जयंत बोले- कृषि कानूनों से केवल उद्यमियों को लाभ
मुख्य संवाददाता
सहारनपुर: पूर्व सांसद और रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी ने कहा कि-जो सरकार किसानों की राह में कीलें ठुकवा रही है और सड़कें खुदवा रही, उस सरकार की जड़ों को खोद डालो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहंकार मेें हैंं। उन्हेें किसानों की सदाएं नहीं सुनाई दे रहीं। ये काले अंग्रेज किसानों को कंगाल बनाना चाहते हैं। कृषि कानूनों से केवल उद्यमियों को लाभ होगा।
सहारनपुर में गरजे जयंत चौधरी, महापंचायत में जुटे हजारों किसानhttps://t.co/zKdiDxVrNR@jayantrld @RahulGandhi @priyankagandhi @yadavakhilesh @Mayawati @myogiadityanath
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जयंत चौधरी बुधवार को तीसरे पहर सहारनपुर जनपद के नकुड़ में किसानों की महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि- कृषि कानून उद्योगपतियों के इशारे पर बनाए गए हैं। सरकार ने मंडी शुल्क के 8600 करोड़ रुपए को भी उद्योगपतियों के हवाले कर दिया है।
आज जरूरत है किसान को एक मंच पर आकर सरकार के विरोध में आवाज बुलंद करने की। यही आवाज चुनाव में हमारी ताकत बनेगी। जयंत ने कहा कि कानून इतना अच्छा है तो फिर भाजपा सरकार इसे 18 महीने के लिए रोकने पर राजी क्यों हो रही है।
उन्होंने कांग्रेस शासन काल का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान ही पीएम नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कानून बनाने की बात कही थी और अब अपने समय में मुकर रहे हैं। जयंत ने कहा कि मुकाबला ऐसी सरकार से है, जिसमें अहंकार है।
अंग्रेजों ने भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था। किसान तब भी विरोध पर सड़क पर आए थे और आज भी किसान सड़कों पर हैं। जयंत ने ललकारने के अंदाज में कहा कि रणसिंघा किसानों ने बजा दिया है। जयंत ने कहा कि-1964 में मंडी की व्यवस्था चौ. चरण सिंह ने बनाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि चौधरी चरण सिंह के नाम से कोई योजना योगी सरकार नहीं लाई।
यूपी में नौजवानों को नौकरी नहीं है। खिलाड़ी मजबूर होकर दूसरे राज्यों में जा रहे। कहा कि आखिर खेलो इंडिया, क्या खेलें? जयंत ने कहा कि 600 करोड़ का गन्ना बकाया अकेले सहारनपुर का है। उन्होंने कहा कि यही कानून बनाना था तो किसानों से बात होनी चाहिए थी।
इसके पहले मंच पर जयंत का दिलचस्प स्वागत किया गया। उन्हें डेढ़ लाख की थैली भेंट की गई। इस मौके पर हरियाणा की ढान खाफ के चौधरी बलवीर सिंह, अवतार सिंह, प्रदेश महासचिव धीर सिंह, जिलाध्यक्ष राव कैसर सलीम, वरिष्ठ नेता कंवर हसन, हाजी सलीम कुरैशी, अजित सिंह राठी, चेयरमैन अशरफ अली आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
रालोद की बंजर पड़ी सियासी जमीन को मिलने लगा खाद-पानी
नकुड़ में आयोजित महापंचायत में पहुंचे जयंत चौधरी ने बड़े संजीदा होकर किसानों की दुखती रगों पर हाथ रखा। नकुड़ के बड़े मैदान में बड़ी संख्या मेें पहुंचे किसानों को देखकर जयंत मन ही मन गद्गद् नजर आए। उन्होंने केंद्र और उप्र की योगी सरकार के साथ हरियाणा सरकार पर भी हमला किया। कुछ भी हो रालोद की बंजर हो चुकी सियासी जमीन को खाद-पानी मिलना शुरू हो गया है। सियासी टीकाकारों का कहना है कि भावी किसी भी चुनाव में पश्चिमी उप्र में रालोद का हैंडपंप चल निकलेगा। बहरहाल, चुनाव में अभी समय शेष है और समर भी। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों की लगातार मुखालफत हो रही है। भाकियू के अलावा अन्य किसान संगठनों ने भी इसे काला कानून बताकर स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। जाहिर है कि ऐसे में सियासत भी गरमा गई है। कभी पश्चिमी उप्र में व्यापक जनाधार वाले रालोद को किसानों के करीब आने का यह ऐसा मौका मिला है, जिसमें कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से बिगड़े समीकरण सधते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, रालोद की पंचायतों में देखा जा रहा है कि मुस्लिम बड़ी तादात में शामिल हो रहे हैं। नकुड़ में बुधवार को यही नजारा देखने को मिला। महापंचायत में बड़ी संख्या में मुस्लिम शामिल हुए। मंच पर भी रालोद के मुस्लिम पदाधिकारी केंद्र सरकार पर रह-रह निशाना साधते रहे, साथ ही मुजफ्फरनगर दंगों से पैदा हुई जाटों-मुस्लिमों के बीच की दूरियों को खत्म करने का आह्वान करते रहे। परोक्ष रूप से जयंत चौधरी ने अपने भाषण यही कहा कि-हमें धर्म-मजहब की सियासत से हटकर पुरानी दोस्ती की तरफ फिर से हाथ बढ़ाना होगा वरना काले अंग्रेजों की सरकार किसानों को कंगाल कर देगी। फिर वह चाहे मुस्लिम हों या हिंदू। या किसी भी जाति-बिरादरी के किसान हों। उन्होंने अपने दादा चौधरी चरण सिंह का जिक्र करते हुए भावनाओं को भुनाने में कसर बाकी नहीं लगी। जयंत जिस संजीदगी के साथ मंच से तकरीर कर रहे थे, पांडाल में बैठे किसान उसी गंभीरता से उनको सुन भी रहे थे। रह-रह कर युवाओं की टोली जिंदाबाद के नारे लगा रही थी। अगर महापंचायत सफल हुई तो इसमें रालोदियों की कड़ी मेहनत भी है। जिलाध्यक्ष राव कैसर सलीम, प्रदेश महासचिव चौधरी धीर सिंह ने पिछले एक पखवाड़े से दिन रात एक कर दिया था। गांव-गांव जनसंपर्क कर इन नेताओं और इनके चाहने वाले कार्यकर्ताओं ने महापंचायत सफल बनाने का आह्वान किया था। यही वजह थी कि सारा काम छोड़करकिसान ट्रैक्टर ट्रालियों से पंचायत स्थल पर आए। फिलहाल, विधान सभा चुनावों में अभी काफी वक्त है लेकिन, रालोद का बुरा वक्त खत्म होता नजर आ रहा है। सत्तानशीं भाजपा को भी इसका भान हो चुका होगा।