- 2018 में हुए एमबीबीएस कॉपी घोटाले की एसआईटी कर रही है जांच
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में एसआईटी द्वारा की जा रही एमबीबीएस कॉपी घोटाले की जांच काफी लंबी खींच चुकी है। जिसके बाद एसआईटी ने अब जांच में मिली तीन संदिग्ध कॉपियों को फॉरेसिंक जांच के लिए भेज दिया है। सूत्रों की माने तो टीम जल्द ही मेरठ आकर इस घोटाले का पर्दाफाश कर सकती है। कॉपियों की जांच फॉरेंसिक के लिए भेजी जाने के बाद से विवि के कई बड़े अधिकारी परेशानी में आ गई हैं, क्योंकि एमबीबीएस कॉपी घोटाले में विवि के कई बड़े अधिकारी और कर्मचारियों के नाम सामने आ सकते हैं।
बता दें कि 17 मार्च 2018 को छात्र कविराज और विवि के तीन कर्मचारियों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिसमें खुलासा हुआ था कि विवि छात्र नेता कविराज विवि कर्मचारियों की मदद से एमबीबीएस की कॉपियां बदलवा दिया करता था। इसमें उत्तर पुस्तिका के ऊपर के पेज को छोड़कर बाकी बदल दिए जाते थे।
एमबीबीएस स्नातक और परस्नातक में कॉपी बदलने की बात सामने आई थी। कॉपी घोटाले की जांच के लिए एसआईटी ने विवि के 31 कर्मचारियों को नोटिस जारी कर बयान के लिए लखनऊ भी बुलाया था। लंबे समय से एमबीबीएस कॉपी घोटाले की एसआईटी जांच कर रही हैं, लेकिन अब टीम कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है।
हैंडराइटिंग की होगी फॉरेंसिक जांच
विवि के उत्तर पुस्तिका सेक्शन में बीते दिनों एसआईटी की टीम ने घंटो छानबीन की थी। कॉपी घोटाले की जांच के लिए तीन से चार बार एसआईटी की टीम मेरठ आ चुकी है। इतना ही नहीं दो बार विवि के कई कर्मचारियों का बयान भी इस मामले में लिया जा चुका है।
वहीं विवि अधिनियम की जानकारी के लिए एसआईटी ने रेड बुक भी ली थी। मामले के तार छोड़ने के लिए 50 से अधिक कर्मचारियों की राइटिंग के सैंपल भी लिए गए थे। जिसमें से 30 कॉपियों की राइटिंग के सैंपलों को फॉरेसिक जांच के लिए भेजा गया है। विवि प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला का कहना है कि मामले में एसआईटी जांच कर रही है। विवि से टीम ने जो भी मांगा है, वह उनको दिया गया है।