- निगम अधिकारी, जीआईएस कंपनी के बीच लगते रहे सर्वे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप
- वर्तमान में निगम को 55 से 60 करोड़ रुपये का प्राप्त होता है राजस्व
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में लखनऊ की कंपनी आईटीआई लिमिटेड के द्वारा किये जा रहे जीआईएस सर्वे पर शासन की तरफ से करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये का खर्च करके जो सर्वे का कार्य कराया जा रहा है। उस सर्वे का कार्य पूरा होते ही नगर निगम के राजस्व में दो गुना से अधिक की बढ़ोतरी होगी।
अभी शहर मेंं एक चौथाई सर्वे का कार्य पूरा हो सका है। जिसमें 2022 के सर्वे के आधार पर टैक्स लगाते हुए जमा करने के लिए नोटिस निगम के द्वारा भेजा जा रहा है। जैसे ही सर्वे का कार्य पूर्ण हो जायेगा उसके बाद निगम के राजस्व में दो गुणा से अधिक की वृद्धि होगी।
शासन की तरफ से प्रदेश की सभी 17 नगर निगमों में जीआईएस सर्वे को लेकर करीब चार वर्ष पूर्व चार अलग-अलग कंपनी को सर्वे का कार्य करने के लिए ठेका दिया गया। निगम के मुख्य कर निर्धारण से लेकर कर अधीक्षक तक सर्वे के कार्य को अच्छी तरह से पूरा नहीं करने को लेकर शासन की तरफ से यह कदम उठाया गया। जिसमें शहर में करीब चार वर्ष पूर्व आईटीआई लिमिटेड कंपनी को सर्वे का कार्य दिया गया।
जिसमें निगम के अधिकारियों के द्वारा पूर्व में जिस लखनऊ की कंपनी को सर्वे का कार्य दिया गया उसे बाहरी बताकर कुछ विरोध भी जताया गया था। जिसमें बताया गया कि बाहर से आने वाली टीम सर्वे का कार्य अच्छी तरह से नहीं कर सकती। यदि स्थानीय कंपनी को टेंडर दिया जाता तो वह निगम के अधिकारियों से मिलकर सर्वे का कार्य अच्छे से कर सकती थी, लेकिन जिस कंपनी को जहां पर ठेका मिला उसने वहां पर सर्वे का कार्य शुरू किया।
जोकि सर्वे के बाद 2022 से उस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर टैक्स लगाया जाने लगा। सर्वे के दौरान निगम के अधिकारियों की खामी भी खुलकर सामने नजर आई। जिसमें जिन भवनों पर गृहकर के रूप में टैक्स लगाया हुआ था,अधिकतर में व्यवसाय चलता मिला। जिसमें अब सर्वे के बाद गृहकर की जगह व्यवसायिक टैक्स लगाया गया है। शहर में पूर्व के सर्वे में करीब ढाई लाख मकान/प्रॉपर्टी दर्ज थी।
जबकि जो सर्वे चल रहा है,उसका कार्य पूर्ण होते ही शहर में करीब साढेÞ तीन लाख से अधिक मकान/प्रॉपर्टी होने का अनुमान है। जिसमें दो गुना से अधिक प्रॉपर्टी/मकान की संख्या बढ़ने का अनुमान हैं। अब तक 55 से 60 करोड़ रुपये का राजस्व निगम को प्राप्त होता है। सर्वे का कार्य पूरा होते ही यह राजस्व एक अरब को पार कर जायेगा। जिसमें जहां एक तरफ सवाल उठाया जा रहा है कि निगम में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी,
कर अधीक्षक एवं कनिष्ट अधिकारी सर्वे का कार्य पूर्व में करते थे यदि वह सर्वे का कार्य करते तो निगम के करीब साढे पांच करोड़ रुपये खर्च होने से बच जाते, लेकिन यदि निगम के अधिकारी सर्वे करते तो कुछ कम ही प्रॉपर्टी सर्वे में पूर्व की भांति दर्शाई जाती, लेकिन प्राइवेट कंपनी के द्वारा जो सर्वे किया जा रहा है,उससे निगम के राजस्व में काफी बढ़ोतरी होने की बात सामने आ रही है।
नगर निगम क्षेत्र में जीआईएस सर्वे जोकि आईटीआई लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। उस सर्वे का कार्य पूरा होते ही निगम के राजस्व में दो गुणा से अधिक वृद्धि होने का अनुमान हैं। जिसमें अब तक ढाई लाख मकान एवं प्रॉपर्टी दर्ज हैं, सर्वे के बाद एक लाख से अधिक ओर बढ़कर करीब साढ़े तीन लाख की संख्या से अधिक हो जायेगी, जिसमें निगम का राजस्व करीब एक अरब को पार करने का अनुमान हैं। -अवधेश कुमार, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी नगर निगम