- अस्पताल प्रशासन पर लगाया गया लापरवाही का आरोप
- पुलिस ने कराई मध्यस्थता, देर रात में निपटा मामला
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: लगातार चर्चाओं में रहने वाले अस्पताल में एक बार फिर हंगामा हो गया। अस्पताल में उपचार के दौरान एक मरीज की मौत हो गई थी। परिजनों ने मरीज की मौत का कारण अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही बताया। देर रात तक हंगामा चलता रहा।
पूर्व राज्यमंत्री योगराज सिंह व सिविल लाइन पुलिस ने मध्यस्थता कराकर मामले को निपटवाया। जिस अस्पताल में यह हंगामा हुआ वह अस्पताल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अवैध वसूली को लेकर काफी चर्चाओं में
रहा था।
भौराकलॉ थाना क्षेत्र के गांव शिकारपुर निवासी रोशन पुत्र राधेश्याम को करीब तीन दिन पूर्व हृदय रोग से पीडित होने के कारण टाऊनहॉल रोड पर स्थित डॉ0 देवेन्द्र सैनी के हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। मरीज के परिजनों का आरोप है कि उनसे मरीज के भर्ती होते ही 80 हजार रुपये जमा करा लिए गए।
उनका आरोप है कि डॉक्टर मरीज को देखने तक नहीं आए। यहां तक कि जब मरीज अस्पताल में जिंदगी ओर मौत से जूझता हुआ तडफ रहा था तो अस्पताल के कर्मचारी भी वहां मौजूद नहीं थे।
परिजनों के अनुसार बीती रात करीब आठ बजे रोशन की मौत हो गई, लेकिन उन्हें 10 बजे इसकी सूचना दी गई। मरीज की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों ने हंगामा शुरु कर दिया। सूचना पाकर थाना सिविल लाईन पुलिस भी मौके पर पहुंची।
देर रात करीब एक बजे पूर्व मंत्री तथा रालोद नेता योगराज सिंह मौके पर पहुंचे, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन, चिकित्सकों, थाना सिविल लाइन पुलिस व परिजनों के बीच समझौते के बाद यह मामला निपटा।
कोरोना काल में भी चर्चाओं में रहा है अस्पताल
डा. देवेन्द्र सैनी का सिटी हाॅर्ट हाॅस्पिटल कोरोना काल में भी काफी चर्चाओं में रहा है। कोरोना काॅल में देवेन्द्र सैनी के अस्पताल को कोविड सेन्टर बनाया गया था। इस दौरान डा. देवेन्द्र सैनी पर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के नाम पर अवैध वसूली किये जाने के आरोप लगे थे।
इस दौरान उपचार के दौरान एक मरीज की मौत हो जाने के बाद काफी हंगामा हुआ था, जिसमें डा. देवेन्द्र सैनी के भाई पर भी मरीज के परिजनों को पिस्तौल दिखाकर धमकाने का आरोप लगाया गया था।
क्या कहता है अस्पताल प्रशासन
सिटी हाॅर्ट हाॅस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर व डा. देवेन्द्र सैनी के भाई मनीष सैनी ने बताया कि मरीज को गंभीर हालत में उनके अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज के परिजनों को मरीज की स्थिति के बारे में बताते हुए उनसे कागजों पर हस्ताक्षर भी लिये गये थे, परन्तु मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया।
मरीज का पूरी तवज्जो से उपचार किया गया है तथा उसके उपचार में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गयी है।