- आंदोलन के 25 दिन बाद भी किसानों का पहले दिन जैसा जोश
- दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का बस गया तंबुओं का गांव
जनवाणी संवाददाता |
नई दिल्ली: सर्द ऋतु के बीच किसान कृषि बिल वापसी के मुद्दे पर अडिग है। आंदोलन के 25 दिन बाद भी किसानों का पहले दिन जैसा जोश दिखाई दे रहा है। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का एक गांव बस गया है। कई किलोमीटर की दूरी तक किसानों के तंबु ही दिखाई दे रहे हैं। कहीं आलू ट्रकों से उतर रहे हैं तो कहीं प्याज। आट्टे के बोरे से लदे ट्रक पहुंच रहे हैं।
ये पूरा इंतजाम बता रहा है कि किसान लंबी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में कूद गए हैं, जिसके परिणाम चाहे जो हो, मगर उनका संकल्प यही है कि दिल्ली से खाली हाथ नहीं लौटेंगे। जिन सड़कों पर वाहन सरपट दौड़ते थे, वहां इस तरह की चहल-पहल होगी, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। पूरी रात गुलजार रहती है। कहीं किसानों के लोकगीत चल रहे हैं तो कहीं पर पंजाबी भगड़ा। रातभर किसान जागते हैं। हाड़ कंपा देने वाली ठिठुरन भी इन किसानों के मजबूत इरादो को डिगा नहीं पा रही है।
सिंभावली (हापुड़) के किसान बड़ी तादाद में किसानों के धरने पर मौजूद है, जिनका कहना है कि किसान का शोषण कब नहीं हुआ। आंदोलन से पहले केन्द्र सरकार कह रही थी कि कृषि बिल शानदार है और किसान हित में है, लेकिन 25 दिन पहले जैसे ही गॉजीपुर बॉर्डर पर किसान पहुंचे तो 22 बिन्दुओं को केन्द्र सरकार ने गलत कैसे स्वीकार कर लिया? बाइस बिन्दुओं को अब संशोधित करने की बात केन्द्र सरकार कर रही है, लेकिन किसान कहते है कि संशोधन नहीं, बल्कि पूरा कृषि बिल ही किसान विरोधी है।
रविवार की सुबह गाजीपुर यूपी बॉर्डर पर जैसे जनवाणी की टीम पहुंची तो किसानों को स्नान करने के लिए गर्म पानी दिया जा रहा था। किसान रोजमर्रा की तरह से स्नान कर रहे थे, फिर अपने-अपने धर्म के अनुसार उस ईश्वर से प्रार्थना भी कर रहे थे। खेत में जाने वाली दिनचर्या के विपरीत किसान अपनी लड़ाई के मोर्चे पर खड़े थे। मीडिया ने जगह-जगह किसानों का घेरा बना रखा था तथा बातचीत कर रहे थे। किसानों के चेहरे खिले हुए थे। कहीं भी कोई कमजोर बात नहीं कर रहा था।
जोश था, मगर समझदारी भी थी। हिंसा को लेकर सवाल भी मीडिया ने किया तो जवाब भी शांति का मिल रहा था। हां, सर्वाधिक नाराजगी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से थी। उन पर भी सीधा प्रहार तो कर रहे थे, लेकिन सलीके से। कोई भी अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं किया। सुबह चाय-नाश्ता करने के बाद किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए हाईवे पर एकत्र हुए, जहां पर पहले से ही किसानों ने अपना टेंट लगा रखा है। आठ लेन को किसानों ने कब्जा रखा है तथा आठ लेन पर ही वाहनों का आवागमन हो रहा है।
श्रद्धाजंलि सभा किसानों की शहादत के दौरान किसानों की आंखें नम: हो गई, लेकिन माहौल एकबारगी गमगीन हो गया। कुछ किसान भावुक हो गए तथा मंच से किसानों ने संकल्प लिया कि दिल्ली से कृषि बिल वापस होने के बाद ही लौटेंगे, अन्यथा वो भी दिल्ली में फांसी लगा लेंगे। सरकार जिद पर अड़ी तो वो भी मरना चाहते हैं। यह कहते ही किसानों के जयकारे गुंज उठे।
किसानों के टेंट में कहीं पर खाना तैयार हो रहा था तो कहीं पर लोग खुद ही सेवा कर रहे थे। साफ-सफाई इतनी की, कहीं भी कोई गंदगी नहीं थी। कचरा भी डस्टबिन में डाला जा रहा था। जगह-जगह डस्टबिन लगे हुए थे। अस्थाई शौचालय यहां पर किसानों ने बनाये हैं। महिला किसान भी बड़ी तादाद में आंदोलन का हिस्सा बनी हुई है। खाना तैयार करने से लेकर तमाम व्यवस्था में महिलाएं किसानों का हाथ बटा रही है। किसानों का पहला ऐसा आंदोलन है, जिसमें महिलाएं भी अपनी मौजूदगी दर्ज कर रही है।
