Saturday, September 30, 2023
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‘हिंदुत्व को समझने के लिए विज्ञान पढ़ना जरूरी’

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  • यूसीसी का विरोध करने वाले लोग अज्ञानी, भक्ति पर ही सनातन धर्म है टिका

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में भागवत के माध्यम से भक्ति की पावन गंगा बह रही है। पंडाल में बारिश का पानी भरा हैं, लेकिन फिर भी लोग कथा का रसपान करने के लिए पहुंच रहे हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में भगवान के प्रति कितनी आस्था है। इसी आस्था और भक्ति पर आज भी सनातन धर्म टिका हुआ हैं, क्योंकि विषम परिस्थिति में ही आस्था देखने को मिलती है। शहर के बारे में वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि क्रांतिधरा की पावन धरती का जिक्र तो पुराणों में भी किया गया है।

यहां श्रीकृष्ण भी कई बार आए हैं, कभी शांति दूत बनकर तो कभी पांडवों के पक्ष से कौरवों को समझाने के लिए। यह बात शनिवार को शहर के जैननगर में आयोजित की गई एक प्रेसवार्ता के दौरान अनिरुद्धाचार्य ने पत्रकारों से कही। वहीं, उन्होंने शराब व पान मसाले का प्रचार करने वाले बॉलीवुड कलाकारों को भी खूब खरी-खोटी सुनाई।

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वहीं, यूसीसी का विरोध करने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए उन्हें अज्ञानी बताते हुए एक देश एक कानून का समर्थन किया। लव जेहाद पर बोलते हुए महाराज ने कहा कि हमारी संस्कृति में सब साफ लिखा हुआ हैं, जो भी जाति है उसका विवाह उसमें ही होना चाहिए। मगर आधुनिकता की दौर में यह सब समाप्त हो चुका है।

सनानत धर्म को जानने के लिए विज्ञान को पढ़ना आवश्यक

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि सनातन धर्म को जानने के लिए विज्ञान को पढ़ना आवश्यक है। हमारे धर्म का नाम सत्य सनातन धर्म है, जो अनादी समय से सत्य है। जितनी पुराने पृथ्वी और चंद्रमा है उतना ही पुराना सनातन धर्म है। जिस व्यक्ति को विज्ञान का ज्ञान नहीं वह सनातन धर्म के बारे में कभी नहीं जान सकता। यूसीसी का विरोध करने वाले लोग देश की व्यवस्था बिगाड़ना चाहते है।

मंदिरों में ड्रेस लागू करने पर महाराज ने कहा कि सनातन धर्म का पहनावा ही धोती-कुर्ता है। हम तो सभी से कहते है कि रविवार को आप सब भी धोती कुर्ता पहने और माथे पर तिलक लगाए। साइंस के बारे में महाराज ने कहा कि आज से हजारों वर्ष पहले जो हमारे गुरु कह गए वहीं आज साइंस कह रहा है।

संस्कारों को जगाने की जरूरत

युवाओं को सतमार्ग पर लाने के लिए पुराणों का अध्ययन कराना बेहद जरूरी हो गया है। सनातन धर्म से जुड़कर ही सब सुखी रह सकते है। हमारे धर्म में दया को धर्म बताया गया है। बली चढ़ाने की प्रथा पर उन्होंने कहा कि आज भी कुछ देवी मंदिरों में बली चढ़ाई जा रही हैं, जोकि मनमाना है ऐसा कही नहीं लिखा गया है।

हमारे वेदों का वाक्य है कि अहिंसा ही परमो धर्म। हमारे संस्कृति आदेश नहीं करती कि आप बेजुवान की हत्या करो इसको मंदिर वालों को रोकना चाहिए। संस्कार के बारे में उन्होंने कहा कि शिक्षा प्लस दिक्षा जोकि आज खत्म हो गई है केवल शिक्षा बची है। इसलिए माता-पिता को बच्चों को संस्कार सिखाने की जरूरत है।

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