- भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़ा है हरियाली तीज व्रत महत्व
- हरियाली तीज की पूजा में जरूर शामिल करें हरे रंग की चीजें प्रसन्न होंगे शिव-पार्वती
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बुधवार यानी सात अगस्त को सावन शुक्ल तीज है। इस दिन हरियाली तीज का व्रत किया जाता है। तृतीया तिथि की स्वामी देवी मानी गई है। इस वजह से तीज पर देवी पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने की परंपरा है। महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से हरियाली तीज प्रमुख है। इस साल हरियाली तीज के अवसर पर तीन शुभ योग बनेंगे। हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग बना है। वहीं परिघ योग प्रात: काल से लेकर सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है और उसके बाद शिव योग लगेगा। शिव योग अगले दिन तक रहेगा।
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन हरे रंग का खास महत्व होता है, क्योंकि हरा रंग महादेव को प्रिय होता है और सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इस दिन हरी साड़ी और चूड़ियां पहनी जाती है और सोलह शृंगार किया जाता है। महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ इन व्रत को रखती है, जबकि कुंवारी युवतियां जल्द विवाह के लिए यह व्रत रखती है।
मान्यता है कि इस व्रत से विवाह के जल्?द योग बनते हैं। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख, भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं। शादी के बाद पहली बार हरियाली तीज का व्रत रखने का अलग ही महत्व होता है। सावन माह के शुक्ल की तिथि की शुरूआत छह अगस्त यानी महलवार को होगी। यह तिथि रात 07 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी सात अगस्त को रात 10 बजकर 05 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व बताया गया है, ऐसे में हरियाली तीज सात अगस्त को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज पौराणिक कथा
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूम में पाने के लिए कठोर तप किया था। भगवान शिव ने माता पावर्ती की तपस्या को सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को स्वीकार किया था। इसके बाद से ही महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना और कुंवारी युवतियां जल्द विवाद के लिए यह व्रत रखती हैं।
विवाह के बाद की पहली तीज होती है विशेष
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, जो कि जरूरी रस्म होती है। इसके अलावा घेवर खाती हैं। असल में इस पर्व का नाम मधुश्रवा हरियाली तीज है। यह नाम इसलिए पड़ा कि इसमें मधु टपकता है। मिष्ठान्न खाने को मिलते हैं। खासकर नवविवाहिता की पहली तीज पर खास आयोजन होता है। ससुराल से उसके लिए सिंधारा आता है। इसमें घेवर, फेनी, कपड़े, मिष्ठान्न, फल आदि आते हैं।