सुशांत सुप्रिय उन अनुवादकों में से हैं, जिन्होंने हिन्दी के पाठकों को असंख्य विदेशी कहानियां उपलब्ध कराई हुं। ‘विश्व की श्रेष्ठ कहानियां’, ‘विश्व की अप्रतिम कहानियां’, इस छोर से उस छोर तक: विश्व की उत्कृष्ट कहानियां, इन तीनों अनुदित पुस्तकों में विश्व के लगभग सभी चर्चित कहानीकार मौजूद हैं। फ्रज काफ़्का से बात शुरू करते हैं। काफ़्का की एक कहानी है ‘उपवास करने वाला कलाकार’। आतंकित करने वाली अपनी खास शैली में काफ़्का ने एक ऐसे कलाकार को पिंजरे में कैद दिखाया है, जो 40 दिनों तक भूखा रहने के अपने फन को प्रदर्शित करता है। लोग तालियां बजाते हैं, इसका आनन्द लेते हैं, कुछ लोग उपेक्षा भी करते हैं। लेकिन 40 दिन उपवास के बाद भी कलाकार कहता है कि वह अपनी कला से संतुष्ट नहीं है। वह अभी कई दिनों तक भूखा रह सकता है। यह भी दिलचस्प है कि काफ़्का की सबसे अधिक चर्चिक कहानी, ‘मैटामोर्फोसिस’ पहले विश्व युद्ध से पहले लिखी गई और यह कहानी पहले विश्व युद्ध के बाद। कहानी का अंत बेहद चौंकाने वाला है। कलाकार पिंजरे में ही मर जाता है। उसके अस्थिपंजर को एक पिंजरे में रख दिया जाता है और दर्शक उसका भी आनन्द उठाते हैं। लेकिन मरने से पहले वह कहता है, मुझे यदि मनपसंद खाना मिलता तो मैं इस स्थिति को कभी ना चुनता, यही वाक्य इस कहानी का मूल है।
काफ़्का इस कहानी में, प्रथम विश्व युद्ध के बाद मानवता के प्रति बढ़ने वाले खतरों का चित्रण कर रहे हैं। जर्मन साहित्यकार होने के नाते उन्होंने हिटलर के खूनी और सांप्रदायिक ज्यादतियों को करीब से महसूस किया है। यही स्थितियां हम आज भी अपने चारों तरफ देख सकते हैं। मार्क्वेज के बारे में कहा जाता है कि उन पर काफ़्का का गहरा प्रभाव था। ‘बाल्थाजार की आश्चर्यजनक दोपहर’ और ‘विशाल पंखों वाला एक बहुत बूढ़ा आदमी’ इन संग्रहों में आप पढ़ सकते हैं। ‘बाल्थाजार की आश्चर्यजनक दोपहर’ में बाल्थाजार एक पिंजरा बनाता है। लोग इस पिंजरे को देखने आते हैं। वह पिंजरे के बाहर रहकर भी तमाशा बन गया है।
पिंजरे की बाल्थाजार को अच्छी कीमत मिल जाती है। वह अपने मित्रों के साथ पार्टी करता है और भविष्य की योजनाएं बनाते हुए, अधिक शराब पीने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। कोलंबिया में पैदा हुए मार्क्वेज की कहानियों में जादुई यथार्थ साफतौर पर देखा जा सकता है। मार्क्वेज अपनी कहानियों में ‘जो है’ और ‘जो होना चाहिए’ इसके बीच कोई भेद नहीं करते। इन दोनों कहानियों में मार्क्वेज ने मनुष्य के भीतर खुलने वाली खिड़कियों से दुनिया को देखने की सफल कोशिश है।
पुर्तगाली भाषा का एक अन्य, सशक्त चेहरा है जोआओ गुइमारेस रोसा। सुशांत ने इनकी एक कहानी ‘नदी का तीसरा किनारा’ का भी अनुवाद किया है। कहानी बस इतनी-सी है कि एक जिम्मेदार पिता एक दिन नाव में सवार होकर नदी में उतर जाता हैं। समय बीतता रहता है। उनका बेटा बड़ा हो जाता है लेकिन पिता लौटकर नहीं आते। कहानी में नदी समय का प्रतीक लगती है और पिता जीवन का एक बिंब। उनके सुख-दुख को लेकर उनका बेटा चिंतित है।
इस कहानी में आपको एक अजाना-सा भय, अजनबियत और मानवीय यंत्रणा की ना जाने कितनी ही छवियां दिखाई देंगी। कहानी के अंत में बेटा पिता से कहता है कि अब आप बूढ़े हो गए हैं, अब आप लौट आइये, मैं नाव में आपकी जगह ले लूंगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। अंत में बेटा यह इच्छा प्रकट करता है कि मैं बहते-बहते नदी की अथाह गहराइयों में खो जाऊं, इसके जल में समाकर नदी का हिस्सा बन जाऊं, हमेशा के लिए। इस कहानी की जितने पाठ हुए उतने शायद ही किसी अन्य कहानी के हुए हों।
