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जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरगर: देश को वर्ष 2025 तक क्षय मुक्त बनाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में अभियान को गति देते हुए अब जिले में 15 मई से 21 तक विशेष अभियान चलाकर घर-घर टीबी रोगी खोजे जाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार की अध्यक्षता में जनपद के समस्त सीएचओ, बीसीपीएम, टीबी स्टाफ एवं एमओआईसी को वर्चुअल बैठक के माध्यम से सफल प्रशिक्षण देकर उनको 21 दिवसों के कार्यक्रम के बारे में जिला क्षय रोग अधिकारी डा0 लोकेश चन्द्र गुप्ता द्वारा पूर्ण प्रशिक्षण दिया गया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. लोकेश चंद गुप्ता ने बताया- इस संबंध में शासन की ओर से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके लिए जनपद की सम्पूर्ण जनसंख्या के मध्य टीबी रोगी खोजने के लिए घर-घर अभियान चलाया जाएगा, जिसमें हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 15 मई से 21 कार्य दिवसों तक विशेष अभियान चलाकर टीबी मरीज खोजे जाएंगे।
वेलनेस सेंटर से दूर और पिछले दो सालों में अधिक टीबी रोगी या कोविड रोगी चिन्हित हुए हैं, वहां भी यह अभियान चलेगा। प्रत्येक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तीन -तीन कैंप हर सप्ताह लगाए जाएंगे। यह अभियान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से चलेगा, जहां पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) द्वारा क्षय रोगियों के चिन्हीकरण, जांच, उपचार, ट्रीटमेंट, निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत डीबीटी, काउंसिलिंग व मनोसामाजिक सहयोग प्रदान करेंगे। अभियान में सीएचओ की मुख्य भूमिका रहेगी। एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर जिले के शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से क्षय रोगियों की खोज की जायेगी।
आशा कार्यकर्ता और एएनएम भी करेगी सहयोग
डीटीओ ने बताया- एएनएम व आशा घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी। यह अभियान उन क्षेत्रों में चलेगा जो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूर हों और जहां पिछले दो सालों में अधिक टीबी रोगी और कोविड रोगी चिन्हित हुए हों। प्रत्येक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर हर सप्ताह तीन-तीन शिविर लगाए जाएंगे। टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनका बलगम एकत्रित करेंगी। इसके बाद सीएचओ समस्त सैम्पल को नजदीकी जांच केंद्र पर भेजेंगे। जांच पॉजिटिव आने पर तत्काल नोटिफिकेशन कर तुरंत मरीजों का उपचार शुरू कर दिया जाएगा, जिससे उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत छह माह या उपचार चलने तक हर माह 500 रुपये मिलते रहें। यह राशि मरीज के बैंक में सीधे ट्रांसफर की जाती है।
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