मानव समाज में शिक्षा का अत्यधिक महत्व है। अच्छी शिक्षा द्वारा ही एक सभ्य समाज की नींव रखी जा सकती है। एक सुदृढ शिक्षा प्रणाली समाज के बहुमुखी विकास और उत्थान के लिए अत्यधिक आवश्यक है। एक विश्वसनीय और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली को शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहा जा सकता है क्योंकि इसके द्वारा ही योग्य व कर्मठ उम्मीदवारों का चयन संभव है। भारत की शिक्षा प्रणाली को दोषमुक्त और प्रभावी बनाने के लिए सरकार तथा शिक्षा संस्थानों ने समय-समय पर अनेक कदम उठायें हैं। परंतु फिर भी पेपर लीक की घटनाएं बार-बार सामने आती ही रहती है। ऐसी घटनाएं न केवल शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करतीं हैं बल्कि छात्रों का भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है। प्रश्न पत्र लीक की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। स्वतंत्रता के बाद से ही ऐसी घटनाएं होती रही हैं। 1980 और 1990 के दशकों में भी कई बड़ी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हुए थे। लेकिन, वर्तमान समय में इंटरनेट टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के प्रसार ने इन घटनाओं को और भी व्यापक बना दिया है। 2017 में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी लीक हुए थे। इसके बाद छात्रों ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। 2018 में सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हो गए थे। इस घटना ने सारे देश को हिला दिया था तथा इससे छात्रों और उनके अभिभावकों में काफी रोष था। सीबीएसई ने बाद में पुन: परीक्षाएँ आयोजित की थीं। पेपर लीक की इन घटनाओं ने अनेक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को प्रभावित किया है। उदाहरण के लिए, फरवरी 2024 में निर्धारित यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा को पेपर लीक के आरोपों के कारण रद्द कर दिया गया। अभी हाल ही में 5 मई, 2024 को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता की प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) का पेपर लीक होने की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है।
इसी लीक के चलते जून सत्र की यूजीसी-नेट, 2024 की परीक्षा भी रद्द कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 की परीक्षा को दोबारा कराने की याचिका पर 8 जुलाई को सुनवाई में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर कदाचार और अनियमितताएं हुई हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका की सुनवाई को 18 जुलाई,2024 के लिए स्थगित किया है। शीर्ष अदालत ने सीबी आई को भी इस संदर्भ में प्रगति रिपोर्ट जमा करने को कहा है।
पेपर लीक की इन घटनाओं ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में आक्रोश और चिंता को जन्म दिया है। इन घटनाओं ने परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, विश्वसनीयता और वर्तमान में मौजूद उपायों की प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रश्न पत्र लीक की घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं जैसे शिक्षा प्रणाली में फैला भ्रष्टाचार एक मुख्य कारण है। कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से प्रश्न पत्र लीक हो जाते हैं। वर्तमान समय में मौजूदा टेक्नोलॉजी, इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए प्रश्न पत्र लीक करना अब आसान हो गया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दुरुपयोग भी इस दिशा में एक बड़ा कारण है। छात्रों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और अच्छे अंक प्राप्त करने का दबाव भी इन्हें इस प्रकार के अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रश्न पत्र लीक की घटनाओं के अनेक नकारात्मक प्रभाव होते हैं। इन घटनाओं से छात्रों की मन:स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उनकी मेहनत का मूल्यांकन सही ढंग से नहीं हो पाता और उन्हें पुन: परीक्षा देनी पड़ती है। प्रश्न पत्र लीक होने से शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। इससे शिक्षा संस्थानों की साख पर असर पड़ता है। जो छात्र मेहनत से पढ़ाई करते हैं, वे अन्य छात्रों के मुकाबले असमानता का सामना करते हैं। इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है। प्रश्न पत्र लीक की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। प्रश्न पत्र लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इससे अन्य लोगों के लिए भी एक सख्त संदेश जाएगा। प्रौद्योगिकी का सही उपयोग कर प्रश्न पत्रों की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। जैसे कि एन्क्रिप्टेड प्रश्न पत्र, डिजिटल हस्ताक्षर और ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच जन जागरूकता फैलाना भी आवश्यक है। उन्हें यह समझाना चाहिए कि प्रश्न पत्र लीक का उपयोग करना अनैतिक और अवैध है।
जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की अखंडता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और नवाचार को प्राथमिकता देना अति आवश्यक है। प्रश्न पत्रों के प्रबंधन और वितरण की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए एक सख्त नियंत्रण और निगरानी प्रणाली का होना आवश्यक है। शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना भी महत्वपूर्ण है। छात्रों पर से परीक्षा का दबाव कम करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक है। इससे छात्रों को अनुचित साधनों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी।
पेपर लीक की घटनाएं शिक्षा प्रणाली के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार, शिक्षा संस्थान, छात्र और समाज सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। केवल तभी हम एक निष्पक्ष और विश्वसनीय शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं, जो हमारे देश के भविष्य को सुरक्षित और उज्जवल बना सके।