- जनवाणी टीम ने शहर के प्रमुख चौराहों पर भ्रमण किया तो अलग ही सामने आई पुलिसकर्मियों
की कार्यशैली
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर की यातायात व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। पूरे दिन शहर के लोग चौराहों और सड़कों पर जाम से जूझते हैं। सुलभ यातायात के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैनाती होती है। कमोबेश, हर प्रमुख चौराहे पर कई-कई पुलिसकर्मी रहते हैं, लेकिन इनकी दिलचस्पी यातायात को सुव्यवस्थित बनाने में नहीं, बल्कि उन गाड़ियों को रोकने में रहती है, जो बाहरी शहरों या राज्यों की होती हैं। कई बार तो ट्रैफिक संचालन छोड़ पुलिसकर्मी बाहरी गाड़ी को लपकने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
कमिश्नर आवास चौराहा, माल रोड, कंपनी गॉर्डन, भगत लाइन, बाइपास के सभी चौराहों पर पूरे दिन यातायात पुलिसकर्मियों के झुंड बाहरी गाड़ियों को रोककर वसूली करते देखे जा सकते हैं। ऐसे में बाहरी राज्यों से आने वाले लोग कोसते हुए ही आगे बढ़ते हैं। अब भले ही यह सब करके पुलिस का राजकीय कोष में कोई इजाफा न हो रहा तो पर यातायात पुलिस में कर्मचारी जरूर मालामाल हो रहे हैं।
दरअसल, मंगलवार को जनवाणी टीम ने शहर के प्रमुुख चौराहों का भ्रमण किया। जिसमें ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की कार्यों की सच्चाई जानने की कोशिश की गई, लेकिन इस दौरान तो ट्रैफिक कर्मियों की अलग ही कार्यशैली नजर आई। मेरठ में अधिकांश चौराहों पर ट्रैफिक रेड लाइट लगी है। ऐसे में रेड लाइट होने पर भी अगर उन्हें यूपी-15 के अलावा अन्य जिलों या राज्यों के नंबर की कोई गाड़ी दिखती है तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड उन्हें तुरंत रोक लेते हैं। इसके बाद गाड़ी को किनारे लगवाते हैं।
डीएल, प्रदूषण, आरसी समेत तमाम पेपर मौजूद होने पर भी वाहन चालकों को रूकना ही पड़ता है। जिसके बाद चालक को गाड़ी से उतारकर साइड में ले जाकर बातचीत की जाती है। हालात यह हैं कि दूसरे जिले से कोई भी गाड़ी मेरठ सीमा में दाखिल हो जाए, फिर तो ट्रैफिक कर्मी और होमगार्ड अपना मिशन कंपलीट मान लेते हैं। कमिश्नरी आवास चौराहा, मवाना रोड स्थित एक्सीडेंट जोन एरिया, चीता चौराहा, माल रोड, इलाहाबाद बैंक चौराहा, चिराग स्कूल चौराहा, कंपनी बाग चौराहा, मोदीपुरम बाइपास, बेगमपुल चौराहा, बच्चा पार्क, इंद्रा चौक, हापुड़ अड्डा चौराहा, यूनिवर्सिटी रोड और जेल चुंगी चौराहा सहित कई तमाम रोड और चौराहों पर जनवाणी टीम ने भ्रमण किया।
इस दौरान अधिकांश चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड रेड लाइट से तकरीबन 50 मीटर की दूरी पर छाव में खड़े दिखाई दिए। सुबह 11 से दोपहर दो बजे तक अलग-अलग समय और चौराहों पर देखा गया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को यातायात व्यवस्था से कोई मतलब नहीं है, उनका टारगेट सिर्फ बाहरी गाड़ियों को रोककर उनसे अपना उल्लू सीधा करना है। चौराहों पर देखा गया कि जिन गाड़ियों पर यूपी-15 नंबर है, उन्हें नहीं रोक जाता, लेकिन यूपी-81, एचआर, डीएल, एमपी, सीएच, यूके, एचपी आदि राज्यों के नंबरों की गाड़ियों को देख यह ट्रैफिक पुलिसकर्मी ऐसे घेर लेते हैं, जैसे किसी अपराधी की घेराबंदी की जा रही हो। फिर जो कुछ होता है, उसे हर शहर वासी अब जान और समझ गया है।
योगी सरकार की छवि को पलीता
चेकिंग के नाम पर जिस तरह से शहर की सड़कों पर टैÑफिक पुलिस खुली उगाही पर उतरी हुई है। उससे सूबे की योगी सरकार की कोशिशों को पलीता लग रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम योगी सरकार की जीरो टोलरेंस नीति को इस तरह के कार्य केवल नुकसान पहुंचा रहे हैं और कुछ नहीं। हैरानी तो इस बात की कि भाजपा के तमाम नेता इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। उसके बाद भी सड़कों पर उगाही का यह खेल खत्म होता नजर नहीं आ रहा है।
एक ही चौराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का ‘झुंड’
शहर में जाम के झाम से हर कोई परेशान है। जाम लगने पर दूर-दूर तक एक भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिखाई नहीं देता है, लेकिन अगर आप किसी चौराहे पर निकलेंगे तो यातायात पुलिसकर्मियों का ‘झुंड’ एक ही जगह नजर आएगा। ये ट्रैफिक पुलिसकर्मी बाहरी जिलों के वाहनों पर चील और बाज की तरह झपटते है। जबकि वाहन चालक रेड लाइड के माध्यम से चलते रहते है और पुलिसकर्मी अपना मकसद पूरा करने में जुटे रहते है।
हापुड़ अड्डा चौराहे पर जाम, ट्रैफिक पुलिस कर्मी नदारद
हापुड़ अड्डा चौराहे पर भी लगभग एक बजे जनवाणी टीम पहुंची, यहां उन्हें जाम की स्थिति तो देखने को मिली, लेकिन एक भी यातायात पुलिसकर्मी नहीं दिखा। वहीं, चौराहे पर ‘ई-रिक्शा फ्री जोन’ का बोर्ड भी लगा देखा गया। बावजूद इसके यहां इतनी संख्या में ई-रिक्शाएं खड़ी मिली, जिन्हें गिन पाना भी मुश्किल हो रहा था। इन ई-रिक्शाओं के कारण ही जाम लगा हुआ था। जिन्हें हटाने के लिए कोई यातायात पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।