Saturday, April 20, 2024
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उपवास में रखें सेहत का ख्याल

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विश्वनाथ चौधरी |

उपवास हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है और हिंदू धर्म की पहचान भी। न जाने कितने ही दिन ऐसे आते हैं जिस दिन हिंदू धर्मशास्त्रों में उपवास का विधान बताया गया है जैसे प्रतिमास आने वाली एकादशी को एकादशी व्रत का उपवास, मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का उपवास, शुक्र वार को माता संतोषी व्रत का उपवास, विशेष मनौतियों को मनाने के लिए किया गया उपवास। इस तरह से यदि सभी देवी देवताओं के दिन का ख्याल करें तो हफ्ते में चार दिन तो अनिवार्य रूप से आ ही जाते हैं। इसके बाद करवा चौथ, संतान सातें, भाई दूज, नवरात्र और भी न जाने कितने ही त्योहार आते हैं जिनमें उपवास किया जाता है।

इन सब उपवासों का जिम्मा लेती हैं घर की महिलाएं क्योंकि वे घर की मालकिन हैं। घर के सभी सदस्यों का सुख व भला चाहती है जिसके लिए वे उपवास रखकर भगवान से प्रार्थना करती हैं किंतु अधिक से अधिक उन्नति, अधिक से अधिक सुख और अधिक से अधिक पुण्य कमाने के लालच में जब वे अपने स्वास्थ्य की अवहेलना करते हुए उपवास पर उपवास करती जाती हैं तो किसका भला हो पाता है।

जरा कल्पना कीजिए हफ्ते में चार पांच दिन बिना खाना खाए, बिना पानी के रहना पड़े और साथ ही साथ घर का सारा काम भी देखना पड़े तो घर की मालकिन के स्वास्थ्य का क्या होगा? ऐसे में यह कतई नहीं कहा जा सकता कि गृहलक्ष्मी के द्वारा किया गया उपवास परिवार वालों के हित के लिए है।

जाहिर है इस तरह के लगातार के उपवासों से महिलाएं कुपोषण का शिकार भी होंगी जिससे शरीर कमजोर होगा और वे स्वयं दूसरों को सहारा देने के बजाय उन पर आश्रित होती जाएंगी जो निश्चित रूप से किसी भी परिवार के लिए फायदे की बात नहीं होगी क्योंकि आमतौर पर यह कहा जाता है कि यदि घर की मालकिन चुस्त दुरूस्त है तो पूरा परिवार चुस्त व दुरूस्त रहता है।

मैं यह नहीं कहता कि उपवास न करें क्योंकि उपवास का धार्मिक महत्व के अलावा शारीरिक महत्त्व भी है। इससे चित्त शांत होता है और पेट की कई बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा इससे आत्मा का शुद्धिकरण भी होता है और इस दौरान किए गए हवन यज्ञ आदि से पूरा घर आनंदमय हो जाता है, इसलिए उपवास अवश्य करें किन्तु अपने सामर्थ्य एवं शारीरिक क्षमताओं को ध्यान में रखकर करें।

उपवास के दौरान अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल करें क्योंकि यदि आपका स्वास्थ्य सही सलामत है तो आगे और भी कितने ही उपवास किए जा सकते हैं। इसलिए उपवास के दौरान अधिक से अधिक पोषक तत्वों से भरपूर विटामिन युक्त फलाहार को प्राथमिकता दें जैसे सेब, केला, पपीता, अनार इत्यादि।

-मौसमी फलों का जूस लें, ताजगी आएगी व थकान दूर होगी।
-उपवास के दौरान आमतौर पर भूखे पेट रहने के कारण नींद नहीं आती है जो मानसिक तनाव का एक कारण बनता है, इसलिए उपवास के दौरान भरपूर नींद लेने की कोशिश करें।
-उपवास के दौरान सिरदर्द हो तो चाय का सेवन न करें। तरबूज के गूदे का रस मिश्री में मिलाकर पिएं। सिरदर्द का असर कम होता है।
-यदि उपवास के दौरान एसिडिटी बढ़े तो पानी में नींबू निचोडकर पिएं या भुने आलू खाने का प्रावधान हो तो खाएं।
-पर्याप्त मात्रा में दूध व जूस का सेवन करें।

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