इन सर्द हवाओं को भूल पाना मुश्किल : बब्बू मान
गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में पंजाब व अन्य राज्यों के कलाकार भी समर्थन करने पहुंच रहे हैं। किसानों के आंदोलन के 25 वे दिन पंजाब के टॉप सिंगर बब्बू मान पहुंचे। वह कार से उतरते ही सीधे मंच पर पहुंच गए। बब्बू मान ने किसानों को श्रद्धांजलि अपर्ति करने के बाद कहा कि मैं पहले किसान हूं, फिर सिंगर हूं। इस बीच एक किसान ने उनसे पंजाबी गीत सुनाने की अपील कर दी, लेकिन इस पर बब्बू मान नाराज हो गए और बोले कि यह श्रद्धांजलि सभा है। जो किसान शरीर त्यागकर चले गए, उनका मुझे बहुत दु:ख है।
मैं हृदय से उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं, यह गीत सुनाने का मौका नहीं है। फिर तो बब्बू मान ने किसानों के समर्थन में 20 मिनट मंच से संबोधन किया। किसानों को झकझोर दिया। कहा कि आप धरती पुत्र हो, बॉर्डर पर जंग भी आप ही लड़ते हो, खेत भी आप ही कमाते हो। नेता कभी खेत कमाते देखा है, वो फिर भी ठाट बाट से रहता है, यह सब किसानों की बदौलत। किसान अब नाराज हो गया है तो राजनीतिक दलों को इसका पता चलेगा, मगर थोड़ी देर में। क्या किसान इन शर्द हवाओं में सड़क पर टेंट लगाकर रहने को भूल जाएगा, कभी नहीं।
किसान बिकाऊ नहीं है, जो उसे खरीद लिया जाएगा। विधायक होते तो अब तक बिक जाते, ये धरतीपुत्र है। भूखे मर जाएंगे, लेकिन बात से पीछे नहीं हटेंगे। पंजाबी सिंगर बब्बू मान ने कहा कि यूपी में जहां भी किसानों के आंदोलन चल रहे हैं, यदि किसान उन्हें बुलायेंगे तो वो वहां भी जाएंगे।
जिद है कृषि बिल वापसी की: बाबा जग्गा
नई दिल्ली: इरादा मजबूत है। डगर कठिन हो सकती है, मगर हमारी भी जिद है कि कृषि बिल वापस नहीं लिया तो आंदोलन के लिए अब कदम बढ़ा दिया है, पीछे कदम कायर हटाते हैं। किसान ने पीछे हटना नहीं सीखा। किसान तो बाहुदर कौम है, जो पूरी दुनिया को पालना जानती है। हम टकराव नहीं चाहते। शांति के मार्ग पर चलकर केन्द्र सरकार को बताना चाहते है कि जो कृषि बिल वो लेकर आये है, वो किसान हित में नहीं है।
उसे वापस लेना ही होगा। 25 दिन आंदोलन में कदम से कदम मिलाकर चलने वाले रामराज (मुजफ्फरनगर) के बाबा जग्गा पूरी वाले कहते हैं कि उनके पास इतना खाद्यान्न है कि एक लाख लोग हर रोज खाना ग्रहण कर सकते हैं। यहां आंदोलन एक माह नहीं, बल्कि वो पूरे एक वर्ष की तैयारी करके आये हैं। एक वर्ष के भोजन का स्टॉक किसानों के पास पहुंच गया है। उनका कहना है कि शीत लहर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी।
35 किसान आंदोलन के बीच अपना शरीर पूरा कर गए, इससे प्रत्येक किसान आहत और परेशान है, लेकिन आंदोलन जब भी हुए है तो शाहदत तो देनी पड़ी है। शाहदत्त दिये बिना तो देश भी आजाद नहीं हुआ है। 25 दिन के आंदोलन के वो गवाह है। उनके टेंट में नाश्ते में किसानों को जलेबी, गाजर का हलवा, ब्रेड पकौड़ा, गोभी व पनीर के पकोड़े किसानों को मिल रहे हैं। खाने में खीर व लजीज व्यंजन किसानों को मिल रहे हैं।
आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने आया हूं : रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रविवार को दिल्ली स्थित गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच पहुंचे। वह दोपहर 2.30 बजे अपनी कार से पहुंचे। उनके साथ कोई सुरक्षा भी नहीं थी। उन्होंने श्रद्धांजलि देने से पूर्व कहा कि मैं आंदोलन में शहीद हुए 35 किसानों को श्रद्धांजलि देने आया हूं। मैं बेहद भावुक हूं। किसान देश की रीढ़ हैं, मगर इस ठिठुरन भरी सर्दी में लोग घरों में कैद हैं, लेकिन किसान सड़कों पर हैं। किसान भगवान का रूप है तथा किसान और भगवान से कोई नहीं जीत सकता।
