- 40 साल से पुतले तैयार कर रहा है मुस्लिम परिवार
सागर कश्यप |
मेरठ: विजयदशमी का पर्व नजदीक आते ही श्रीरामलीला मंचन और दशहरा मेला की तैयारियां तेज हो गई हैं। अगले माह 15 अक्टूबर को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। जिसको लेकर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनना भी शुरू हो गए हैं, लेकिन इस बार पुतलों का खर्चा पिछले साल के मुकाबले बढ़ गया है। लकड़ी के बांसों की महंगाई के चलते रावण इस बार खर्चीला होगा।
लॉकडाउन के चलते पिछले वर्ष सांकेतिक रूप से दशहरा मेले का आयोजन किया गया था। जिसमें तीनों पुतलों की ऊंचाई भी कम कर दी गई थी। लेकिन इस बाद भैंसाली मैदान में एक बार फिर से विशाल रावण का पुतला दहन किया जाएगा। इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 120 फीट होगी और यह पुतला घोड़ों के रथ पर सवार होगा, लेकिन इस बार का पुतला हर बार के मुकाबला खर्चीला साबित होने जा रहा है, जिसका मुख्य कारण है लकड़ी के बांसों का महंगा होना है। लकड़ी के बांस इस बार काफी महंगे हो गए हैं। जिस वजह से पुतलों का खर्च भी बढ़ गया है।
पुतले बनाने में लगते हैं करीब 1500 बांस
रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाने में लगभग 1500 बांसों और डेढ़ कुंतल कागज की रद्दी का इस्तेमाल किया जाता है। भैंसाली मैदान में पुतले तैयार कर रहे कारीगर असलम ने बताया कि इस बार बांस काफी महंगे हो गए हैं। पहले 60 रुपये का मिलने वाला बांस अब 80 रुपये का हो गया है। जिस वजह से इसका खर्चा भी बढ़ गया है।
बता दें कि असलम का परिवार पिछले 40 सालों से पुतले बनाने का काम करता है और हर वर्ष भैंसाली मैदान ही नहीं बल्कि शहर में अन्य जगहों के भी पुतले वह तैयार करते हैं। इसके अलावा कांवड़ यात्रा के समय परिवार कांवड़ भी बनाता है। फिलहाल परिवार के मुखिया असलम अपने पांचों बेटों के साथ भैंसाली मैदान स्थित श्रीरामलीला भवन में पुतले बनाने में जुटे हैं और 15 अक्टूबर तक पुतले तैयार कर मैदान में खड़े कर दिए जाएंगे।