- नवरात्रों में राजनीति में उथल पुथल व भूकंप का बना रहेगा खतरा, धन हानि की भी बनेगी संभावना
- माता रानी की उपासना में कलश की स्थापना एवं शुभ स्थान, शुभ समय पर होने पर ही मिलेगा उत्तम फल
जनवाणी संवाददाता |
बागपत: इस बार माता रानी डोली में सवार होकर आएगी और नौ दिन बाद भी डोली में सवार होकर जाएगी। माता रानी के डोली में रहने से इस बार राजनीति में उथल पुथल, भूकंप का खतरा व धन हानि की संभावना बना रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने कहा कि माता रानी की उपासना में कलश की स्थापना एवं शुभ स्थान व शुभ समय पर ही उत्तम फल की प्राप्ति होगी और सभी को विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए।
नगर के बाबा जानकीदास मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि शारदीय नवरात्र सात अक्टूबर दिन गुरुवार से प्रारम्भ हो रहे है। इस समय शरद ऋतु होने के कारण वश इन्हें शारदीय नवरात्र कहा गया है। नवरात्र के अलावा विजय दशमी, शरद पूर्णिमा इस पक्ष के प्रमुख पर्व है।
भगवती पराम्बा दुर्गा इस बार डोली पर सवार होकर आयेगी और 14 अक्टूबर गुरुवार को रामनवमी होने के कारण माता रानी का प्रस्थान भी डोली पर होगा। नवरात्र इस बार आठ दिन के होंगे। डोली पर माता रानी सवार होकर आयेगी तो इस कारण स्त्री शक्ति को मजबूती मिलेगी।
राजनीति में उथल पुथल की स्थिति ज्यादा रहेगी भूकम्प आदि प्राकृतिक घटनाओं का योग ज्यादा बनेगा और जन धन की हानि को भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे माता हमेशा शुभ ही करती है।
नवरात्र में तन्मय होकर मात रानी की उपासना करें अच्छा ही अच्छा होगा। महाकाल महालक्ष्मी मां सरस्वती इन तीन शक्तियों का पूर्ण रूप है। भगवती दुर्गा शत्रु बाधा प्रेत बाधा हर तरह की बाधाओं से मुक्ति देती है। महाकाली धन ऐश्वर्य देती है माता महालक्ष्मी विद्या वुद्धि विवेक देती है।
इस तरह करें कलश की स्थापना
ईशान कोण में रेत या मिट्टी डालकर उसमें जौ बोये उसके ऊपर मिट्टी का घड़ा जल भरकर रखे घड़े के अन्दर रोली, चावल, सुपारी, फूल, मिष्ठान आदि डाले उसके ऊपर आम के पत्ते लगाये। ऊपर करवा रखे करवे के ऊपर सरायी में चावल भरकर रखे। नारियल में लाल कपड़ा लपेटकर सरायी के ऊपर रखे ये ध्यान रखे नारियल का मुख सामने ही रहे, अगर नारियल का मुख नीचे को होता है तो शत्रु बढ़ते है।
ऊपर के मुख से रोग बढ़ते है नारियल का मुख वो होता है जो अंग नारियल के पेड़ से अलग होता है। अखंड दीपक ईशान कोण के कलश के पास ही लगाये। माता रानी के लिए घी का दीपक लगाये। भैरव जी के लिए तेल का दीपक अग्नि कोण में लगाये। अग्नि कोण मतलब पूर्व दक्षिण का कोना माता रानी की स्थापना चौकी पर लाल कपड़ा दिखाकर कलश के वाली तरफ करें नित्य प्रति पूजा पाठ करने के बाद माता रानी से क्षमा प्रार्थना अवश्य करें और माता रानी जाने अनजाने जो गलती हुई हो उसे क्षमा करे।
व्रत में क्या करें
व्रत में फलादि का सेवन करे हो सकें तो रस युक्त फल ही ले भगवती दुर्गा के बीज मन्त्र का जाप करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, रात्रि मे कीर्तन करे। सुबह शाम दोनों समय आरती करे।
क्या न करें
सरसों के तेल का प्रयोग बिलकुल भी न करे ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। किसी की निंदा न करे, खुले बालो से पूजा न करे इससे दोष लगता है घर में कोई भी मादक पदार्थों का सेवन न करें।
कलश स्थापना का शुभ समय
सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 15 तक का समय उत्तम है।