हरिद्वार के किसान इस आंदोलन में आए हैं और हम सब किसान के बेटे और बेटियां हैं। किसान एकता को मैं जिंदाबाद कहने के लिए आया हूं और मुझे पूरा भरोसा है कि भगवान के यहां न्याय होगा और किसानों को अवश्य ही न्याय मिलेगा। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत करीब 10 मिनट किसानों के बीच मौजूद रहे। इस बीच मीडिया ने भी उनसे सवाल दर सवाल दाग दिये।
पत्रकारों ने हरीश रावत की यह कहकर घेराबंदी की कि जब कृषि बिल आया था, तब कांग्रेस मुखर क्यों नहीं हुई? बचाव करते हुए हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ है। कांग्रेस भी जल्द इसको लेकर अपनी रणनीति का ऐलान करेगी। आंदोलन का समर्थन करने के बाद वह लौट गए। इस बीच उनके किसान आंदोलन में पहुंचने की सूचना से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी आनन-फानन में मौके पर पहुंचे।
गुलाटी मार रही सरकार: टिकैत
नई दिल्ली: आपने देखा होगा। जब बंदर बूढ़ा हो जाता है, तो वो तब भी गुलाटी मारनी बंद नहीं करता। आप समझते है क्या है गुलाटी। बंदर घूम-घूमकर गुलाटी मारता है। ठीक वैसे ही केन्द्र सरकार गुलाटी मार रही है। अब सरकार की गुलाटी को देखा जाएगा। बंदर की तरह से सरकार गुलाटी मारनी बंद करें। किसान कृषि बिल वापसी के मुद्दे पर वो कुछ नहीं सुनेंगे। यह कहना था भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का। यदि आवश्यकता पड़ी तो राजनीतिक दलों के नेताओं का भी किसान उनके घरों पर जाकर घेराव करेंगे। क्योंकि विपक्ष ने भी चुप्पी साध ली है, जो किसानों को नागवार है।
गोदी मीडिया से किसान खफा
किसानों के धरने के बीच में पहुंच रहे गोदी मीडिया से किसान खफा है। ईश्वर सिंह का कहना है कि गोदी मीडिया खबरों को उल्टा चला रही है। किसान परेशान है, ठंड से मर रहे हैं। यह गोदी मीडिया की खबर नहीं बनती। उनकी खबर बनती है कि रोटी बनाने के लिए मशीन लगी है। विदेशों से किसानों के सहयोग के लिए फंड आ रहा है, अरे भाई किसानों की कोई मदद कर रहा है तो आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा हैं। यदि गोदी मीडिया को दिक्कत है तो अपने घर से किसानों की रोटी बनवाकर मंगवा दे।
टिकैत ने बड़ौत के किसानों को दिया समर्थन
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि बड़ौत में जो हाईवे पर किसान जाम करके बैठ गए है, उन किसानों को पूरा समर्थन है। जाम लगाकर किसानों ने कोई गुनाह नहीं किया। वो किसान दिल्ली आ रहे थे, जिनको बड़ौत में पुलिस ने रोक लिया। यह पुलिस का रवैया ठीक नहीं है। इसके खिलाफ रणनीति तैयार की जाएगी।
ठंड से बीमार पड़ रहे हैं किसान, प्राथमिक उपचार के लिए निजी डॉक्टरों की टीम लगी
बड़ी तादाद में किसान हर रोज बीमार हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान धरना देकर बैठे हैं, लेकिन सर्द हवाओं से उनकी सेहत बिगड़ रही है। हर रोज पचास से ज्यादा किसानों को ठंड लगने से बुखार बन रहा है।
किसानों के उपचार के लिए धरना स्थल पर ही भाकियू ने अपने चिकित्सकों की टीम लगा दी थी। तीन डॉक्टरों की टीम अलग-अलग लगा दी हैं, जहां पर बीमार किसानों को दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है। डा. शमशेर मलिक मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं, वो कैंप लगाकर बीमार किसानों का उपचार कर रहे हैं।
रविवार को उनके पास बीस से ज्यादा किसान बीमार आये, जिनको बुखार था। सर्दी से बुखार किसानों को बन रहा है। इसके अलावा लुधियाना से डॉक्टरों की एक टीम धरना स्थल पर लगी हैं, जिसमें डा. परमजीत कर्क का कहना है कि किसानों को सर्दी लगने से दिक्कत पैदा हुई है, जिसके चलते बड़ी तादाद में किसान बीमार पड़ रहे हैं। अब बीमार किसानों को तत्काल प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है। हालत बिगड़ने पर दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।