Saturday, July 27, 2024
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रैपिडएक्स: भारत में नई ‘रेल क्र्रांति’ की शुरुआत

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  • जब आगाज ऐसा है तो फिर अंजाम कैसा होगा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: रैपिडएक्स (नमो भारत) ट्रेन हो या वंदे भारत अथवा मेट्रो ट्रेन। इन तीनों ट्रेनों का त्रिकोण भारत में रेल क्रांति का आगाज माना जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अभी तो रेल क्रांति का आगाज (शुरुआत) है, और जब आगाज ऐसा है तो फिर अंजाम (समापन) कैसा होगा।

दरअसल, भारत में रेलों का नेटवर्क अक्सर रेल यात्रियों को रास नहीं आता। पैसेंजर ट्रेनों की लेटलतीफी हो या फिर रेलों का रिजर्वेशन सिस्टम, सभी में कोई न कोई झोल है। ठंड के मौसम में अक्सर भारतीय ट्रेन कोहरे के चलते बेपटरी हो जाती हैं। अक्सर होने वाले रेल हादसे भी भारतीय रेलों के ढांचे की नाकामी की दास्तां बयां करते हैं। कुछ ट्रेनों को छोड़कर ज्यादातर ट्रेन अन्दर से लुक वाइज यात्रियों को कम ही भाती हैं।

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हालांकि देश में मेट्रो ट्रेनों का कल्चर शुरू हुए काफी समय बीत चुका है लेकिन हाल के कुछछ सालों में मेट्रो कल्चर में इजाफा हुआ है। जब से मेट्रो कल्चर बढ़ा है तब से लोगों की निगाह में पुराना भारतीय रेल ढांचा चरमरा सा गया है। इसके बाद वंदे भारत और अब रैपिड (नमो भारत) ट्रेनों की दस्सक ने यात्रियों की निगाह में बिखरते रेल ढांचे को बाइंडअप की ओर धकेल दिया है। शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रैपिड को हरी झंडी दिखाई तो दिल्ली से मेरठ के बीच चलने वाले डेली पैसंजर यात्रियों की उम्मीदों को भी पंख से लग गए।

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार भारतीय रेल ढांचे में बदलाव के संकेत दिए उससे भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय रेल ढांचा अब बदलाव की बयार से होकर गुजरेगा। बताते चलें कि अमृत काल के दौरान देश के 500 रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण कर खाका तैयार किया गया है, जिस पर काम चल रहा है। वंदे भारत और नमो भारत की स्पीड भी भारतीय रेल में नई क्रान्ति की पठकथा लिखने को तैयार है। मेरठ, आगरा, लखनऊ, वाराणसी व कानपुर में मेट्रो की संभावनाएं तलाशने के बाद उन्हे पंख देना भी रेलवे ट्रांसर्पोटेशन में बदलाव के संकेत हैं।

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शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री ने कर्नाटक (बेंगलुरू) के बैयप्पनहल्ली को कृष्णराजपुरा व केंगेरी को चैल्लाघट्टा से जोड़ने वाले सेक्शन का भी शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री के अनुसार देश में रेलवे ढांचे को मजबूत बनाने के लिए नमो भारत (रैपिड) व मेट्रो ट्रेनों पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। भारतीय रेलवे के कायाकल्प के लिए केन्द्र सरकार इस समय हरकत में है।

कहावत भी है कि ‘हरकत में ही बरकत है’। पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को खुद स्पष्ट किया कि इस दशक के अंत तक भारतीय रेल ढांचा विश्वस्तरीय होगा। देश में बढ़ रहा मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम भी भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की दास्तां बयां कर रहा है। इसके अलावा केन्द्र की भारतीय रेलवे के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की प्रस्तावित योजना भी भीरतीय रेलवे को संजीवनी प्रदान करेगी।

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