- ऊर्जा निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर के परिजनों ने करा दी एफआईआर, नहीं दे रहे प्लाटों पर कब्जा
- जिन आंवटियों ने प्लाट का बैनामा करा लिया, अब एमडीए प्लाट मांग रहा वापस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एयरपोर्ट अथॉरिटी के बीच कुछ प्लॉट बाधा बन गए हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने हवाई पट्टी का विस्तार करने के लिए जिन प्लॉट को खाली करने की बात कही है, उन प्लॉटों का मेरठ विकास प्राधिकरण आवंटन कर चुका हैं। बाकायदा उनकी रजिस्ट्री भी हो चुकी है। ऐसे में मेरठ विकास प्राधिकरण लोगों से प्लाट कैसे खाली कराए? प्राधिकरण की तरफ से इस दिशा में प्रयास भी किए गए, लेकिन प्लाट वापस करने से आवंटियों ने इंकार कर दिया।
ऊर्जा निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर और उनके परिजनों ने सिविल लाइन थाने में मेरठ विकास प्राधिकरण के खिलाफ एक एफआईआर भी दर्ज कराई है, जिसमें कहा है कि प्राधिकरण उनसे जबरिया प्लॉट छोड़ने की बात कर रहा है, जबकि प्लाट की बाकायदा रजिस्ट्री की गई है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने 254 प्लाट ऐसे हैं, जिन पर आवंटियों को कब्जा नहीं मिल पाया। इस जमीन पर मेरठ विकास प्राधिकरण की बजाय किसानों का कब्जा है। किसान जमीन पर कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं।
इसी वजह से परतापुर हवाई पट्टी विस्तारीकरण के बीच किसान और यह प्लॉट आवंटी बाधा बने हुए हैं। 274 ऐसे प्लॉट हैं, जिन का आवंटन तो हो चुका है, लेकिन आवंटियों को अभी तक उन पर कब्जा नहीं मिला। दरअसल, ऊर्जा निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर और उनके परिजनों ने सिविल लाइन थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एयरपोर्ट एन्क्लेव में उन्हें मेरठ विकास प्राधिकरण का प्लॉट खरीदा गया था।
इस प्लॉट का बैनामा भी प्राधिकरण की तरफ से हो चुका है, लेकिन इस प्लॉट समेत कई अन्य प्लॉट भी हवाई पट्टी के विस्तारीकरण के बीच में बाधा बने हुए हैं। इसलिए आवंटियों को प्राधिकरण की तरफ से एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को लेकर ये आन रिकॉर्ड दे दिये गये, लेकिन जब यह प्लांट मेरठ विकास प्राधिकरण का है ही नहीं तो फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी को कैसे दिया जा सकता है?
आवंटन से पहले ही प्राधिकरण को यह विचार करना चाहिए था कि यह प्लॉट आवंटियों को नहीं बेचा जाए और एयरपोर्ट अथार्टी को दिया जाए। अब नियम यह कहता है कि प्राधिकरण बेचे गए अपने ही प्लॉटों का पुन: अधिग्रहण करें। इसके बाद ही एयरपोर्ट आॅथर्टी को यह जमीन हैंडओवर की जाए, लेकिन ऐसे में कई बाधाएं आ गई है, जो आवंटियों की वजह से। आवंटी अपना प्लॉट देने को तैयार नहीं है,
जिसके चलते एयरपोर्ट अथॉरिटी का हवाई पट्टी का विस्तारीकरण का मामला लटकता दिखाई दे रहा है। सोमवार को भी डीएम दीपक मीणा ने इससे संबंधित प्राधिकरण अधिकारियों और एयरपोर्ट आथर्टी के अधिकारियों के साथ मीटिंग की, जिसमें इसका कोई रास्ता निकालने का प्रयास किया। अब आवंटियों से ही इसको लेकर बातचीत की जाएगी, ताकि हवाई पट्टी के विस्तारीकरण में किसी तरह की रुकावट पैदा नहीं हो।
इन दो प्लाटों का हुआ बैनामा
शताब्दीनगर में रैपिड रेल के स्टेशन के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण ने 2269. 37 मीटर जमीन का बैनामा कर दिया। यह जमीन मेरठ विकास प्राधिकरण ने 99 वर्ष के लिए एनसीईआरटी सी को दे दी। जमीन के बैनामा को लेकर तो स्टांप दिया गया, लेकिन वर्तमान में मौके पर बिल्डिंग खड़ी हो गई है, जिस पर कोई स्टांप शुल्क देय नहीं हुआ।
हालांकि मेरठ विकास प्राधिकरण ने इस जमीन का बैनामा हाल ही में किया है और एनसीआरटीसी कब्जा पहले लेकर बिल्डिंग का निर्माण आरंभ करा चुकी है। ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट बन चुका है। अब बैनामा के दौरान जमीन पर एनसीआरटीसी ने स्टांप ड्यूटी दी है। बाकी बिल्डिंग पर स्टांप ड्यूटी नहीं दी। बैनामा में बिल्डिंग के निर्माण को होना नहीं दर्शाया गया। दरअसल, यह निर्माण सरकारी है। इस वजह से तमाम नियम कायदे कानून लागू नहीं होते। वैसे भी शहर के विकास से संबंधित कार्य हैं, जिस वजह से भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
यदि यही मामला किसी प्राइवेट व्यक्ति का होता तो जमीन के साथ-साथ बिल्डिंग पर भी स्टांप शुल्क देय होता। हम बात कर रहे हैं शताब्दीनगर स्थित सेक्टर 2सी-12 की। यह प्लांट एनसीआरटीसी को मेरठ विकास प्राधिकरण ने दिया है। इसी के साथ विद्युत सबस्टेशन के लिए भी सेक्टर 4-सी में चार हजार वर्ग मीटर जमीन दी गई है। इस जमीन का भी एनसीआरटीसी को बैनामा किया गया है। 99 रुपये में 99 वर्ष के लिए इसका बैनामा मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा किया गया।