Saturday, December 14, 2024
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ईमानदारी से हो कोशिश तो बन सकते हैं नंबर वन

  • स्वच्छता सर्वेक्षण में चमकानी होगी साख तो कूड़ा कलेक्शन से लेकर निस्तारण तक करनी होगी पारदर्शिता

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: स्वच्छ सर्वेक्षण में मेरठ शहर नंबर वन बने तो उसके लिये सभी को मिलकर ईमानदारी से करनी होगी कोशिश। स्वच्छता सर्वेक्षण में चमकानी होगी साख उसके लिये कूड़ा कलेक्शन से लेकर निस्तारण तक पारदर्शिता से कार्य करना होगा। इसके लिये सभी को मिलकर पूरी ईमानदारी के साथ कार्य करना होगा। यदि सभी मिलकर शहर को स्वच्छ एवं साफ-सुथरा बनाने के लिये प्रयासरत हों तो शहर स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर वन बन सकता है।

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केंद्र द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण का परिणाम गुरुवार को घोषित कर दिया गया। ऐतिहासिक क्रांतिधरा को स्वच्छ सर्वेक्षण की वरीयता सूची प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान की सूची में शामिल होने का सपना पूरा नहीं हो सका। इतना ही नहीं गत वर्ष की वरीयता सूची में नगर निगम का नाम कई पायदान नीचे पहुंच गया, जिसमें केंद्र में 108 व प्रदेश में 17वीं रैंकिंग मिल सकी। नगर निगम में ट्रिपल इंजन सरकार होने के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर लोटने का नाम नहीं ले रही है। नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन होने के साथ ही निगम के बजट का करोड़ों रुपये स्वच्छता पर खर्च किया जाता है। उसके बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे पा रहा है।

उसके लिये ऐसा नहीं कि अकेले नगर निगम के अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया जाये। उसके लिये शहर की जनता में जागरूकता का अभाव एवं अधिकारियों की कार्यशैली में उदासीनता के साथ ही शहर में भाजपा के कई बडेÞ नेताओं के द्वारा भी इस तरफ गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता। यदि शहर की जनता एवं जन प्रतिनिधि के साथ नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी ईमानदारी से कोशिश करें तो शहर को नंबर वन बनने से कोई नहीं रोक सकता। उसके लिये सभी को मिलकर एकजुटता से ईमानदारी से कार्य करना होगा। कूड़ा कलेक्शन से लेकर उसके निस्तारण तक पारदर्शिता दिखानी होगी।

कूड़े के पहाड़ को करना होगा खत्म

शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर वन बनाने के लिये सबसे पहले तो कूड़े के पहाड़ों को समाप्त करना होगा। जिसमें लोहियानगर एवं मंगतपुरम में वर्षों से जो कूड़ा पड़ा हुआ है, उसका निस्तारण अभी तक नहीं हो सका। वह पहाड़ निस्तरण के साथ कम होने की जगह लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

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वहीं, कुछ वाहन चालकों के द्वारा कूड़ा निस्तारण केंद्र तक नहीं पहुंचाया जाता उसे बीच रास्ते में जहां पर भी खाली जगह दिखाई देती है। वहां पर डाल दिया जाता है। जिस कारण भी सफाई व्यवस्था बेपटरी चल रही है। यदि कूड़े के पहाड़ खत्म हो जाये ओर भविष्य में भी कूड़े के पहाड़ न बने तो शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर होगी।

शहर में ट्रांसफर स्टेशन पर ध्यान देना होगा

शहर में कई जगहों पर कूड़ा निस्तारण के लिये ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण कराया जा रहा है। ताकि लोहिया नगर के कूडा निस्तारण प्लांट पर कूड़ा भेजने की जगह इन ट्रांसफर स्टेशनों पर ही निस्तारण किया जा सके। ताकि शहर साफ-सुथरा बन सके।

सीवर की सफाई पर ध्यान देना होगा

शहर में छह सीवर क्लीनिक मशीनें हैं। जिसमें दो कंकरखेड़ा दो शास्त्रीनगर व दो मुख्य जोन क्षेत्र में कार्य करती हैं। जिससे सीवर चोक होने की समस्या पैदा न हो, लेकिन सीवर के चोक होने की समस्या लगातार बनी रहती है।

डोर-टू-डोर कलेक्शन में पारदर्शिता की जरूरी

बीवीजी कंपनी को डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिये ठेका दिया गया है, लेकिन उसके द्वारा अलग-अलग कूड़ा कलेक्शन नहीं किया जा रहा है। एक ही वाहन में गीला व सूखा एवं ठोस अपशिष्ठ एकत्रित किया जा रहा है। यदि बीवीजी कंपनी पूरी ईमानदारी से कार्य करे तो सफाई व्यवस्था में सुधार हो सकता है।

सफाई कर्मचारियों से अतिरिक्त कार्य न कराए

नगर निगम क्षेत्र में आबादी के हिसाब से सफाई कर्मचारियों की संख्या काफी कम हैं। वर्तमान में 2415 अस्थाई एवं करीब सवा 6 सौ स्थाई सफाई कर्मचारी हैं। आबादी के हिसाब से सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांंग पार्षदों द्वारा लगातार उठाई जा रही है।

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कम संख्या में सफाई कर्मचारी होने के बाद भी अधिकतर सफाई कर्मचारी या तो ड्यूटी से नदारद रहते हैं। या फिर अधिकारियों एवं जन प्रतिनिशियों के यहां लगे रहते हैं। अकेले वार्ड-32 में ही यदि देखा जाये तो 60 सफाई कर्मचारियों में से 32 अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के यहां पर ड्यूटी करते हैं।

जागरूकता का अभाव या फिर लापरवाही

अधिकतर लोगों द्वारा घरों का कूड़ा या तो कूड़ा कलेक्शन के वाहनों के द्वारा उनके मकान के सामने से होकर जाने के बाद वह बाद में खुले में कूड़ा डाल देते हैं। या फिर नाली व नालों में डाल दिया जाता है। जिस कारण भी नालों के चोक होने व सड़कों पर गंदगी पसरने की समस्या बनी रहती है और सड़कों किनारे पड़े कूड़ों से उठती सड़ांध से शहरवासी परेशान हो जाते हैं, यदि सभी अपने-अपने दायित्व को समझे तो शहर स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर वन बन सकता है।

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