जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। यह याचिका वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने दायर की थी, जिसमें उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है। अदालत ने केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन से इस मामले में जवाब मांगा है, लेकिन तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजनिया की पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। तब तक दोनों पक्षों से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत के सामने दलील दी कि “सोनम वांगचुक को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है, लेकिन उनके परिवार को अब तक हिरासत की असली वजह नहीं बताई गई है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।” सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि सोनम की गिरफ्तारी राजनीतिक कारणों से की गई है और यह लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन है।
सरकार की दलील: कारण बताए गए हैं
सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “सोनम वांगचुक को हिरासत में लेने के कारण उन्हें बताए गए हैं। जहां तक उनकी पत्नी को कारणों की प्रति देने की बात है, उस पर विचार किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत है।
क्यों हुई थी गिरफ्तारी?
पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह कार्रवाई लद्दाख में हुए उस प्रदर्शन के दो दिन बाद की गई, जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई थी। प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे।
क्या है याचिका में मांग?
गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि:
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी अवैध और असंवैधानिक है।
उनके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
उन्हें तत्काल रिहा किया जाए।
परिवार को हिरासत की पूरी जानकारी और डिटेंशन ऑर्डर की प्रति सौंपी जाए।
अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभी तत्काल रिहाई जैसे किसी निर्णय पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। लेकिन इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र और लद्दाख प्रशासन से विस्तृत जवाब मांगा गया है।

