नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भारत में लोगों को बड़ी संख्या में टाइफाइड का सामना करना पड़ रहा है। अगर आंकड़ों से देखा जाए तो हर साल 4 लाख से अधिक लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) टीकाकरण डेटा पोर्टल के अनुसार साल 2022 में भारत में टाइफाइड के लगभग 402,532 मामले सामने आए और करीब 9 हजार लोगों की इस बीमारी ने जान ले ली। गर्मी और बरसात के महीनों में टाइफाइड के मामले काफी तेजी से बढ़ जाते हैं जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी अतिरिक्त दबाव देखा जाता रहा है।
टाइफाइड बुखार को एंटरिक बुखार भी कहा जाता है, ये आमतौर पर साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। अध्ययनों से पता चला है कि, मलीन बस्तियों में इस संक्रामक रोग के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। दूषित जल के सेवन को आमतौर पर इस संक्रामक रोग के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टाइफाइड जानलेवा हो सकता है और इसका तुरंत एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज किया जाना चाहिए। अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं या यात्रा करते हैं जहां टाइफाइड आम है, तो बचाव के उपायों पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।
हालिया जानकारियों के मुताबिक टाइफाइड (आंत्र ज्वर) को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भारत ने एक अतिप्रभावी वैक्सीन तैयार कर ली है।
टाइफाइड से बचाव के लिए वैक्सीन
टाइफाइड संक्रमण से बचाव के लिए भारत ने दुनिया का पहला ऐसा टीका बना लिया है जो बैक्टीरिया के दोनों स्ट्रेन पर एक साथ काम कर सकता है। साल्मोनेला टाइफी और सालमोनेला पैराटाइफी-ए दो ऐसे स्ट्रेन हैं जो इस संक्रामक रोग का प्रमुख कारण माने जाते रह हैं। दावा किया जा रहा है कि इस टीके की मदद से इन दोनों स्ट्रेनों के कारण होने वाली बीमारी से बचाव किया जा सकेगा।
आईसीएमआर के मुताबिक, टाइफाइड से बचाव के लिए अभी तक बाजार में कुछ टीके उपलब्ध हैं।
- इनमें वीआई पॉलीसेकेराइड वैक्सीन और टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (टीसीवी) शामिल हैं, जो मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफी को ही लक्षित करते हैं।
- ये नया टीका साल्मोनेला टाइफी और सालमोनेला पैराटाइफी-ए दोनों को ही अटैक कर सकता है।
- उम्मीद जताई जा रही है इस वैक्सीन से बीमारी के पूरी तरह से बचाव और खात्मे में मदद मिल सकती है।
टाइफाइड के लिए दुनिया का पहला मिश्रित टीका
पश्चिम बंगाल स्थित राष्ट्रीय जीवाणु संक्रमण अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस टीके की प्रमाणिकता का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना कि अभी तक ऐसा कोई लाइसेंस प्राप्त मिश्रित टीका नहीं है जो दोनों रोगजनकों के खिलाफ एक साथ लोगों की सुरक्षा कर सके।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने बताया कि आने वाले दिनों में देश के अलग अलग हिस्सों में इस टीके पर परीक्षण शुरू किए जाएंगे।
- आईसीएमआर का मानना है कि इस टीके के व्यापक उपयोग से भारत सहित पूरी दुनिया में आंत्र ज्वर की घटनाओं में काफी कमी आ सकती है।
परीक्षण में देखी गई पर्याप्त एंटीबॉडी
जानकारियों के मुताबिक चूहों पर इन टीकों का परीक्षण किया गया, जिससे उनमें संक्रमण के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी देखी गई। इस टीकाकरण ने चूहों के मॉडल में साल्मोनेला के अलग अलग स्ट्रेन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की है।
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि ये टीके उन स्थानों पर विशेष लाभप्रद हो सकते हैं जहां इस संक्रामक रोग के मामले अक्सर रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा, स्थानीय क्षेत्रों में इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए।
टाइफाइड बुखार के बारे में जानिए
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टाइफाइड बुखार बैक्टीरिया से दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण होता है। कई मामलों में संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से भी टाइफाइड का खतरा हो सकता है। वैसे तो टाइफाइड बुखार से पीड़ित अधिकांश लोग एंटीबायोटिक्स उपचार से लगभग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं हालांकि अगर इसका समय पर उचित इलाज न हो पाए तो इसके कारण गंभीर जटिलताओं और मृत्यु का खतरा भी हो सकता है।
इसके हल्के से लेकर तेज बुखार (104 डिग्री फारेनहाइट), ठंड लगने, सिरदर्द, कमजोरी और थकान, मांसपेशियों और पेट में दर्द के साथ दस्त या कब्ज की दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते होने, भूख न लगने और पसीना आने की भी समस्या होती है।