- अधिकारी आंखें मूंद रहे, आम लोगों से लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेता भी कर रहे अवैध कब्जे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी संपत्तियों से अवैध कब्जे हटवाने और भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश के बावजूद कंकरखेड़ा बाइपास पर कई अरब रुपये कीमत की सरकारी भूमि की खुलेआम लूट चल रही है। इस बेशकीमती भूमि पर धड़ल्ले से अवैध कब्जे करके भूमाफियाओं द्वारा अवैध रूप से भवन खड़े किए जा रहे हैं।
दो रास्तों की इस जमीन को कब्जाने में आम लोगों से लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेता भी पीछे नहीं हैं। यहां भूमाफियाओं ने दर्जनों दुकानों के साथ-साथ होटल, रेस्टोरेंट, कारखाने और बहुमंजिला बिल्डिंग खड़ी कर दी। यहां एक नेता भूमि कब्जा करके एक शॉपिंग माल बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उक्त भूमि पर मिट्टी डालकर भराव कराया जा रहा है। यहां सरकारी भूमि से अवैध निर्माण पर मुख्यमंत्री का बुल्डोजर कोई अधिकारी चलाने को तैयार नहीं।
कंकरखेड़ा में दिल्ली देहरादून बाइपास पर ओवरब्रिज से सटी और कंकरखेड़ा के मेन रोड पर स्थित दो रास्तों की बेशकीमती जमीन सीलिंग की है। यह जमीन करीब डेढ़ सौ बीघा बताई जाती है। इस क्षेत्र में करीब डेढ़ लाख रुपये प्रति गज का बाजार भाव बताया जा रहा है। ऐसे में उक्त भूमि कई सौ करोड़ रुपये की आंकी जा रही है। गड्ढे के नाम से मशहूर इस भूमि पर भूमाफियाओं की नजर पड़ गई। इस भूमि पर भूमाफियाओं ने सरकारी अधिकारियों से सैटिंग करके कई वर्ष पूर्व अवैध कब्जा करके अवैध रूप से कुछ दुकानें बनार्इं और इन्हें चुपचाप लाखों रुपये में बेच दिया।
अधिकारियों से भूमाफियाओं का ऐसा तालमेल बैठा कि उनके लिए अवैध कब्जा करने को दरवाजे खोल दिए गए। छूट मिलते की भूमाफियाओं ने वहां होटल और बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर डाली। खास बात है कि सरकार द्वारा तालाबों के संरक्षण और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए अरबों रुपये हर वर्ष खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन यहां तो उल्टा हो गया। इसके विकास पर कोई पैसा खर्च किया गया और बल्कि इस जमीन को भूमाफियों के सुपुर्द करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। हालत यह है कि अब यहां अवैध कब्जा करके दर्जनों दुकानें बन चुकी हैं। इनमें व्यापार चल रहा है।
कारखाने चल रहे हैं। कई भवन तो बहुमंजिला बन चुके हैं, जिनमें व्यापार हो रहा है। इसके अलावा होटल और रेस्टोरेंट भी संचालित हो रहे हैं। पिछले माह कुछ लोगों ने उक्त सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करके भवन खड़े किए जाने को लेकर एमडीए कार्यालय पर प्रदर्शन कर विरोध जताया था और अवैध कब्जों व अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की मांग की थी। खास बात ये है कि उक्त भूमि से थाना कंकरखेड़ा की दूरी मात्र दो सौ मीटर है, लेकिन भूमाफियाओं ने पुलिस की आंखों पर ऐसी पट्टी बांधी कि उन्हें दिन में कई बार वहां से गुजरने पर भी उक्त सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा होना नजर ही नहीं आता।
वहां दिन रात भूमाफिया कब्जा करके काम करते हैं, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाती। अब इस बेशकीमती भूमि के करीब दस बीघा के भाग पर कंकरखेड़ा में भूमाफिया के नाम से चर्चित एक नेता द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। इस सरकारी भूमि पर दिन रात मिट्टी डालकर भराव किया जा रहा है, लेकिन न तो जिम्मेदार अधिकारी इसे रोकने को तैयार और न ही पुलिस भूमाफिया नेता पर कोई कार्रवाई करने को राजी है। यही हालत रही तो सरकारी की अरबों की कीमत की भूमि का नामो निशान मिट जाएगा।
मेरठ डिपो को शिफ्ट करने की हो चुकी पेशकश
यूपी रोडवेज को मेरठ डिपो को कंकरखेड़ा में शिफ्ट करने के लिए अरबों की कीमत की इस सरकारी भूमि को कई बार देने की बात की गई। उम्मीद की जा रही थी कि यदि उक्त बस अड्डे को कंकरखेड़ा की उक्त सरकारी भूमि पर शिफ्ट कर दिया गया तो शहर में लगने वाले जाम की काफी हद तक निजात मिलेगी। वर्ष 2000 में रोडवेज के अधिकारियों ने यहां बस अड्डे को शिफ्ट करने का मन भी बना लिया था। इसके लिए रोडवेज ने सिविल इंजीनियरों की टीम से उक्त भूमि की जांच कराई तो जांच में उक्त भूमि बहुमंजिला भवन के लिए उपयोगी नहीं पाई गई। इंजीनियरों ने उक्त भूमि को दलदल रूपी बताते हुए यहां बस अड्डा बनाने के लिए अनुपयोगी करार दिया था।
कंकरखेड़ा के पास मेडा की जमीन पर अवैध कब्जे वालों को चिह्नित कर लिया गया है। जल्द ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कराई जाएगी। इससे पहले भी कब्जा करने वाले 24 लोगों के खिलाफ कंकरखेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई थी। -अर्पित यादव, जोनल इंचार्ज, मेरठ विकास प्राधिकरण।