दौरान किसानों के ट्रैक्टर भी किसानों के पीछे-पीछे शहर में पहुंचेंगे। किसानों के इस ऐलान के बाद प्रशासन में खलबली मच गई हैं। एलआईयू ने भी इसकी रिपोर्ट प्रशासन और शासन को भेज दी हैं।

हाइवे के प्रतिष्ठान रहेंगे बंद

किसानों और व्यापारियों के इस आंदोलन के चलते 14 सितंबर को हाइवे पर बने तमाम होटल, ढाबे व अन्य प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रखकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। तमाम लोग अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद कर किसानों के धरने में शामिल होंगे। परतापुर से लेकर पल्लवपुरम तक तमाम व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध जाहिर करेंगे।

मेडा पर लंबा चल सकता है किसानों का आंदोलन

भाकियू के पश्चिमी यूपी के संगठन मंत्री राजकुमार करनावल व उनकी पूरी टीम शुक्रवार को किसानों के धरने पर पहुंची। उन्होंने बताया कि पूरे जनपद में 14 सितंबर का प्रचार किया जा रहा हैं। उन्हें उम्मीद है कि दस हजार से ज्यादा किसान इस पंचायत में पहुंचेंगे। किसानों की मांग नहीं मानी तो प्राधिकरण से निपटने के लिए किसान जानते हैं।

किसान दिल्ली बॉर्डर पर कड़ाके की सर्दी और गर्मी में टिक सकते है तो फिर मेरठ तो किसानों का घर हैं। यहां भाकियू के संस्थापक महेन्द्र सिंह टिकैत भी चालीस दिन तक कमिश्नरी पर आंदोलन चला चुके हैं। ये आंदोलन भी लंबा खींच सकता हैं। इसके लिए अब किसानों ने कमर कस ली हैं।

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