- अवैध दुकानों को मेडा की टीम ने किया था ध्वस्त
- बेखौफ चल रहा दिन-रात अवैध निर्माण कार्य
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रोहटा रोड स्थित विवादित कब्रिस्तान की जमीन में अवैध दुकानों का निर्माण आचार संहिता के दौरान रात दिन किया जा रहा है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने पहले भी यहां दुकानों का ध्वस्तीकरण किया था, लेकिन फिर से कुछ लोगों के द्वारा अवैध दुकानों का निर्माण व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। यह निर्माण रात के अंधेरे में भी चलता है और दिन के उजाले में भी। आचार संहिता की आड़ में सब काम किया जा रहा है।
हालांकि मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने पहले ही कहा था कि आचार संहिता में सील की कार्रवाई करें। थाने में एफआईआर कराये, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने आंख पर पट्टी बांध ली है। यही वजह है कि निर्माण दर निर्माण व्यापक स्तर पर चल रहे हैं। इनका नहीं तो चालान हो रहा है, नहीं सील की कार्रवाई हो रही है। एफआईआर करना तो बहुत दूर की बात है यह सब इंजीनियरों की सेटिंग से काम चल रहे हैं। जब मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर छह माह पहले ही जिस अवैध दुकान का ध्वस्तीकरण यहां करके गए थे,
वहीं पर फिर से दुकानों के निर्माण की किसने अनुमति दे दी? इसके लिए तो पूरी तरह से मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर जिम्मेदार हैं। एक-एक शिकायत हो रही हैं, फिर भी प्राधिकरण इंजीनियर कोई कार्रवाई यहां नहीं कर रहे हैं। उसके बावजूद इस के पास अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इसमें कोई कार्रवाई मेरठ विकास प्राधिकार ने नहीं की है। इसी से सटकर एक अन्य निर्माण जो रोहटा रोड की फ्रंट पर है। उसमें दुकान का निर्माण कर लिंटर डाल दिया गया है।
इसका मानचित्र आवासीय में स्वीकृत है, लेकिन मौके पर व्यावसायिक दुकानों का निर्माण कर दिया गया है। लंबे समय से इस पर सील लगी हुई थी, लेकिन अवैध निर्माणकर्ता ने सील तोड़कर फेंक दी और लिंटर डाल दिया गया। इसमें प्राधिकरण इंजीनियर की तरफ से एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन यहां तो इंजीनियर देखने तक नहीं पहुंचे। ये पूरा खेल मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों और अवैध निर्माणकर्ताओं की सेटिंग से चल रहा है। यही वजह है कि रोहटा रोड पर ताबड़तोड़ बड़े-बड़े व्यावसायिक निर्माण चल रहे हैं,
लेकिन प्राधिकरण के इंजीनियर ने आंख पर पट्टी बांध ली हैं, तभी तो अवैध निर्माण होते जा रहे हैं। इन पर कार्रवाई होती तो प्राधिकरण को राजस्व का लाभ हो सकता था। जो मानचित्र आवासीय में स्वीकृत हैं, उसको व्यवसायिक कराया जा सकता था, लेकिन ये नहीं कराया गया। इसके बराबर में भी एक निर्माण चल रहा हैं। गॉडविन स्कूल से 10 कदम पहले भी अवैध निर्माण व्यवसायिक कॉपलेक्स का चल रहा हैं। इसको भी प्राधिकरण इंजीनियरों ने नहीं रोका। अब दूसरा लिंटर डाल दिया गया।
दोनों साइड में अलग-अलग प्राधिकरण के दो इंजीनियर हैं। हर रोज यहीं पर घूमते रहते हैं, लेकिन ये निर्माण क्यों नहीं रोक रहे हैं? ये भी बड़ा सवाल हैं। आचार संहिता में निर्माण पूरे हो जाएंगे, फिर उस पर पुताई करा दी जाएगी। यही खेल तो अब चल रहा हैं। फिर इन पर ये कहकर कार्रवाई नहीं की जाती हैं कि ये तो पुराना निर्माण हैं, इनके कार्यकाल में ये निर्माण नहीं हुआ। इस तरह से अफसरों को भी इंजीनियर गुमराह करते हैं।