Friday, April 26, 2024
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गायत्री मंत्र और अन्न प्राशन संस्कार का महत्व बताया

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जनवाणी संवाददाता ।

बिजनौर: शक्ति नगर स्थित गायत्री शक्ति पीठ पर गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर व्यास पीठ पर विराजमान गायत्री साधक हुकुम सिंह शास्त्री ने यज्ञ में सम्मिलित गायत्री साधकों को गायत्री मंत्र और अन्न प्राशन संस्कार का महत्व समझाया।

गायत्री महायज्ञ के यजमान प्रदीप भटनागर एवं उनकी धर्मपत्नी अंजना भटनागर रहे। हवन के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान गायत्री साधक हुकुम सिंह शास्त्री ने गायत्री मंत्र और अन्न प्राशन संस्कार को मानवमात्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है। यह महामंत्र है। गायत्रीमंत्र के जाप, यज्ञ और लेखन से मनुष्य अपूर्व सुख संपदा, वैभव, मानसिक शांति, नौकरी, रोजगार, संतान आदि प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि संस्कार मनुष्य को मानव को महामानव बनाते हैं। जब शिशु लगभग छह माह का हो जाता है।

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तब उसे अन्न ग्रहण कराने की आवश्यकता होती है। मनुष्य को मानव बनाने में आहार का बड़ा महत्व है। तभी तो कहा जाता है कि जैसा खाए अन्न वैसा हो मन। मनुष्य यदि तामसिक आहार का सेवन करता है तो उसका व्यवहार और कार्य तामसिक हो सकते हैं।

यदि वह सात्विक आहार ग्रहण करेगा तो उसका व्यवहार सतोगुणी होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इसलिए मनुष्य हर किसी के घर भोजन नहीं करना चाहिए। यदि मजबूरी में करना पड़े तो मंत्र पाठ कर भोजन को शुद्ध कर लेना चाहिए। हवन के दौरान यजमान प्रदीप भटनागर की पौत्री ऐशान्यां का अन्न प्राशन संस्कार किया गया।

यज्ञ में शामिल सभी गायत्री साधकों ने गायत्री मंत्र पढ़ते हुए ऐशान्यां को चांदी के सिक्के से खीर खिलाई और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया। गायत्री महायज्ञ में अमरीश राठी, व्यवस्थापक बिजेंद्र सिंह राठी, पूर्व प्रधानाचार्य सोरन सिंह परिहार, परिब्राजक संजय शर्मा, सात्विक भटनागर समेत अनेक गायत्री साधकों ने भाग लिया।

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