जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग में आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायधीश को भी शामिल किया गया है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल बनेगा। पांच जजों की संविधान पीठ जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की बेंच ने ये बड़ा फैसला सुनाया है।
दरअसल, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सर्वोच्च अदालत ने कहा, “एक चुनाव आयोग जो कानून के शासन की गारंटी नहीं देता है, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। इसकी व्यापक शक्तियों को, अगर अवैध रूप से या असंवैधानिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है, तो इसका राजनीतिक दलों के परिणामों पर प्रभाव पड़ता है।
चुनाव आयोग को स्वतंत्र होना चाहिए, अगर यह अनुचित तरीके से काम करता है तो वह स्वतंत्र होने का दावा नहीं कर सकता। राज्य के प्रति दायित्व की स्थिति में एक व्यक्ति के मन की एक स्वतंत्र रूपरेखा नहीं हो सकती। एक स्वतंत्र व्यक्ति सत्ता में रहने वालों के लिए दास नहीं होगा।”
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, “आर्टिकल 324 एक यूनिक बैकग्राउंड है। अलग-अलग रंग के राजनीतिक दलों ने एक कानून पेश नहीं किया है। एक कानून मौजूदा कार्यपालिका की नियुक्तियों में पूर्ण अधिकार होने का स्थायीकरण नहीं हो सकता है।
इसमें एक कमी है, जो कि याचिकाकर्ताओं ने प्वॉइंटआउट किया है। राजनीतिक दलों के पास कानून की तलाश न करने का एक कारण होगा, जो देखने में स्पष्ट है।” इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा कि, “एक नौकर आयोग के माध्यम से वो पार्टी जो सत्ता में है, सत्ता में बने रहने की लालच रख सकती है।”