- प्रतिदिन 800 टन कचरा उगलता है शहर
- 60 टन कचरा रोज पैदा हो जाता है अकेले कैंट क्षेत्र में
- कचरे का नहीं कोई समाधान, शहर में 100 से ज्यादा डंपिंग ग्राउंड
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर प्रतिदिन करीब 800 टन कचरा उगलता है। अकेला कैंट का छोटा-सा इलाका 60 टन कचरा उगलता है। इसमें देहात इलाके का कूड़ा कचरा शामिल नहीं है। महानगर यानि नगर निगम क्षेत्र व कैंट क्षेत्र में जो इलाके आते हैं यह आंकड़ा केवल वहां का है। इससे भी दूसरी व डराने वाली खबर यह है कि कूड़ा निस्तारा के नाम पर काम करने वाली मेरठ की तमाम सरकारी एजेंसियां
और महकमे भले ही कूड़ा निस्तरण को लेकर कितना ही दावा करें। सरकारी खजाने का पैसा पानी की मानिंद बहाए, उनके दावों में कितनी सच्चाई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांवड़ी व लोहिया नगर के डंपिंग ग्राउंड बजाय घटना के तेजी से भीमकाय आकार ले रहे हैं। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया हालात बद से बदतर होने तय हैं।
निस्तारण पर नहीं गंभीर
महानगर के शहर और कैंट के इलाके से निकले वाले कचरे के निस्तारण को लेकर इसके लिए जिम्मेदार अफसर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दोनों डंपिंग ग्राउंडों की क्षमता खत्म होने के बाद पूरे महानगर में करीब 100 से ज्यादा अवैध डंपिंग ग्राउंड बना दिए गए हैं। हो यह रहा है कि महानगर में जहां-जहां भी सरकारी की जगह लावारिस अवस्था में पड़ी है,
वहां पर लोगों ने डंपिंग ग्राउंड बना दिए हैं। अधिकृत डलावघरों के अलावा ये सौ से ज्यादा डंपिंग ग्राउंड आने वाले दिनों में छोटे-मोटे कचरे के पहाड़ में यदि तब्दील हो जाएं तो हैरान होने की कोई जरूरत नहीं। इस क्षेत्र में करीब पांच साल से काम कर रहे संस्था ग्राइंग प्यूपिल भी इसको लेकर आशंका जता रही है।
हर माह 12 लाख का खर्च हासिल कुछ भी नहीं
कूड़ा निस्तारण के नाम पर यूं कहने को लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड पर करीब 75 लाख की बड़ी रकम खर्च कर कई साल पहले कूड़ा निस्तारण मशीन लगायी गयी थी। इस मशीन को लगाने के आयोजन के नाम पर बड़ी रकम भी खर्च की गयी थी, लेकिन कूड़ा निस्तारण के नाम पर लगायी गयी यह मशीन केवल सफेद हाथी साबित हो रही है। इससे काम लेने के बजाय सरकारी खजाने से इसके रखरखाव के नाम पर हर माह करीब 12 लाख का खर्च हो रहा है।
नगर निगम वार्ड-63 के भाजपा पार्षद अनुज जिंदल ने स्पष्ट किया कि नगर निगम प्रशासन जिस मशीन को कूड़ा निस्तारण मशीन बताता नहीं थकता। दरअसल, वह मशीन कूड़ा निस्तारण के लिए है ही नहीं बल्कि उस मशीन से कूड़ा छाटने का काम किया जाता है। उसको स्परेशन मशीन कहते हैं। गांवड़ी प्लाट पर जो ठेकेदार काम कर रहा है, उसको अफसरों ने लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड पर मशीन का ठेका करीब 75 लाख में दिया। ठेकेदार से यह भी तय किया गया था कि यह मशीन 22 घंटे प्रतिदिन का काम करेगी।
तय यह भी हुआ था कि इसके लिए तमाम संसाधन ठेकेदार अपनी ओर से जुटाएगा, लेकिन बताया जा रहा है कि ठेकेदार निगम के ही तमाम संसाधन प्रयोग कर रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि कई दिन से यह मशीन भी बंद पड़ी है। कुछ दिन पहले भाजपाइयों का एक दल लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड पहुंचा था। मशीन को बंद देखकर जब कारण पूछा तो बताया गया कि रखरखाव कर रही है।
लोहिया नगर के कूड़े के पहाड़ के नजदीक कूड़े के ढेर में लगी भीषण आग
हापुड रोड लोहिया नगर स्थित कूडे निस्तारण प्लांट के बाहर पडे कूडे के ढेर में गुरुवार को अचानक आग लग गई। आग लगने की सूचना पर नगर निगम कर्मचारी मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाने का प्रयास किया। इस दौरान एक किशोर भी आग बुझाने में जुटा था,इस दौरान कुछ लोगों ने बच्चे के द्वारा आग बुझाने को लेकर वीडियो बना ली और कुछ मोबाइल पर भी वायल कर दी। कुछ लोगों का आरोप है कि आग बुझाने के दौरान निगम कर्मचारी के साथ एक बच्चा दिखाई दे रहा है,वह उसका या अन्य कोई और,लेकिन आग बुझाने जैसी घटना के दौरान बच्चों को दूर रखने की बात कही। उधर घंटो की मश्कत्त के बाद आग पर काबू पा लिया गया।
- निस्तारण को नहीं गंभीर
कूड़ा निस्तारण को लेकर निगम प्रशासन गंभीर नहीं है। कई बार अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाया गया है, लेकिन जो गंभीरता बरती जानी चाहिए वो नजर नहीं आ रहा है। बोर्ड बैठक में इसको लेकर पुरजोर तरीके से आवाज उठाएंगे।-अनुज वशिष्ठ, पार्षद निगम, मेरठ
- डंपिंग ग्राउंड बन जाएगा शहर
पूरे महानगर में सरकारी जमीनों पर आसपास के लोग डंपिंग ग्राउंड बना रहे हैं। घरों से निकलने वाला कूड़ा ऐसे डंपिंग ग्राउंडों पर फेंका जा रहा है। महानगर में ऐसे करीब 100 से ज्यादा स्थान हैं जहां पर जिन्हें डंपिंग ग्राउंड कहा जा कसता है।-अदिति, गोइंड प्यूपिल
- घट रहा है कूड़े का पहाड़
लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड पर लगायी मशीन नियमित रूप से काम कर रही है। कूड़ा निस्तारण व कूड़े की छटाई का अलग-अलग काम किया जा रहा है। कूड़े का पहाड़ पहले से काफी कम हुआ है। -डा. हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम, मेरठ