Saturday, July 27, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutमुनाफे की महक से बढ़ रहा गुलाब की खेती का रकबा

मुनाफे की महक से बढ़ रहा गुलाब की खेती का रकबा

- Advertisement -
  • गुलाब के फूल मंदिरों में चढ़ाने के अलावा माला बनाने व सजावट में आते हैं काम
  • गुलाब की उन्नत खेती कर जिले के किसान कमा रहे अच्छा मनाफा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: तस्वीर जिंदगी की बनाते हैं सब यहां, लेकिन चाहते हैं बनती हैं वैसी कहां। हर आरजू पूरी हो होता ऐसा अगर, फूलों के साथ न होता कांटों का ये सफर। कहावत है कामयाबी का रास्ता काटों से होकर गुजऱता है। जिले के कुछ किसानों के साथ भी यही हुआ। मेरठ में कांटों से होकर निकली मुनाफे की महक ने किसानों को नई राह दिखाई। उन्होंने आलू की फसल में नुकसान से बचने के लिए बतौर प्रयोग गुलाब की खेती शुरुआत की।

करीब दो दशक पहले किए गए इस प्रयोग की महक कुछ इस तरह से फैली की यह साल दर साल इसका रकबा बढ़ता गया। जिले में वर्तमान में कई 100 बीघा में किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं। गुलाब के फूल नकद फसल के रूप में उन्हें मुनाफा दे रहे हैं। जिले में कांटों के साथ मुनाफे की यह कहानी करीब दो दशक पहले शुरू हुई। बता दें कि कृषि विशेषज्ञों ने कुछ किसानों को गुलाब की खेती करने की सलाह दी।

09 10

इस पर एक किसान ने आलू की अगली फसल में बतौर प्रयोग एक बीघा में गुलाब की खेती की। चार महीने में ही गुलाब की फसल तैयार हो गई। गुलाब के यह फूल आलू से पहले हाथों-हाथ नकद बिक गए। पहली फसल में ही मुनाफा होने पर किसान को हौसला मिला। उसने गुलाब की खेती का रकबा बढ़ा दिया। गुलाब के फूलों से मुनाफे की यह महक आसपास के अन्य किसानों तक भी पहुंची। उन्होंने भी गुलाब की खेती अपने यहां शुरू कर दी।

देखते ही देखते गुलाब की खेती की यह महक जिले के अलावा आसपास के इलाकों के किसानों ने भी गुलाब की खेती को अपना लिया। किसानों को अपनी फसल तैयार होने के बाद सीधे बाजार में नकद बेच रहे हैं। इससे उनकी आय का स्रोत बढ़ाया है। गुलाब के यह फूल मंदिरों में चढ़ाने के अलावा माला बनाने और सजावट में काम आते हैं। इसके चलते यह बाजार में तत्काल बिक जाते हैं। जबकि आलू की फसल की खुदाई कराने के बाद उन्हें रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज खोजना पड़ता है।

पौध के बाद कलम भी दे रही मुनाफा

गुलाब का एक पौधा कई फसल देता है। इस पौधे को काटकर कलम बनाकर दूसरी जगह लगा देने पर वह भी चार महीने में फूल देने लगता है। कलम की बिक्री से भी किसान को मुनाफा होता है। वहीं इसकी पंखुडी से गुलाब जल, गुलकंद व आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। इसके चलते किसान इन्हें भी बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते हैं।

ये दो किस्में हैं बेहद लाभकारी

गुलाब की कुछ खास किस्मों में पूसा अरुण मुख्य है। यह आकर्षक गहरे लाल का रंग का होता है। इसकी खेती उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिक होती है। पूसा अरुण के हर पौधे से सर्दियों में 20 से 25 फूल और बसंत के मौसम में 35 से 40 फूलों की पैदावार मिलती है। इस किस्म की एक और विशेषता है कि इसमें चूर्णिलल आसिता रोग नहीं लगता। पूसा शताब्दी किस्म की बात करें तो यह हल्के गुलाबी रंग का होता है। इसकी खेती भी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिक होती है। पूसा शताब्दी के प्रत्येक पौधे से सर्दियों में 20 से 30 तो बसंत में 35 से 40 फूल प्राप्त होते हैं।

गुलाब में लगने वाले रोग और कीट

गुलाब की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर कटाई-छंटाई का काम करते रहें। इससे पौधों में लगने वाले रोग और कीट के हमलों से बचा जा सकता है। इन कार्यों को करने के बाद भी कुछ रोग लग जाते हैं, जिसमें पौधा ऊपर से नीचे की तरफ सूखने लगता है। इसे उल्टा सूखा रोग कहते हैं। ज्यादा नमी की वजह से काला धब्बा रोग भी लग जाता है। इसमें पत्ते पर धब्बे बनते हैं और अगर रोकथाम न की जाए तो पूरी पत्ती नष्ट हो जाती है। गुलाब पर थ्रिप्स और माइट कीट भी हमला करते हैं। इन रोग और कीटों के हमले से बचने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे कृषि विशेषज्ञों से बातकर जैविक दवाओं का ही छिड़काव करें।

कम लागत में कई गुना मुनाफा

जिले के किसान अब गुलाब की खेती को प्राथमिकता देने लगे हैं। गुलाब की खेती की सबसे खास बात यह है कि इसे गमलों में, छतों के ऊपर, इनडोर, खुले मैदान, ग्रीन हाउस और पॉली हाउस में भी लगाया जा सकता है। वहीं कम लागत व ज्यादा मुनाफे की वजह से आजकल किसानो के बीच गुलाब की खेती का चलन बढ़ा हैं। ऐसे में काफी संख्या में किसान गुलाब के फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।

बता दें गुलाब के फूल और तेल की बाजार में भारी मांग बनी रहती है। ऐसे में किसान इस फूल की खेती से लागत से कई गुना से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। गुलाब के फूल के लिए 15 से 18 डिग्री तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। साथ ही उस पौधे की खेती के लिए रेतीली मिट्टी सबसे जरूरी मानी जाती है। गुलाब के फूल के लिए अधिकतर किसान वैसे ते कलम विधि अपनाते हैं, लेकिन अब बीजों के माध्यम से भी गुलाब के फूलों की खेती होने लगी हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments