Saturday, July 27, 2024
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भूमिगत स्टेशन के ऊपरी छत का निर्माण कार्य शुरू

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  • भैंसाली के 32 मीटर चौड़े स्टेशन का कार्य अगले चरण में पहुंचा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनसीआरटीसी द्वारा मेरठ में भैंसाली के भूमिगत स्टेशन के ऊपरी छत का निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इसके अंतर्गत लगभग 22 मीटर लम्बे व 33 मीटर चौड़े छत के विशाल स्लैब की कास्टिंग की जा रही है। ऊपरी छत के स्लैब की कास्टिंग के लिए लगभग दो मीटर की मोटाई के रिइंफोर्स्मेंट केज (लोहे के जाल) को स्टेशन के डी वाल के सहारे स्थापित कर उसकी कंक्रीटिंग की जा रही है। भैंसाली के भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए 128 डी वाल पैनलों को भूमिगत डाल कर पूरे स्टेशन केडी वाल का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। ऊपरी छत के निर्माण कार्य के पूरा होने के बाद लगभग 257 मीटर लम्बे और 32 मीटर चौड़े भूमिगत स्टेशन का कार्य अगले चरण में पहुंच जाएगा।

भैंसाली स्टेशन देश के प्रथम 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर मेरठ मे लोकल मेरठ मेट्रो की के स्थानीय सेवाएं देगा। वैशाली के भूमिगत स्टेशन के निर्माण कार्य के लिए टॉप डाउन तकनीक प्रणाली अपनायी जा रही है। इसके अनुसार ऊपरी छत के निर्माण कार्य के बाद नीचे की मिट्टी आदि निकाल कर स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल का निर्माण किया जाएगा और उसके लिए भी छत बनाई जाएगी। कॉनकोर्स लेवल वो लेवेल होता है जहां यात्रियों के लिए सुरक्षा जांच किओस्क और टिकट काउंटर के अलावा प्लेटफार्म लेवल पर जाने के लिए एएफसी (आॅटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट आदि होते हैं।

साथ ही अन्य यात्री केंद्रित सुविधाएं जैसे आधुनिक सूचना डिस्प्ले बोर्ड (आॅडियो-वीडियो सहित), स्टेशन के आसपास के प्रमुख स्थान दर्शाने वाले सिस्टम मैप, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशामक प्रणाली और वॉशरूम आदि जैसी सुविधाएँ शामिल होती है। इसी लेवेल से यात्री सीढ़ियो, लिफ्ट या एस्कलेटर की मदद से प्लैटफार्म लेवेल पर जाकर अपने गंतव्य स्थान के लिए ट्रेन ले सकते हैं। भैंसाली स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल के तल या फ्लोर का निर्माण पूर्ण होने के बाद और गहराई में मिटटी की खोदाई करके प्लेटफार्म लेवल के तल का निर्माण किया जाएगा।

इस प्रकार एक भूमिगत स्टेशन के निर्माण में पहले स्टेशन की ऊपरी छत, फिर कॉनकोर्स लेवल और फिर अंत में प्लेटफार्म लेवल का निर्माण किया जाएगा। स्टेशन निर्माण की पूरी प्रक्रिया लगभग 25 मीटर की गहराई में की जायेगी। विदित है की एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर के इनफ्रास्ट्रक्चर पर ही मेरठ में मेरठ मेट्रो की लोकल ट्रांसिट सेवा प्रदान करने जा रहा है, भैंसाली स्टेशन का निर्माण इसी कार्ययोजना का अंग है जिससे स्थानीय निवसियों को मेरठ मेट्रो की लोकल सेवा के साथ साथ सम्पूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे आरआरटीएस कॉरिडोर द्वारा कहीं भी आने जाने की सुविधा मिलेगी।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन है जिसमे से 13 स्टेशन मेरठ में स्थित है जिनके द्वारा मेरठ में लोकल मेट्रो की ट्रांसिट सेवा स्थानीय निवासियों को मिल सकेगी। मेरठ साउथ स्टेशन से लोकल मेट्रो की सेवा प्रारम्भ होगी और परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के एलिवेटेड भाग से आगे भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल में भूमिगत हो जाएगी। आगे यह पुन: एलिवेटेड होकर एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ व मोदीपुरम होते हुए मोदीपुरम डिपो तक जाएगी, जहां मोदीपुरम डिपो में ट्रेनों के रखरखाव का प्रबंध किया जाना है।

एनसीआरटीसी भारत की प्रथम रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का कार्यान्वन कर रहा है जो एक रेल-आधारित, हाई-स्पीड, हाई-फ्रीक्वेंसी रीजनल कम्यूटर ट्रांजिट सिस्टम है। इसकी डिजाइन गति 180 किमी प्रति घंटे और औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित, आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है। हाल ही में 82 किमी आरआरटीएस कॉरिडोर पर 20 वां लॉन्चिंग गैन्ट्री स्थापित की जा चुकी है, एलिवेटेड सेक्शन के 1200 से अधिक पिलर बनाए लिए गए हैं, लगभग 56 किमी का फॉउंडेशन और लगभग 16 किमी का वायाडक्ट पूरा हो चुका है। भूमिगत हिस्से में टनल बोरिंग मशीन (सुदर्शन) द्वारा आरआरटीएस टनल के निर्माण के लिए लॉन्चिंग शाफ्ट का निर्माण किया जा रहा है।

साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक और 2025 तक पूर्ण कॉरिडोर को शुरू करने का लक्ष्य है। एनसीआरटीसी द्वारा सभी निर्माण गतिविधियां कोविड-19 एसओपी के अनुपालन में उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ व कोविड के उचित व्यवहार का पालन करते हुए की जा रही हैं।

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