Wednesday, September 11, 2024
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‘समाज को जोड़ने का काम करती है भाषा’

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  • चौधरी चरणसिंह यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल का भव्य आगाज
  • देश-विदेश के साहित्यिक सितारों की महफिल से जगमगाया बृहस्पति भवन, नौ साहित्यिक विभूतियों को किया गया सम्मानित

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: क्रांतिधरा साहित्य अकादमी के तत्वावधान में शुक्रवार सुबह 10 बजे से तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के सातवें संस्करण का भव्य शुभारंभ किया गया। चौधरी चरणसिंह यूनिवर्सिटी के बृहस्पति भवन में इतिहास विभाग के सहयोग से आयोजित भव्य आयोजन में देश-विदेश के नौ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,

जिसमें विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों से शामिल हुए कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए क्रांतिधरा साहित्य अकादमी की अध्यक्ष पूनम पंडित द्वारा संपादित नमामि गंगे पर्यावरण प्रहरी पुस्तक का विमोचन भी किया गया। मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के शुभारंभ में पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें भारत, नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन के लेखकों की पुस्तकों को प्रदर्शित किया गया।

शुक्रवार से रविवार तक चलने वाले तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में अमेरिका, जापान, नेपाल, बेल्जियम, ब्रिटेन, मारीशस और देश के 16 राज्यों से अनेक वरिष्ठ भाषाविद् व साहित्यकार उपस्थित रहे। इसके साथ ही नवोदित कलमकारों की भी बड़ी संख्या में सहभागिता रही। अंतर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के पहले दिन नौ साहित्यिक विभूतियों को अवार्ड प्रदान किया गया।

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जिनमें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. चिंतामणि जोशी और डॉ. अशोक मैत्रेय, क्रांतिधरा साहित्य शिखर सम्मान अमेरिका से आने वाले विख्यात हिन्दीसेवी इन्द्रजीत शर्मा, संत गंगादास स्मृति सम्मान वरिष्ठ लेखक दादा अजीत कुमार अजीत, गीतकार भारतभूषण स्मृति सम्मान गीतकार मनोज कुमार मनोज, शायर हफीज मेरठी स्मृति सम्मान वरिष्ठ शायर ओंकारनाथ गुलशन, पं. मुखराम शर्मा स्मृति सम्मान वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट ज्ञान दीक्षित, आदिकवि भानुभक्त आचार्य स्मृति सम्मान ज्योतिष शिरोमणि व शिक्षाविद डॉ. बलराम उपाध्याय रेग्मी पोखरा-नेपाल और एकादशी त्रिपाठी स्मृति सम्मान दानिश गजल मेरठी को प्रदान किया गया।

सम्मानित होने वाले साहित्यिकारों को अंगवस्त्र, पुस्तकें, प्रतीक चिन्ह, किट बैग, स्मृति चिन्ह और 2100 रुपये की नकद धनराशि प्रदान की गई। आयोजन के पहले सत्र में सम्मान प्रदान करने के अलावा सभी विदेशी विभूतियों को मंचासीन किया गया। जिनमें कपिल कुमार, बेल्जियम, रमा पूर्णिमा शर्मा जापान, डा. कृष्ण त्यागी ब्रिटेन, इंद्रजीत शर्मा अमेरिका, के अलावा नेपाल से पधारे डा. घनश्याम परिश्रमी, डा. देवी पंथी, राधिका शर्मा, राधा देवी, किशन पौडेल और डा. बलराम उपाध्याय रेगमी, शामिल रहे। इस अवसर पर सभी भाषाओं के सम्मान करने और अनुवाद पर जोर दिया गया।

वरिष्ठ शिक्षाविद् डा. योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण ने कहा कि भाषा कोई भी हो समाज को जोड़ने का ही काम करती है। देवनागरी लिपि दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है। लंच ब्रेक के बाद शुरू किए गए दूसरे साक्षात्कार सत्र में डा. अलका वशिष्ठ की पुस्तक दलित विमर्श को लेकर दलित साहित्य संबंधित विस्तार से चर्चा हुई। तृतीय सत्र में मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता डा. कृष्ण कुमार बेदिल और संचालन डा. रामगोपाल भारतीय ने किया। इस मुशायरे में बेल्जियम से तशरीफ लाए कपिल कुमार ने अपने कलाम में कहा-लाखों लेकर सवाल बैठा हूं।

शौक कैसा ये पाल बैठा हूं। कैसे निकलूं समझ नहीं आता/ खुद ही बुनकर मैं जाल बैठा हूं। बृजराज किशोर राहगीर ने अपना ख्याल कुछ यूं पेश किया-मुझे जड़ से मिटाने की हुई तो कोशिशें काफी/ कहीं से फिर निकल आया कि पीपल का शजर हूं मैं। दिलदार देहलवी, क्षमा गुप्ता, डा. सरोजिनी तन्हा, मुक्ता शर्मा, ओंकार नाथ गुलशन, किशन स्वरूप, सुप्रिया सिंह वीणा, डा. अमर पंकज, दानिश गजल मेरठी

और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुविख्यात शायर डा. एजाज पापूलर मेरठी आलमी मुशायरे में शामिल रहे। मेरठ लिटरेचर फेस्टिवल में क्रांतिधरा साहित्य अकादमी के मधुर शर्मा, सत्येन्द्र शर्मा, मनमोहन और इतिहास विभाग से प्रो. विघ्नेश कुमार, डा. कृष्णकांत शर्मा, डा. योगेश कुमार, डा. कुलदीप त्यागी, डा. अलका तिवारी विशेष सहयोग रहा।

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