Thursday, January 16, 2025
- Advertisement -

जांच कमेटी ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट, अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहराया

  • नगर मजिस्ट्रेट, सीओ कोतवाली और एसीएमओ समेत चार सदस्यीय टीम ने की थी लिफ्ट प्रकरण की जांच

जनवाणी संवाददाता

मेरठ: कैपिटल हॉस्पिटल की लिफ्ट में फंसकर मरीज करिश्मा की मौत के मामले में की गई जांच में अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया गया है। लिफ्ट में बचाव या सुरक्षा के किसी भी तरह के इंतजाम नहीं किए गए थे। ना ही लिफ्ट की समय पर सर्विस कराई गई। लिफ्ट आॅपरेटर की तैनाती भी नहीं की गई थी। इन सभी मामलों में अस्पताल प्रबंधन गैर जिम्मेदार नजर आया। इसके आधार पर चार सदस्यीय टीम ने पूरे प्रकरण की जांच कर गुरुवार को डीएम दीपक मीणा को रिपोर्ट सौंप दी है।

कैपिटल अस्पताल में पांच दिसंबर को प्रसव के बाद जच्चा करिश्मा की लिफ्ट में फंसने से मौत हो गई थी। जिसमें स्वजनों ने हंगामा किया था और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में डीएम दीपक मीणा ने नगर मजिस्ट्रेट अनिल कुमार, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. महेश चंद्रा, सीओ कोतवाली आशुतोष कुमार और सहायक निदेशक विद्युत सुरक्षा पुलकित कुमार की चार सदस्यीय टीम गठित की थी। जिन्हें एक सप्ताह में मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश दिए गए थे।

इसी क्रम में गुरुवार को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार डीएम को सौंप दी है। इस जांच में पूरी तरह से अस्पताल प्रंबधन की लापरवाही पाई गई है। अस्पताल में लिफ्ट के अंदर किसी भी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं पाए गए है। ना ही सीसीटीवी कैमरे ही लगे हुए थे। नगर मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने बताया कि 26 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी, उसपर भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं मिल पाया है। ऐसे में साफ नजर आता है कि अस्पताल का निर्माण भी बिना नक्शे के अवैध रूप से किया गया है। अब डीएम दीपक मीणा आख्या रिपोर्ट के आधार पर अपनी अग्रिम जांच करेंगे। उन्होंने बताया कि लिफ्ट के सेंसर काम ना करने की वजह से यह हादसा है। हालांकि अगर लिफ्ट के अंदर किसी तरह का अलार्म होता और समय पर आॅपरेटर पहुंच जाता,

तो शायद करिश्मा की जान बच सकती थी। अस्पताल प्रबंधक कपिल त्यागी की ओर से भी जांच के दौरान कमेटी को किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिला है। अस्पताल और लिफ्ट से संबंधित कोई दस्तावेज कमेटी को उपलब्ध नहीं कराए गए है। अस्पताल के मानचित्र और पंजीकरण के दस्तावेज भी नहीं दिखाए गए है। ऐसे में वह गैरजिम्मेदार नजर आता है। उधर, बिना मानचित्र के इस अस्पताल का पंजीकरण कैसे हुआ, यह भी सवाल उठता है। अस्पताल के अंदर किसी भी तरह का रैंप नहीं है, जिसपर स्ट्रेचर से मरीज को ऊपरी मंजिल तक ले जाया जा सके। ऐसे में अब डीएम दीपक मीणा की तरफ से अस्पताल या अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, यह देखने वाली बात होगी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

आधुनिक जीवनशैली की देन है मधुमेह

अनूप मिश्रा आमतौर पर देखा गया है कि मधुमेह एक...

Latest Job: रेलवे में निकली बंपर भर्ती,ये उम्मीदवार कर सकते हैं आवेदन, जानें पूरी डिटेल्स

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

सत्कर्म

एक संत जन्म से अंधे थे। उनका नित्य का...
spot_imgspot_img