- अबू सईद पट्टी लियाकत अली खान के पिता रुस्तम अली खां की थी मिल्कियत
मिर्जा गुलजार बेग |
मुजफ्फरनगर: डीएम की जांच के बाद हुए खुलासे में जिस एसडी कॉलेज मार्केट समेत बेशकीमती व्यवसायिक मार्केटों में बनी दुकानों के स्वामियों की मालिकाना हक को लेकर नींदें उड़ गई हैं, दरअसल यह सभी मार्केट करनाल के नवाब रुस्तम अली खां की मिल्कियत रही अबू सईद पट्टी पर बनी हुई है। लियाकत अली खां के पाकिस्तान चले जाने के बाद इस सम्पत्ति पर नगर पालिका का मालिकाना हक बन गया था।
एसडी कॉलेज मार्केट समेत कर्इं जिले की सबसे बेशकीमती जिस जमीन पर नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोगों ने अफसरों के साथ साठगांठ का खेल रचकर बहुमंजिला इमारत बना दी गयी, वह भूमि दरअसल किसी जमाने में यहां सत्ता चलाने वाले नवाबजादों के परिवारों की जायदाद रही है। नवाबों की इस पुश्तैनी जायदाद के नजूल भूमि के रूप में चले जाने पर मालिकाना हक नगरपालिका परिषद् का हो गया था। किसी जमाने में नवाबों की इस जायदाद पर अब बड़ी तकरार हो रही है।
पालिका के ईओ हेमराज सिंह के द्वारा जो नोटिस दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों को 27 दिसम्बर को दिया गया है, उसमें किये गये उल्लेख के अनुसार यह भूमि दो खसरा नम्बरों के तहत नजूल की भूमि के रूप में पालिका प्रशासन के मालिकाना हक में आई थी। ईओ के अनुसार इसमें महाल गैर दाईयान पट्टी खेवट नम्बर 24 व मिलकियत सरकार अमिलकियत हुकूमत सुबजेजात खसरा नम्बर 819 के अन्तर्गत कुल क्षेत्रफल 0.440 हेक्टेयर भूमि अबू सईद और महाल खेवट नम्बर 11 सरकार दौलतमदार खसरा नम्बर 820एम के अन्तर्गत क्षेत्रफल 0.1330 हेक्टेयर भूमि रूस्तम अली खान की जायदाद रही है।
कौन थे रुस्तम अली खां
रुस्तम अली खां करनाल के नवाब रहे हैं और मुजफ्फरनगर उनका जागिरदारा होता था। रुस्तम अली खां व उनके भाई उमरदराज अली खां की मुजफ्फरनगर में बेशकीमती सम्पत्तियां थी। रुस्तम अली खां के पुत्र लियाकत अली खां आजादी से पहले मुजफ्फरनगर विधान परिषद से सदस्य चुने गये थे। लियाकत अली खां पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना के नजदीकी थे। लियाकत अली खां ने मुजफ्फरनगर में अपना आशियाना भी बनाया हुआ था, जिसे कहकशा के नाम से जाना जाता था।
वर्तमान में भी यह आशियाना मुजफ्फरनगर में मेरठ रोड पर स्थित है, जिसमें आज एक पब्लिक स्कूल संचालित होता है। आजादी के बाद पाकिस्तान के विभाजन के समय लियाकत अली खां पाकिस्तान चले गये थे। मोहम्मद अली जिन्ना के नजदीकी होने के चलते उन्हें पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था। रुस्तम अली खां के बाद उनकी सम्पत्ति के वारिस लियाकत अली खां थे और वह पाकिस्तान चले गये थे, तो उनकी सम्पत्ति शत्रु सम्पत्ति घोषित हो गई थी और सरकार के कब्जे में आ गई थी। जिस सम्पत्ति पर एसडी कॉलेज मार्केट बनी हुई है, यह सम्पत्ति भी कभी उन्हीं की मिल्कियत हुआ करती थी, जिस पर बाद में नगर पालिका का मालिकाना हक हो गया था।
किरायेदारी के नियमों में की गई अनदेखी
नगर पालिका ने यह सम्पत्ति दी एसडी एसोसिएशन को 71 रुपये वार्षिक शुल्क पर शिक्षा के लिए 40 साल के लिए लीज पर दी थी। इस सम्पत्ति पर साठगांठ का खेल चला तो सभी नियमों की अनदेखी कर कर्इं मंजिला व्यवसायिक इमारत का निर्माण हो गया। बात निर्माण तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इस पर करोड़ों का खेल खेला गया। इन दुकानों को अवैध रूप से किराये पर दिया गया और पगड़ी के रूप में लाखों व करोड़ों रुपये की वसूली भी की गई।
इसके साथ ही एक दुकानदार से दूसरे दुकानदार के नाम किरायेदारी स्थानांतरित करने के नाम भी एसोसिएशन द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है। ऐसे में सवाल खड़ा यह हो रहा है कि जिस मिल्कियत का दी एसडी एसोसिएशन मालिक ही नहीं है, तो वह उसे किरायेदारी पर कैसे दे सकता है और किरायेदारी स्थानांतरित करने के नाम पर इतनी मोटी रकम कैसे वसूली गई।