- एशियाई खेलों की शाट पुट स्पर्धा में कांस्य जीतकर रचा इतिहास, 72 साल बाद किसी महिला थ्रोअर ने जीता है इस स्पर्धा में देश के लिए सोना, 1951 के एशियाई खेलों में बारबरा ने दिलायाथा भारत को पदक, इस सूखे को खत्म किया मेरठ की बेटी ने
- मेरठ की एक और एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने पैदल चाल में हासिल किया पांचवां स्थान
- चीफ डी मिशन भूपेंद्र सिंह बाजवा ने दी बधाई, बोली किरण-अपना सर्वश्रेष्ट नहीं दे पाई, इसका दुख लेकिन पदक जीता देश के लिए
- राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं किरण बालियान, मुजफ्फरनगर के पुर बालियान की हैं मूलत रहने वालीं, पिता सतीश बालियान हैं यूपी पुलिस में
जनवाणी संवाददाता |
हांगझोऊ/मेरठ: चीन के हांगझाऊ में चल रहे 19वें एशियन गेम्स 2023 में महिलाओं के शॉटपुट इवेंट में भारत की किरण बालियान कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुई हैं। यह इस एशियाई खेलों में भारत का 33वां पदक है। किरण ने अपने तीसरे प्रयास में 17.36 मीटर का थ्रो करते हुए इस पदक को जीता। इस इवेंट में चीन के खिलाड़ियों ने गोल्ड और सिल्वर मेडल अपने नाम किया। किरण का यह पदक इस मायने में भी अहम रहा क्योंकि एथलेटिक्स स्पर्धा में भारत के पदक बटोरो अभियान की शुरुआत इसी पदक से हुई।
किरण बालियान को मेरठ की रहने वाली हैं। जिन्होंने एशियन गेम्स 2023 में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में भारत के लिए मेडल का खाता खोला है। किरण ने तीसरे प्रयास में यह दूरी लांघी। 24 साल की इस होनहार एथलीट ने 17.36 मीटर के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। वैसे किरण का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 17.92 मीटर रहा है।
किरण के इस कांस्य की कीमत इस बिना पर सोने जैसे रही क्योंकि इस स्पर्धा में वह 72 साल बाद देश को पदक से रूबरू कराने में सफल रहीं। किरण ने 15.42 से शुरुआत की। इसके बाद 16.84 तथा फिर 17.36 मीटर गोला फेंका। पहली बार 1951 में बारबरा वेस्टर ने 1951 के एशियाई खेलों में भारत को कांस्य पदक दिलवाया था।
मेरठ की एक और प्रतिभाशाली एथलीट प्रियंका गोस्वामी पदक नहीं जीत पाई। 20 किमी पैदल चाल में उन्होंने पांचवां स्थान हासिल किया। प्रिंयका कामनवेल्थ खेलों की रजत पदक विजेता हैं। भारत का एशियन गेम्स में अब तक शूटिंग के इवेंट्स में अब तक काफी शानदार प्रदर्शन देखने को मिला है।
इसमें 29 सितंबर को महिलाओं के 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड और सिल्वर दोनों को जीतने में कामयाब हासिल हुईं। वहीं, भारत की महिला स्क्वैश टीम को सेमीफाइनल में हॉन्ग कॉन्ग की टीम से हार का सामना करने की वजह से ब्रॉन्ज मेडल के साथ संतोष करना पड़ा।
पिता सतीश बोले, बेटी ने बढ़ा दिया मान
किरण के पिता सतीश बालियान मुजफ्फरनगर के पुरबालियान के रहने वाले हैं। वह यूपी पुलिस में कार्यरत हैं। बेटी किरण के मेडल जीतते ही शुभचिंतकों और खेल प्रेमियों की बधाई और फोन आने शुरू हो गए। सतीश रुड़की रोड स्थित एकतानगर में सपरिवार रहते हैं। किरण की मां बॉबी और भाई देव भी इस सफलता पर गदगद हैं। उन्होंने कहा कि किरण में गोल्ड जीतने का माद्दा है और वह एक दिन ये मुकाम हासिल करेगी। सतीश किरण की सफलता का श्रेय कोच रोबिन सिंह को भी देते हैं।
किरण की सफलता पर होंगझोऊ में खेल गांव में मौजूद भारतीय दल के चीफ डी मिशन भूपेंद्र सिंह बाजवा ने भी किरण को बधाई दी और कहा कि किरण ने गजब का आत्मविश्वास दिखाया और किरण का कांस्य एक मायने में भारतीय खेलों के शुभ संदेश है क्योंकि इस स्पर्धा में भारत ने 72 साल बाद सोना जीता है। राजस्थान ट्रैफिक पुलिस में कार्यरत किरण ने जीत के बाद कहा-मैं इतिहास नहीं जानती। मेरा काम सर्वश्रेष्ठ देना था, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकी। मैं इससे खुश नहीं हूं, लेकिन मैंने पदक जीता, इससे खुश हूं।