नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। बीती रात भारतीय सेना द्वारा किए गए विशेष सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने देशभर का ध्यान आकर्षित किया है। इस सैन्य अभियान के तहत पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए एक शक्तिशाली संदेश दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी संकल्पशक्ति को दृढ़ रखेगा। भारतीय सेना का यह कदम स्पष्ट संदेश है कि ‘सिंदूर मिटाने वालों का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।’
इस खबर के सामने आते ही देशवासियों की नम आंखों में विश्वास और भारतीय सेना के प्रति सम्मान झलक रहा है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की आत्मा पर हुए कायरतापूर्ण हमले का मुंहतोड़ जवाब था। इस अभियान का नाम “सिंदूर” देना भी प्रतीकात्मक है। सिंदूर का हिंदू आस्था में विशेष महत्व है, जो सुहाग का प्रतीक है, समर्पण का भाव है और शौर्य की गाथा भी है। आज पूरा देश ऑपरेशन सिंदूर को नमन कर रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं सिंदूर का महत्व…
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों रखा गया यह नाम?
“सिंदूर” एक छोटा सा लाल टीका है, लेकिन इसकी गरिमा अनंत है। यह भारतीय नारी के सम्मान, प्रेम और शक्ति का प्रतीक है। और जब पहलगाम की धरती पर उन महिलाओं की मांग का सिंदूर खून से मिल गया, तो देश ने ठान लिया कि यह अपमान सहन नहीं किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर इसी भावना का परिणाम था।
सिंदूर का धार्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में सिंदूर न केवल एक श्रृंगार का अंग है, बल्कि यह गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थों से जुड़ा हुआ है। यह विवाहिता स्त्री की पहचान और उसकी सुहाग की लंबी उम्र की कामना का प्रतीक होता है। सिंदूर स्त्री के मस्तक के उस भाग पर लगाया जाता है जिसे अजना चक्र या तीसरी आंख भी कहा जाता है। यह स्थान आत्मा और चेतना का केंद्र माना जाता है।
शक्ति का प्रतीक
सिंदूर का लाल रंग शक्ति, ऊर्जा और संघर्ष का प्रतीक है। यह रंग नारी की आंतरिक शक्ति और तप की झलक भी देता है। यही कारण है कि देवी दुर्गा की प्रतिमा की पूजा के समय उनके माथे पर सिंदूर लगाया जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक कार्रवाई नहीं थी, यह आस्था की रक्षा का संकल्प था। यह उस भारत की तस्वीर पेश करता है जो शांत है, लेकिन अगर उनके नागरिकों, धर्म और सम्मान को चोट पहुंचाई जाए, तो वह जवाब देना भी जानता है। यह ऑपरेशन बताता है कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत क्या है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक शांत और आम दिन था, जब अचानक गोलियों की गूंज ने वहां का सन्नाटा तोड़ दिया और आतंकियों ने वहां मौजूद निहत्थे और मासूम पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उन पर कायरतापूर्ण हमला किया और उनकी हत्या कर दी। इसमें पुरुषों को निशाना बनाया गया और महिलाओं को इस बर्बरता पूर्ण दृश्य का गवाह बनाकर यह नसीहत दी गई की वह जाकर यह संदेश अपनी सरकार तक पहुंचा दें। इस हमले ने पूरे देश को आघात पहुंचाया, जिसका बदला भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लिया।