Tuesday, October 3, 2023
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आकार लेने लगा ‘हरित क्रांति’ का सपना

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  • रैपिड कॉरिडोर के पहले सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन
  • प्लांट से हर साल साढ़े छह लाख यूनिट से अधिक ऊर्जा का उत्पादन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: रैपिडएक्स के माध्यम से ‘हरित (ग्रीन) क्रांति’ का सपना साकार होने लगा है। उम्मीदें भी आकार लेने लगी हैं। रैपिडएक्स के प्रायोरिटी सेक्शन से शुरू होने वाली यह क्रांति जब पूरे कॉरिडोर पर लागू होगी तो एनसीआर के लोगों को दमघोंटू प्रदूषण से भी निजात मिलेगी। इस क्रांति की शुरुआत शनिवार को उस समय हुई जब एनसीआरटीसी के एमडी विनय सिंह ने प्रायोरिटी सेक्शन के दुहाई स्थित आरआरटीएस डिपो में स्थापित अत्याधुनिक सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन किया।

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एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने बताया कि इस सोलर पावर प्लांट की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी काफी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि इस प्लांट के तहत वर्कशॉप व डिपो सहित कई अन्य बिल्डिंग्स पर सौर पैनल इंस्टॉल किए गए हैं। एनसीआरटीसी अधिकारियों के अनुसार यह प्लांट 25 वर्षों के अपने अनुमानित जीवनकाल के दौरान 6 लाख 66 हजार यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा। इस प्लांट से अनुमानित तौर पर सालाना 615 टन कार्बन उत्सर्जन कम होने की उम्मीद है।

इसके चलते इस प्लांट के पूरे जीवन काल के दौरान कार्बन उत्सर्जन में लगभग 15 हजार 375 टन की कमी आएगी। रैपिड अधिकारियों के अनुसार इस प्लांट से जितनी सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी वो न केवल डिपो की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगी बल्कि उसके बाद भी अतिरिक्त मात्रा में उपलब्ध होगी। इस अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग आरआरटीएस की दूसरी परिचालन परियोजनाओ में किया जाएगा।

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राष्ट्रीय सौर मिशन एवं स्वच्छ तथा हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही एनसीआरटीसी ने मार्च 2021 में सोलर पॉलिसी अपनाई थी। इसी पॉलिसी के तहत एनसीआरटीसी अक्षय ऊर्जा में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से अगले पांच सालों में विभिन्न स्टेशनों, डिपो और अन्य भवनों पर भी कम से कम 11 मेगावॉट पीक इन हाउस सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगा। आरआरटीएस भारत सरकार के अलावा दिल्ली, हरियाणा, यूपी एवं राजस्थान सरकारों द्वारा एनसीआर में भीड़ भाड़ के साथ वायु प्रदूषण के दबाव को कम करने के उद्देश्य पर भी कार्य कर रहा है।

उधर, यह भी माना जा रहा है कि रैपिड के प्रायोरिटी सैक्शन पर रैपिड संचालन के साथ ही सड़कों से लगभग एक लाख वाहन स्वयं ही हट जाएंगे जिससे वाहनों के होने वाले उत्सर्जन में 2.5 लाख टन से अधिक कार्बन डाइआॅक्साइड कम होने के साथ प्रदूषण की अधिकता में कमी आएगी।

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