Monday, July 14, 2025
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एमडी पावर पर सालों से जमे मठाधीश भारी

  • बार-बार मांगे जाने के बाद भी नहीं अपलोड की जा रही हाथ खींचने वालों की सूची
  • जिनके नाम सूची में उनको कंसीडर करने को तैयार नहीं लखनऊ में बैठे मठाधीश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में प्रमोशन के खेल (टीजी-टू से जेई का प्रमोशन) के खेल के पुराने व माहिर खिलाड़ियों के नेक्सस के आगे पावर कारपोरेशन के एमडी भी बेबस नजर आते हैं। जानकारों का कहना है कि प्रमोशन के नाम पर लखनऊ में बैठे कुछ पुराने मठधीशों को जब तक प्रमोशन प्रक्रिया या कहे सीटों से इधर से उधर नहीं किया जाएगा और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं बनाया जाएगा, तब तक पावर में प्रमोशन के नाम पर खेल यूं ही जारी रहेगा।

वहीं, दूसरी ओर जिनके नाम सूची में हैं उनको कंसीडर नहीं किया जा रहा है। राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल महासचिव अभिमन्यु कुमार ने बताया कि जिनके नाम सूची में हैं पहले उनको तो प्रमोशन दे दिया जाए। उन्होंने सवाल किया कि उनके प्रमोशन में क्यों टाल मटोल की जा रही है। जो चाहते नहीं है उनके पीछे पडेÞ हैं और जो चाहते हैं उनको इसलिए कंसीडर नहीं किया जा रहा है

ताकि प्रमोशन के नाम पर खेल यूं ही चलता रहे। यूपी पावर कारपोरेशन में प्रमोशन के खेल के पुराने खिलाड़ियों की कारगुजारियों के चलते बीते दिनों खूब किरकिरी हुई थी। अपने चहेतों को प्रमोशन देने के नाम पर जो खेल चल रहा था, उसका न केवल खुलासा हो गया बल्कि उसको लेकर महकमे की जमकर किरकिरी भी हुई। हैरानी तो इस बात की है कि इतना कुछ होने के बाद भी जो कुछ प्रमोशन सूची तैयार कराने के नाम पर खेल किया गया उसके लिए किसी की जिम्मेदारी तक तय नहीं की गयी।

जनवाणी ने किया था खुलासा

टीजी-टू से जेई का प्रमोशन के नाम पर जो खेल खेला जा रहा था उसका खुलासा करने का काम भी जनवाणी ने किया था। जनवाणी के खुलासे के बाद मेरठ से लेकर लखनऊ तक हडकंप मच गया था। इस खुलासे के बाद मेरठ में एमडी पावार में प्रमोशन लिस्ट में जिन मृतक कर्मियों के नाम जोड़ दिए गए थे उन्हें सूची से बाहर कराया गया। साथ ही सूची को दुरुस्त कर नए सिरे से तैयार कराने की हिदायत दी गयी। जानकारों की मानें तो जनवाणी के खुलासे के बाद काफी कुछ चीजें ठीक तो हुई हैं, लेकिन अभी भी उतना कुछ नहीं हुआ

जिससे कहा जा सके कि टीजी-टू से जेई का प्रमोशन के नाम पर अब खेल पर पूरी तरह से रोक लग गयी है। दरअसल यह सारा खेल अपने चहेतों को प्रमोशन देने के लिए ही खेला जा रहा था। टीजी-टू से जेई का प्रमोशन को लेकर जो लोग भी प्रमोशन के नाम पर अभी भी जो लोग असहमत हैं उनकी जगह अन्य लोगों का नाम मांगे जाने की कोई चर्चा नहीं हैं। जबकि 3 गुने अर्ह लोगों में ही 1 गुने लोगों का चयन होना हैं। अन्यथा पूरी चयन प्रक्रिया ही दोषपूर्ण होगी। जो लोग प्रमोशन चाहते हैं उनके नाम भेजने मे क्यों हीलाहवाली बरती जा रही है।

चीफ का प्रबंध निदेशक को पत्र

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन तृतीय तल शक्ति भवन अशोक मार्ग लखनऊ में बैठने वाले चीफ इंजीनियर सुनील श्रीवास्तव ने विगत 21 सितंबर को प्रबंध निदेशक पीवीवीएनएल मेरठ, मध्यांचल लखनऊ, पूर्वाचल बनारस, दक्षिणांचल आगरा व केसको कानपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को भेजे गए पत्र में कहा है कि टीजी-टू से जेई का प्रमोशन को लेकर विगत 28 जुलाई 2023 को सूचना/अभिलखों को ईआरपी पोर्टल पर अपलोड करने अनुरोध किया गया था। जिसके अनुक्रम में 40 फीसदी कोटे के अधिकांश कर्मियों का वितवरण उपलब्ध/उपलोड नहीं कराया गया।

कुछ कर्मियों की पदोन्नति न लेने की सूचना मात्र प्रेषित की गयी है। चीफ ने इस पत्र में कहा है कि उक्त संबंध में विगत 20 सितंबर को की गयी समीक्षा में एमडी यूपी पावर कारपोरेशन ने निर्देशित किया है कि जिन कर्मियों ने प्रमोशन लेने से इंकार कर दिया है उनको फॉर गो कर सूची प्रेषित की जाए, लेकिन पता चला है कि बार-बार आग्रह किए जाने के बावजूद इसलिए सूची नहीं अपलोड की जा रही ताकि प्रमोशन के नाम पर चहेतों को एडजेस्ट करने का खेल चलता रहे।

31 तक अपलोड की हिदायत

चीफ के उक्त पत्र में हिदायत दी गयी है कि टीजी-टू से जेई का प्रमोशन को लेकर जो लोग भी प्रमोशन के नाम पर अब भी जो लोग असहमत हैं उनकी सूची 31 सितंबर तक हर दशा मे अपलोड की जानी चाहिए ताकि इस संबंध में आगे की कार्रवाई की जा सके, जिसमें फॉर गो की सूची न भेजे जाने की वजह से विलंब हो रहा है। अब यह तो वक्त बताएगा कि चीफ के आदेश का कहां तक और कितनी गंभीरता से अनुपालन किया जाता है।

ये कहना है पश्चिमांचल महासचिव का

राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल महामंत्री अभिमन्यू का कहना है कि अब भी जो लोग असहमत हैं उनकी जगह अन्य लोगों का नाम मांगे जाने की कोई चर्चा नहीं हैं। जबकि 3 गुने अर्ह लोगों में ही 1 गुने लोगों का चयन होना हैं। अन्यथा पूरी चयन प्रक्रिया ही दोषपूर्ण होगी।

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