जनवाणी ब्यूरो|
नई दिल्ली: लद्दाख में हालिया हिंसा और चार प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद गिरफ्तार किए गए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने जेल से एक भावुक संदेश भेजा है। उन्होंने घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा है कि जब तक यह मांग पूरी नहीं होती, वह जेल में ही रहने को तैयार हैं।
सोनम वांगचुक इस समय जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्हें 26 सितंबर को लद्दाख में हुए विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हो गए थे।
वांगचुक का जेल से संदेश
कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेता सज्जाद कारगिली ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सोनम वांगचुक का संदेश साझा किया है। यह संदेश उनके भाई कात्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी के 4 अक्टूबर को जेल में मुलाकात के बाद सामने आया।
सोनम वांगचुक ने कहा?
“मैं शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हूं। उन लोगों के परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना, जिन्होंने इस संघर्ष में अपनी जान गंवाई। चार लोगों की हत्या की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए। जब तक यह नहीं होता, मैं जेल में रहने को तैयार हूं।”
“संवैधानिक मांग पर अडिग हूं”
वांगचुक ने अपने संदेश में कहा कि वह लद्दाख की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने और राज्य के दर्जे की मांग को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा “मैं KDA और लद्दाख की जनता के साथ दृढ़ता से खड़ा हूं। जो भी कदम लद्दाख के हित में उठाए जाएंगे, मैं तहे दिल से उनका समर्थन करूंगा।” उन्होंने लोगों से शांति, एकता और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आंदोलन जारी रखने की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उनकी NSA के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और तत्काल रिहाई की मांग की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्तूबर की कार्यसूची में सूचीबद्ध है और इस पर जस्टिस अरविंद कुमार और एन. वी. अंजनिया की पीठ सुनवाई करेगी।
पृष्ठभूमि: लद्दाख में क्यों हुआ था विरोध?
लद्दाख के नागरिक लंबे समय से छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक संरक्षण, स्थानीय जनसंख्या के अधिकार, और स्थायी निवास प्रमाणपत्र, भूमि व नौकरियों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
26 सितंबर को हुए एक बड़े प्रदर्शन में यह आंदोलन उग्र हो गया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और पुलिस कार्रवाई में लगभग 90 लोग घायल हो गए। इसके बाद, वांगचुक को हिरासत में लिया गया और बाद में NSA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
निष्कर्ष: संघर्ष जारी है, लेकिन शांतिपूर्ण रास्ते से
सोनम वांगचुक का जेल से आया यह संदेश बताता है कि लद्दाख की जनता का आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं, संवैधानिक और नैतिक आधारों पर टिका है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर देशभर में चर्चा है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।
क्या सुप्रीम कोर्ट वांगचुक की गिरफ्तारी को गलत मानकर रिहाई का आदेश देगा?
यह सवाल आने वाले दिनों में लद्दाख की राजनीति और सामाजिक आंदोलन की दिशा तय कर सकता है।

