- पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट पर उनके विरुद्ध पर्चे बांटेगे
- 26 वर्ष से भ्रष्टाचार व भूमाफियाओं के विरुद्ध धरनारत मास्टर विजय सिंह की नहीं हुई सुनवाई
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: भ्रष्टाचार व भू-माफिया के विरुद्ध जिला शामली के ग्राम चैसाना की चार हजार बीघा कृषि योग्य सार्वजनिक भूमि (अनुमानित कीमत 600 करोड़ रुपए) को अवैध कब्जे से मुक्त कराने को लेकर 26 साल तक दुनिया का सबसे लंबा धरना देने वाले मास्टर विजय सिंह ने गोरखपुर विधानसभा सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट पर उनके विरूद्ध पर्चे बांटेगे।
सीएम योगी की कराई गई जांच में अवैध कब्जा साबित होने के बावजूद ठाकुर भू-माफिया पर कार्रवाई न होने से आहत मास्टर विजय सिंह ने योगी व अखिलेश यादव के सामने ही मोर्चा खोल दिया है। मास्टर विजय सिंह ने गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। चुनावी मैदान में उतरे विजय सिंह योगी आदित्यनाथ व अखिलेश यादव से भू-माफिया पर कार्रवाई न किये जाने का जवाब मांगेगे।
उनकी महत्वाकांक्षा विधायक या राजनेता बनने की नहीं, बल्कि योगी व अखिलेश की कथनी-करनी के अंतर को लोगों के सामने लाने की है। वर्तमान में जनपद शामली की ऊन तहसील के गांव चैसाना की करीब 4 हजार बीघा सार्वजनिक कृषि भूमि पर भू-माफिया का अवैध कब्जा है। 26 फरवरी 1996 को चैसाना के मास्टर विजय सिंह ने अवैध कब्जा हटवाने की मांग करते हुए मुजफ्फरनगर डीएम कार्यालय के समक्ष धरना शुरू किया था, लेकिन धरने के 26 साल बीतने के बावजूद आज तक कोई भी सरकार जनहित में भू माफिया से करोड़ों की सार्वजनिक कृषि योग्य भूमि से कब्जा हटवाकर मास्टर विजय सिंह को न्याय नहीं दिलवा सकी।
योगी भी नहीं कर सके अपनी कराई जांच पर कार्रवाई
आठ अप्रैल 2019 को योगी की शामली में हुई चुनावी सभा में विजय सिंह ने प्रदर्शन किया था, जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीएम शामली को जांच कराने के आदेश दिये थे। एसडीएम ऊन सुरेन्द्र सिंह ने जांच कर रिपोर्ट डीएम को रिपोर्ट दी थी जिसमें सैकड़ों करोड़ की हजारों बीघा सार्वजनिक कृषि भूमि पर पूर्व विधायक ठा. जगत सिंह का अवैध कब्जा साबित हुआ था।
रिपोर्ट में ठा. जगत सिंह को भू माफिया घोषित करने की संस्तुति भी की गई थी, जिसके बाद डीएम शामली ने मौके पर पहुंचकर भौतिक सत्यापन कर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेज दी थी। विजय सिंह का कहना है कि योगी ने शामली की भरी सभा में 8 अप्रैल 2019 को जो वायदा किया था उसके बाद दो साल तक सूबे का सीएम रहते भी उसे पूरा नहीं किया। सीएम योगी के 5 साल के कार्यकाल में मास्टर विजय सिंह अनेकों बार लखनऊ मुख्यमंत्री निवास जाकर सीएम योगी से मुलाकात का समय मांगा, परंतु कोई समय नहीं दिया गया।
अखिलेश के आदेश पर भी नहीं हुई थी कोई कार्रवाई
2012 में कृषि भूमि अवैध कब्जा मुक्त कराने के लिए मा. विजय सिंह पदयात्रा करते हुए लखनऊ पहुंचे थे। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात कर भूमि कब्जा मुक्त कराने की मांग की थी, जिस पर जांच कमेटी गठित की गई लेकिन आरोपियों के सपा में चले जाने के कारण राजनीतिक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। जांच कमेटी आय का साधन मखोल बन कर रह गई थी।
अवैध हिरासत में रख अंजाम तक पहुंचाने का था इरादा
विजय सिंह ने बताया कि सीएम योगी की कराई जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग के लिए वह 25 दिसंबर 2021 को लखनऊ गए थे। जब वह एक पत्र टाइप कराने जा रहे थे तो जीपीओ पर लखनऊ एलआइयू इंस्पेक्टर अश्वनी सिंह ने हजरत गंज कोतवाली पुलिस से उन्हें अवैध हिरासत में लिवा लिया था। कोतवाली पर उन्हें पांच घंटे तक अवैध हिरासत में रखा गया। एलआईयूी इंस्पेक्टर का इरादा अच्छा नहीं था, लेकिन इस दौरान एक पत्रकार ने कोतवाली पहुंचकर उन्हें छुड़वाया।
भू-माफियाओं के समर्थन 19 सितंबर 2019 को तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी ने मास्टर विजय सिंह से अभद्रता करते हुए 5 मिनट में कचहरी से धरना हटवा दिया तथा अंडरवियर सुखाने को लेकर महिला लज्जा भंग किया का बेहूदा मुकदमा दर्ज करा दिया था। समाज में भाजपा की किरकिरी व नेताओं मीडिया सामाजिक संगठनों तथा जन सामान्य के भारी विरोध के चलते पुलिस ने मुकदमे को खारिज कर दिया था।
आंदोलन बना दुनिया का सबसे लम्बा धरना
दुनिया का सबसे लंबा धरना रिकार्ड में हो चुका दर्ज, सार्वजनिक कृषि भूमि कब्जा मुक्त कराने की मांग के लिए विजय सिंह 26 साल से अनवरत धरना दे रहे हैं। उनका धरना लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स, एशिया बुक आफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स, वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया तथा मीरा सेल्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो चुका है।
बसपा सरकार में माना था अवैध कब्जा
बसपा सरकार के दौरान प्रमुख सचिव गृह ने कार्रवाई का आदेश दिया था जिस पर जिला प्रशासन ने 300 बीघा भूमि अवैध कब्जा मुक्त कराई थी। बाद में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते कार्रवाई पर विराम लगा था।
कमिश्नर एवं आईजी सीबीसीआइडी की जांच में भी हुई अवैध कब्जे की पुष्टि
मेरठ मंडल कमिश्नर एचएल बिरदी ने 1995 में सारे मामले की जांच कर घोटाले की पुष्टि करते हुए रिपोर्ट प्रेषित की थी। आईजी सीबीसीआइडी ए.सी शर्मा (पूर्व डीजीपी उप्र.) ने जांच कर अवैध कब्जे की पुष्टि कर शासन को रिपोर्ट भेजी थी।