- राज्यमंत्री दिनेश खटीक समर्थक की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे थे गंगानगर थाने
- इंस्पेक्टर राजपाल सिंह ने नहीं मानी थी बात, पी गए थे अपमान का घूंट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बात जून के प्रथम सप्ताह की हैं। जब जलशक्ति और बाढ़ राज्यमंत्री दिनेश खटीक अपने समर्थक एक व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए गंगानगर थाने पहुंच गए थे। थानेदार ने खटीक के कहने के बावजूद मारपीट करने वाले दो पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की थी।
थानेदार राजपाल सिंह ने दो टूक कह दिया था कि मंत्री जी एसएसपी कहेंगे तो रिपोर्ट लिखी जाएगी, अन्यथा नहीं। इस मामले में राज्यमंत्री दिनेश खटीक की खासी किरकिरी हुई थी। बाद में एसएसपी के आदेश पर क्रास रिपोर्ट दर्ज हो गई थी, जिसके बाद दिनेश खटीक को अपमान का घूट पीना पड़ा था। अफसर तो छोड़ो, थानेदार भी उनके गृह जनपद में भी नहीं सुन रहे हैं।
एसपी देहात और गंगानगर के थानेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, मगर पहली बार ऐसा हुआ जब यूपी के राज्यमंत्री के कहने के बावजूद थानेदार तक को नहीं हटाया गया। तमाम तबादले हो गए, लेकिन थानेदार वहीं पर जमे हुए हैं। जिस तरह से राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने कहा है कि मैं दलित हूं, इसलिए अफसर भी नहीं सुनते हैं।
तबादलों का दौर वर्तमान में चल रहा हैं, इसमें भी उनकी नहीं सुनी गई। इस्तीफे की चिठ्ठी भेजकर दिनेश खटीक ने भाजपा में खलबली मचा दी। इस बार थानेदार के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला, बल्कि सीधे आला अफसरों को निशाने पर लिया हैं। एक तरह से इस्तीफे की चिठ्ठी सीधे-सीधे सरकार के खिलाफ बागी तेवर हैं।
जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस की बात करते हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे योजना में बड़ा भ्रष्टाचार होने की बात खटीक कर रहे हैं। इस्तीफे में राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने स्पष्ट लिखा है कि ग्राउंड स्तर पर जाने के बाद ही उसे पता चला कि नमामी गंगे योजना में भ्रष्टाचार चरम पर हैं।
इसमें भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा तो कोई कार्रवाई नहीं की इसका जिक्र भी चिठ्ठी में किया गया। भ्रष्टाचार की किसी एजेंसी से जांच कराने की मांग भी दिनेश खटीक ने की हैं। मंगलवार से हस्तिनापुर से भाजपा विधायक एवं प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे की चर्चा थी,
जो बुधवार को दिनेश खटीक ने राज्यमंत्री के पद से केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को त्याग पत्र देकर सभी को चौका दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस की बात करते हैं, लेकिन सरकारी विभागों में जिस तरह से भ्रष्टाचार पनप रहा हैं। दिनेश खटीक की चिठ्ठी से सरकारी सिस्टम के चेहरे पर पड़ा भ्रष्टाचार के पर्दे को उठा दिया हैं।
10 जून को लिख गई थी इस्तीफे की पटकथा
जल शक्ति व बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने भले बुधवार को इस्तीफा दिया हो, लेकिन गत 10 जून को एक टेंट व्यापारी के साथ मारपीट के मामले में एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने जिस तरह से राज्य मंत्री की सिफारिश के बाद भी क्रास रिपोर्ट दर्ज करवाई उससे राज्य मंत्री बेहद आहत हुए थे और उन्होंने सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस में इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था। उसी दिन से राज्यमंत्री के इस्तीफे की पटकथा लिखी गई थी, बस मौके का इंतजार हो रहा था। हालांकि बाद में डीएम और एसएसपी के साथ हुई वार्ता के बाद मामला रफा दफा हो गया था।
चार जून को गंगानगर में टेंट व्यापारी कोमल कुमार के साथ मारपीट हुई थी। जिसमें सिपाही आकाश और विकास पर कार्रवाई नहीं की जा रही थी। इसपर राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। इंस्पेक्टर ने राज्यमंत्री के कहने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया था। पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध होकर दिनेश खटीक ने 10 जून को इस्तीफा देने के लिए अपनी एस्कार्ट लौटाकर प्रेस कांफ्रेंस भी बुला ली थी।
इसकी जानकारी मिलते ही डीएम दीपक मीणा ने राज्य मंत्री को अपने पास बुलाकर एसएसपी से वार्ता करा दी थी। उस समय मंत्री की नाराजगी दूर कर टेंट व्यापारी की तहरीर पर दो सिपाहियों पर लूट, मारपीट और एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। हालांकि सिपाहियों की तरफ से भी टेंट व्यापारी पर डकैती का मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया था।
सिपाहियों के खिलाफ कार्यवाही न होने से राज्यमंत्री खफा थे। राज्यमंत्री ने एसपी देहात केशव कुमार पर भी आरोप लगाए थे, लेकिन शासन ने इस पर संज्ञान नहीं लिया था। बस एसएसपी प्रभाकर चौधरी के खिलाफ कार्रवाई के बजाय प्रमोट करते हुए आगरा जैसा जनपद दे दिया था। इस प्रकरण के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना समेत एक दर्जन मंत्री आए। इनमें से कई लोगों को दिनेश खटीक अपने आवास ले गए, जहां उन्होंने अपनी उपेक्षा की बात की थी।
खटीक के आवास पर मीडिया का फोकस
दो दिन से जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक का गंगानगर स्थित आवास मीडिया के लिए फोकस बना हुआ है। मीडिया दो दिन से दिनेश खटीक के आवास पर निगाहें गड़ाए हुए हैं। उनके घर पर कौन आ रहा है और कौन जा रहा है? इसको वॉच किया जा रहा है। हालांकि गंगानगर स्थित राजेंद्र पुरम में दिनेश खटीक और उनका परिवार रह रहा है, जो दो दिन से इस आवास पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
यहां हर रोज लोगों का आवागमन खूब हुआ करता था, लेकिन दो दिन से आवास पर सन्नाटा पसरा है। उनके परिजन भी मंत्री के इस्तीफे को लेकर कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। बुधवार की सुबह से ही मीडिया के लोग दिनेश खटीक के आवास पर डेरा डाले हुए थे। उसी बीच जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक के निजी चालक ने इनोवा गाड़ी को गेट पर लगाया,
तभी पांच मिनट बाद ही दिनेश खटीक मकान से निकले और गाड़ी में बैठने लगे, तब सिर्फ मीडिया से दो शब्द उन्होंने बोले, पत्रकारों ने पूछा कि क्या मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है? …तो उनका जवाब था कि ‘यह विषय नहीं है’। इस तरह से दिनेश खटीक पत्रकारों से बिना बातचीत किए गाड़ी में बैठकर दिल्ली की तरफ रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि दिनेश खटीक का अब इस्तीफा देने के बाद दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इससे पहले कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद और कैशव प्रसाद मोर्य भी दिल्ली पहुंच गए हैं। इन सभी को दिल्ली हाईकमान ने तलब कर रखा हैं, जिसमें इस्तीफा प्रकरण को लेकर ही चर्चा होगी।