बहुत पुरानी बात है। एक राज्य की राजकुमारी के स्वयंवर का आयोजन किया गया। अलग-अलग राज्यों के राजकुमार तथा अन्य इच्छुक युवक उसमें हिस्सा लेने आए। राजकुमारी ने शर्त रखी कि जो भी पानी पर चलेगा उसी से वह ब्याह करेगी। राजकुमारी की इच्छा के अनुसार एक नदी के किनारे बहुत बड़ा मंच लगाया गया। पूरे साम्राज्य की जनता इकट्ठा हुई।
एक राजकुमार ने कहा, अरे, भला पानी पर कैसे चल सकते हैं। दूसरे ने कहा, पानी पर चलेंगे तो डूब जाएंगे। तीसरे ने कहा, मैं अगर प्रयास करूंगा और विफल हो जाऊंगा तो राजकुमारी सोचेगी बेचारा लालच के मारे डूबकर मरने को भी तैयार हो गया। इस तरह जब सभी राजकुमार हिम्मत हार गए तो एक युवक ने, जो देखने में सामान्य सा लगता था, साहस दिखाया।
उसने उस स्वयंवर की शर्त के अनुसार पानी पर चलने की चुनौती स्वीकार कर ली। उसने एक खाली बाल्टी मांगी। उसे तत्काल बाल्टी दे दी गई।
बाल्टी से उसने नदी से पानी लेकर किनारे पर डालना शुरू कर दिया। सब लोग कहने लगे, नदी में से पानी कम करके नदी पर चलेगा क्या? लेकिन उसने किसी की परवाह किए बगैर ढेर सारा पानी नदी के किनारे डाल दिया।
जब जमीन पर पानी भरा दिखने लगा तो वह उस पर चलने लगा। यह देख कर सभी हतप्रभ रह गए। राजकुमारी उठी और उसने उस युवक को वर चुन लिया और कहा, मुझे बुद्धिमान पति ही चाहिए था।
मेरी शर्त थी पानी पर चलने की, नदी पर चलने की नहीं। आशंकाओं और भय से घिर कर बैठे रहने से समस्याएं हल नहीं होतीं। हमेशा बुद्धिमानी दिखानी चाहिए। सबने राजकुमारी की प्रशंसा की। कभी-कभी हम भी ऐसी बातों से घबराकर पलायन कर जाते हैं।