अपनी सहजता के लिए जाने जाने वाले चेखव की भी दो कहानियां इन तीनों संग्रहों में हैं। ‘शत्रु’ और ‘एक कलाकृति’। दोनों ही कहानियों में जीवन की विसंगतियों को उकेरा गया है। जादुई यथार्थ और जिजीविषा की लेखिका इजाबेल अलेंदे की इन तीनों संग्रह में एक कहानी है-मेंढक का मुंह। अलेंदे का पूरा जीवन कठिनाइयों और तकलीफों में गुजरा। इनकी लगभग सभी कहानियों में स्त्री तकलीफों के साथ जिजीविषा भी पूरी शिद्दत से मौजूद है। ‘मेंढक का मुंह’ भी स्त्री की इसी जिजीविषा की कहानी है।
इन तीनों संग्रहों में बहुत-सी कहानियां हैं। हारुकी मुराकामी की ‘अप्रैल की एक खुशगवार सुबह: सौ प्रतिशत संपूर्ण लड़की को देखने पर’ और ‘आइना’ कहानियां इन संग्रहों में हैं। ‘आइना’ में एक भूत के अस्तित्व को लेकर चर्चा हो रही है। एक युवक, जो भूत प्रेत में विश्वास नहीं करता, अपनी कहानी सुनाता है। 1960 के दशक में विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद यह युवक कई नौकरियां करता है। कुछ महीने के लिए वह एक विद्यालय में चौकीदारी की नौकरी करता है।
एक रात चक्रवात आता है। वह युवक रात में घूम रहा है। तभी उसे एक आइना दिखाई पड़ता है। उसमें वह एक भूत देखता है। वह बुरी तरह डर जाता है। लेकिन कहानी के अंत में वह कहता है, मैंने वहां जो देखा, वह तो मैं ही था। कहानी का मूल यही है कि विश्व में सबसे डरावनी चीज हमारा अपना ही रूप है। ‘अप्रैल की एक खुशगवार सुबह: सौ प्रतिशत संपूर्ण लड़की को देखने पर’ जादुई यथार्थ की एक सशक्त कहानी है। इस कहानी में भी सब कुछ बेहद सहज ढंग से प्रकट होता है।
चेकोस्लोवाकिया के मिलान कुंदेरा दुनिया के महान लेखकों में शामिल हैं। इनकी एक कहानी है ‘लिफ्ट लेने का खेल’। एक युवा कपल छुट्टियां मनाने के लिए गाड़ी से रवाना होता है। रास्ते में अपने इस सफर को रोमांचक बनाने के लिए युवक और युवती दोनों एक खेल खेलने का निश्चय करते हैं। इस खेल में युवती को लिफ्ट मांगने वाली लड़की बनना है और युवक लिफ्ट देने वाला।
शुरू-शुरू में दोनों को इस खेल में मजा आता है। इस खेल के माध्यम से युवक का वह आवरण उतरता जाता है, जो उसने अब तक ओढ़ रखा था। वह लड़की से उसी तरह का व्यवहार करने लगता है जैसा वह वेश्याओं या अन्य औरतों के साथ किया करता था। उसे यह भी लगने लगता है कि लड़की (जिसे वह बेइंतहा प्यार करता है) अन्य बाजारू औरतों की तरह ही है। दोनों होटल पहुंचते हैं, लड़की इस अभिनय से बाहर आना चाहती है लेकिन लड़का पूरी तरह अपने असली चरित्र में आ चुका है। एक खेल के बहाने मिलान ने इंसान के भीतर बैठे चेहरों को बाहर निकाला है।
‘विश्व की श्रेष्ठ कहानियां’ में आपको कावाबाटा (मस्सा), सार्त्र (इरोस्ट्रेटस), जोर्गे लुई बोर्गेस (गोल खंडहर), मार्गरेट ऐटवुड (सुखद अंत), अर्नेस्ट हेमिंग्वे (किलमंजारो की बर्फ़) और जैक लंडन (वह चिनागो) की कहानियां मिलेंगी तो ‘विश्व की अप्रतिम कहानियां’ में आइजैक बैशेविस सिंगर (मूर्ख गिम्पेल, एक मुकदमा और एक तलाक), जूलियो कोर्टाजार (एक पीला फूल), जोसे डिसूजा सारागामा (अनजाने द्वीप की कथा), मुराकामी (सातवां आदमी) कहानियों के रूप में मिलेंगे। तीसरा संग्रह इस छोर से उस छोर तक: विश्व की उत्कृष्ट कहानियां में किमू (मौन लोग और आगंतुक), इतैलो कैल्विनो (एक उचक्के का रोमांच), हेमिंग्वे की (हत्यारे), नैबोकोव (एक सूर्यास्त का ब्योरा), लैस्ज्लो क्रैस्ज्नहोरकाइ (बाहर कुछ जल रहा है) और रोआल्ड डा की (खाल) जैसी कहानियां मिलेंगी। लेकिन इन तीनों संग्रहों को आप एक साथ पढ़ेंगे तो कुछ पुनरावृत्ति दोष आपको दिखाई पड़ेंगे। एक कहानी आपको अनेक संग्रहों में मिल सकत है, जो पाठकों के साथ अन्याय है।
विश्व की श्रेष्ठ कहानिया, सुशांत सुप्रिय, (इंडियन पब्लिशिंग हाउस, जयपुर,
विश्व की अप्रतिम कहानियां, (विद्या बुक्स, नई दिल्ली)
इस छोर से उस छोर तक, विश्व की उत्कृष्ट कहानियां,( अंतिका प्रकाशन प्रा.लि. गाजियाबाद)