- पीडब्ल्यूडी विभाग मौन, अधिकारी कर रहे अनदेखी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर के अंदर जो सड़कें बन रही है, वह कमीशनखोरी के खेल से घटिया स्तर की सामग्री से बन रही है। यदि शहर के बाहर की सड़कों को देखा जाए तो उनकी गुणवत्ता काफी अच्छी दिखाई देती है। जबकि शहर के अंदर सड़क बनते-बनते ही उखड़ने लगती है। सड़कों का निर्माण चाहे नगर निगम करा रहा हो या फिर पीडब्ल्यूडी विभाग।
जिसमें इंजीनियरों द्वारा कमीशनखोरी के खेल के चलते मानक के अनुसार जो सड़कें नहीं बनी है, उनका भी भुगतान करा दिया जाता है। जिसमें साफ कहा जा सकता है कि कमीशनखोरी के खेल में बनी सड़के ज्यादा दिन तक नहीं चलती, वह जर्जर होकर टूटने लगती है।
शहर से बाहर की सड़कों में एनएच-58 की सड़क हो या फिर अन्य सड़कें जो बनाई जाती है और जो शहर के अंदर सड़क बनाई जाती है, उनमें काफी अंदर देखने को मिलता है। शहर से बाहर जो सड़कें बनाई जा रही है। वह काफी हद तक मानक के अनुसार बनाई जाती है। जिसमें इंजीनियरों द्वारा भी ठेकेदारों का पेमेंट तक कराया जाता है। जब सड़क अच्छी बनी हो, लेकिन शहर के अंदर जो सड़कें निगम या पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बनाई जा रही है।
उसमें ठेकेदार एवं इंजीनियर के बीच का जो सेटिंग के रूप में कमीशनखोरी का खेल होता है। उसके चलते सड़क निर्माण के दौरान सड़क में किस तरह की सामग्री लगाई जा रही है, उस पर ध्यान नहीं दिया जाता। जिसके चलते सड़क बनते-बनते उखड़ने लगती है। शहर की अधिकतर ऐसी सड़कें हैं, जिनका हाल ही में निर्माण हुआ और वह उखड़ने लगी है। यहां तक कि सड़क में गड्ढे होना तो दूर की बात, दूर तक रास्ते पर तारकोल वाली सड़क ही दिखाई नहीं देती।
शहर की अधिकतर सड़कों का यही हाल है कि कमीशनखोरी के खेल के चलते इंजीनियरों द्वारा सड़कों को बिना अच्छी तरह से जांच किए ही पास करके उनका पेमेंट कर दिया गया। शहर के लोगों का कहना है कि जब तक ठेकेदार व इंजीनियर के बीच कमीशनखोरी की सेटिंग का खेल चलता रहेगा, तब तक शहर की सड़कों के हालात सुधरने वाले नहीं है। लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण के दौरान इंजीनियर नहीं बल्कि उच्चाधिकारियों को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिए।