जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: यूपी में कोरोना संक्रमित लोगों के 109 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में से दो में कप्पा वैरिएंट मिला है। जबकि 107 में डेल्टा वैरिएंट मिले हैं। इन नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग केजीएमयू के माइक्रोबॉयलॉजी विभाग में की गई थी।हालांकि विभागाध्यक्ष प्रो. अमिता जैन का कहना है कि कप्पा वैरिएंट से घबराने की बात नहीं है।
दोनों ही वैरिएंट प्रदेश के लिए नए नहीं हैं। संक्रमण से बचाव के सामान्य नियमों का पालन करके इससे बचा जा सकता है। यूपी में कप्पा वैरिएंट का पहला मरीज गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक मरीज के नमूने की जीनोम सीक्वेसिंग में मिला था।
संतकबीर नगर के उत्तरपाती गांव के निवासी 65 साल के इस मरीज की जून माह में मौत हो चुकी है। अब केजीएमयू में हुई जीनोम सीक्वेंसिंग में दो नए मामले मिले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन से ही कप्पा वैरिएंट बना है। कप्पा वैरिएंट बी.1.617 वंश के म्यूटेशन से पैदा हुआ है।
यह देश में पहले भी पाया जा चुका है। बी.1.617 के कई म्यूटेशन हो चुके हैं। जिनमें से ई484क्यू और ई484के के कारण इसे कप्पा वैरिएंट कहा गया है।
इसी तरह बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट के नाम से जाना जा रहा है, जो कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना गया है।
खांसी, बुखार, गले में खराश जैसे ही हैं लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार कप्पा वैरिएंट दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट से अधिक संक्रामक है। लेकिन डेल्टा प्लस से कम खतरनाक है। इसके लक्षण भी खांसी, बुखार, गले में खराश जैसे प्राथमिक लक्षण हैं। इसके बाद अन्य लक्षण कोरोना वायरस के पूर्व के वैरिएंट की तरह ही हैं।
अभी इस वैरिएंट पर शोध हो रहे हैं। कोरोना वायरस के अन्य स्ट्रेन की तरह ही कप्पा वैरिएंट से बचने के लिए मास्क लगाने, भीड़-भाड़ में जाने से बचने, समय-समय पर हाथ धोने की सलाह दी गई है। यदि कोई खांसी-जुखाम बुखार के लक्षण दिखते हैं तो जांच के नमूना देने के साथ स्वयं को क्वारंटीन कर लेना चाहिए