- आग हादसों में करोड़ों के नुकसान का अनुमान
- बीते साल में जनपद में करीब एक हजार अग्निकांड
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार द्वारा लोगों की सुरक्षा के दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगती है। जबकि गांवों में लगने वाली आग को बुझाने का जिम्मा दमकल पर ही है। प्रशासन के पास आग बुझाने के लिए संसाधनों का पुख्ता इंतजाम नहीं है।
जिसके कारण प्रतिवर्ष दर्जनों आगजनी की घटनाओं में लाखों रुपये का नुकसान हो जाता है। क्षेत्र में हर साल आबादी तो बढ़ रही है, लेकिन प्रशासन द्वारा सुरक्षा इंतजामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। कई बार एक से अधिक जगह आग लगने पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं दमकल के पहुंचने तक सब कुछ जलकर खाक हो जाता है।
जैसे-जैसे सूरज की तपिश बढ़ती है एकाएक आग हादसों में इजाफा होने लगता है। आग हादसों की यदि बात की जाए तो बीती साल करीब एक हजार आग हादसे हुए हैं। जिनमें करोड़ों के नुकसान का अनुमान है। वहीं, दूसरी ओर यदि संसाधनों की बात की जाए में मेरठ की जनसंख्या के अनुपात में दमकल विभाग के पास संसाधनों का टोटा है। हालांकि संसाधनों की यदि बात की जाए तो छोटी बड़ी कुल मिलाकर 16 गाड़ियों और स्टाफ में 122 कर्मचारी हैं।
हर साल अप्रैल में सूरज ताप दिखाना शुरू कर देता है। इसके साथ ही आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने लगता। वैसे यदि इस साल की बात की जाए तो जनवरी से अब तक परतापुर थाना क्षेत्र में आग की तीन घटनाएं हो चुकी हैं। इसके अलावा लिसाड़ीगेट व लोहिया नगर क्षेत्र में झुग्गियों में भी आग की घटनाएं हो चुकी हैं। ग्रामीण परिवेश होने के कारण ग्रामीण इलाकों के अधिकतर लोगों का घर खर-फुस एवं पुआल ढेर रहता है।
जो गर्मी के दिनों में आग का चिगारी मिलते ही बारूद बन जाते हैं। संसाधनों का अभाव गर्मी के सीजन पर भारी पड़ना तय है। आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए अग्निशमन विभाग के पास पर्याप्त संसाधन तो क्या, कर्मचारियों की भी बेहद कमी है। खामियाजा हर बार की तरह बार भी स्टाफ व संसधान की कमी मुसीबत बन सकती है।
ऐसा नहीं कि संसाधनों की कमी से कार्य क्षमता प्रभावित हो। जहां भी आग की घटनाएं होती हैं, वहां पूरी शिद्दत के साथ दकमल कर्मी जूझते देखे गए हैं। फायर ब्रिगेड के पास हमेशा की तरह इस सीजन भी कुछ नया संसाधन नहीं आया है। जंग लगे उपकरणों से ही आगजनी पर काबू पाने का प्रयास किया जाता है।
अप्रैल से जोखिम
वहीं, दूसरी ओर अप्रैल माह में तापमान बढ़ने के साथ ही आग लगने की घटनाओं में इजाफा होना तय माना जा रहा है। फायर ब्रिगेड के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 से अभी तक 900 से अधिक आगजनी की घटनाएं हुई हैं। आग के कुछ हादसे ऐसे भी होत हैं जिनकी सूचना दमकल तक नहीं पहुंचती। वहीं दूसरी ओर नुकसान की यदि बात की जाए तो एक मोटामाटी अनुमान में एक अरब का नुकसान बीते साल आग हादसों में हुआ है।
तंग गलियां पैदा करती दुश्वारियां
आग की घटनाओं पर काबू पाने में सबसे ज्यादा दुश्वारियां शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में होती हैंसंकरी गली, ऊंची बिल्डिंग या मॉल आदि में आग लग जाए तो आग बुझाना नामुमकिन हो जाएगा। शहर में तमाम गलियां ऐसी हैं, दकमल वाहनों का जाना संभव नहीं है। वहां पर रिले सिस्टम से आग बुझाने के फौरी प्रयास होते हैं। इतना कुछ होने पर भी सरकारी तंत्र उदासीन है।
यहां खतरा ज्यादा
आग का खतरे वालों स्थानों की यदि बात की जाए तो फैक्ट्रियों, दफ्तरों, अस्पतालों, स्कूलों, झुग्गियों या तंबुओं, फ्लैटों व गैस चालित वाहनों में ज्यादा होता है। इस दौरान जान-माल का भी नुकसान हो सकता है, लेकिन चूंकि इन जगहों के लिए फायर सेफ्टी के इंतजामों का होना भी अनिवार्य है।
ये करें उपाय
सामाजिक कार्यकर्ता विपुल सिंहल बताते हैं कि जहां आग का खतरा अधिक हो या न भी हो वहां वाटर टैंक में हर समय पानी रहना चाहिए। फायर अलार्म और स्मॉक डिटेक्टर चालू हालत में होने चाहिए। अग्निशमन यंत्रों में गैस है या नहीं, इसके लिए समय समय पर पड़ताल होनी चाहिए। फायर एग्जिट गेट को दुरुस्त होना चाहिए इसके लिए समय-समय पर इनकी जांच की जाए।
खुद भी कसूरवार नहीं
आगजनी की वजह लोग खुद भी हैं। घर में आग लगने का प्रमुख कारण शॉट सर्किट, गैस लिकेज और बीड़ी-सिगरेट की चिंगारी है। लोग अपने घर की वायरिंग की टाइम पर चेकिंग नहीं कराते। भार के अनुसार कम फ्रिक्वेंसी वाली तार इस्तेमाल करते हैं। कूलर व एसी जैसे भारी यंत्रों की सर्विस नहीं कराते, जिससे आग लगने की घटनाएं होती हैं। ये है अग्निशमन विभाग के पास।
संसाधन
- फायर स्टेशन: पुलिस लाइन, घंटाघर, परतापुर, मवाना। सरधना तहसील में एक छोटी गाड़ी रहती है।
- बड़ी गाड़ियां 15
- छोटी गाड़ियां 04
- कुल कर्मचारी 122
पूरी तरह से तैयार
जहां से भी सूचना आती है दकमल स्टाफ मुस्तैदी से मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाता है। जहां तक संसाधनों की बात है, शीघ्र ही कमियां पूरी का दी जाएंगी। -संतोष राय, चीफ फायर आफिसर