- सिंचाई विभाग बेखबर, नियम-कायदे ठेगे पर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सिंचाई विभाग का भगवान ही मालिक हैं। अफसर आॅफिस से बाहर नहीं निकलते। कर्मचारी जो कर रहे हैं, वो जांच का विषय बनता हैं। बड़ा सवाल ये है कि बागपत बाइपास से लेकर रोहटा बाइपास के बीच में रजवाहे पर सौ से ज्यादा पुलिया का निर्माण कर दिया गया हैं। निर्माण करने से पहले किसी तरह की सिंचाई विभाग से एनओसी नहीं ली गई। आखिर पुलिया का निर्माण किसके आदेश पर किया?
पुलिया का निर्माण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई सिंचाई विभाग के अफसर नहीं रहे हैं। इसी वजह से ये तथ्य भी सामने आ रहा है कि कुछ विभाग के ही कर्मचारियों ने बिल्डरों के साथ मिलीभगत करके पुलिया का निर्माण कराया हैं। दरअसल, संस्कृति मंडप से सटकर नई कॉलोनी विकसित की जा रही हैं। इस कॉलोनी का मुख्य रास्ता सिंचाई विभाग के रजवाहे पर पुलिया का बिना अनुमति लिये ही निर्माण कर दिया गया।
इसकी जानकारी एक्सईएन नीरज लांबा से ली गई तो उनका कहना है कि विभाग ने किसी को भी पुलिया निर्माण करने की अनुमति नहीं दी हैं। फिर सवाल ये है जब अनुमति नहीं मिली तो बिल्डर ने रजवाहे पर कैसे पुलिया का निर्माण कर दिया? इसको लेकर सिंचाई विभाग के अफसर जिन पुलियों का निर्माण हो चुका, उनको तोड़ क्यों नहीं रहा हैं? इसी तरह से रोहटा बाइपास पर कई नई कॉलोनी विकसित की जा रही हैं, ये सभी अवैध हैं।
फिर भी अवैध कॉलोनियों में रास्ता रजवाहे पर ही पुलिया डालकर बनाया जा रहा हैं। कुछ पर बना दिया गया हैं। रोहटा बाइपास और बागपत बाइपास के बीच में 100 से ज्यादा पुलिया का निर्माण रजवाहें पर बिना अनुमति के कर दिया गया हैं। इसमें जो जहां पर चाहता है, वहीं रजवाहे पर पुलिया का निर्माण किया जा रहा हैं। एमआईईटी के बराबर में रजवाहा निकल रहा हैं, यहां पर एक कॉलोनी हैं, जिसका रास्ता भी रजवाहे पर बनाया गया हैं।
इसमें भी पुलिया का निर्माण किया गया हैं। सिंचाई विभाग से मिले आंकड़े के अनुसार इस रजवाहे पर एक भी कॉलोनी में रास्ते के लिए पुलिया का निर्माण करने की अनुमति ही नहीं दी गई। बहुत लोगों ने अनुमति की मांग तो की हैं, मगर सिंचाई विभाग ने किसी को भी पुलिया निर्माण करने की स्वीकृति नहीं दी।
पतरोल के खिलाफ बैठी जांच
सिंचाई विभाग में एक पतरोल के खिलाफ इस मामले में जांच बैठ गई हैं। चर्चा है कि पतरोल ने ही बिल्डरों के साथ मिलकर अवैध तरीके से पुलिया का निर्माण कराया हैं। इसकी शिकायत भी हुई है। ये शिकायत कैंट विधायक अमित अग्रवाल और पूर्व विधायक संगीत सोम ने की हैं, जिसकी जांच शासन स्तर से चल रही हैं। शासन स्तर से इस मामले को लेकर एक पत्र सिंचाई विभाग के अधिकारियों के पास भी आया था, जिसके बाद पतरोल का तबदला भी कर दिया गया था।
अभी भी इसकी जांच चल रही हैं। जांच अभी पूरी नहीं हुई हैं। जांच लंबी खिंचती जा रही हैं। इसमें पतरोल के अलावा अन्य सिंचाई विभाग के अफसर भी संलिप्त हो सकते हैं कि बिना अनुमति के रजवाहे पर कैसे पुलिया का निर्माण करा दिया गया? पुलियों का निर्माण करने वालों के खिलाफ सिंचाई विभाग के अफसरों ने जुर्माना भी नहीं लगाया हैं। इससे सिंचाई विभाग के अफसरों की सत्यनिष्ठा पर भी संदेह पैदा हो रहा हैं।