Wednesday, July 3, 2024
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गेहूं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ी

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  • सरकार को किसानों ने सरकारी दरों पर नहीं दिया गेहंू, महंगाई बढ़ने की संभावना
  • गरीबों को गेहूं बांटने में सरकार को होगी दिक्कत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार को इस बार किसानों ने सरकारी दरों पर गेहूं नहीं दिया। इसी वजह से सरकार को गेहूं गरीबों को बांटने में दिक्कत हो सकती हैं। पश्चिमी यूपी पर ही फोकस करें तो जो सरकार ने क्रय केन्द्र गेहूं खरीद के लिए खोले थे, उन पर गेहूं नहीं आया। लक्ष्य पूरा करना तो दूर लक्ष्य का एक तिहाई भी गेहूं किसानों ने इस बार सरकार को नहीं दिया।

एक तो गेहूं की कम बुवाई भी एक वजह बतायी जा रही है, फिर सरकार से कहीं ज्यादा मूल्य पर गेहूं की खरीद प्राइवेट व्यापारी खरीद कर रहे थे। इसी वजह से किसानों ने गेहूं व्यापारियों को अच्छे दाम में बेच दिया। इसका सीधा नुकसान सरकार को हुआ। क्योंकि गेहूं राशन की दुकानों में गरीबों को बांटा जा रहा था, वहां भी झटका लगा है। सूत्रों का दावा है कि आपूर्ति विभाग गेहूं की जगह अब चावल गरीबों को बांटेगा।

इसकी वजह गेहूं का स्टॉक सरकार के गोदामों में कम होना बताया जा रहा हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बाद भी गेहूं के मूल्य में 40 फीसदी तक वृद्धि हुई हैं, जो सरकार को बड़ा झटका लगा हैं। इसी वजह से मार्केट में गेहूं के दाम अंतर्राष्टÑीय बाजार में बढ़ते जा रहे हैं। महंगाई को रोकने के लिए भी सरकार ने यह कदम उठाया हैं। ऐसा विशेषज्ञ बता रहे हैं।

बोले-किसान गेहूं निर्यात पर रोक से जमाखोरों को नुकसान

किठौर: रोटी कपड़ा और मकान मानव की मूलभूत आवश्यकताएं हैं। इनमें सबसे अहम् है रोटी न मिले तो आदमी सबकुछ व्यर्थ लगता है। इंसान सर्वाधिक दौड़धूप इसके ही लिए करता है। मंहगाई के दृष्टिगत केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है। सरकार का यह फैसला भविष्य में क्या स्थिति पैदा करेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। आईए फिलहाल जानते है सरकार के फैसले पर किसानों की राय…

किठौर निवासी मोहम्मद वसी का कहना है कि सरकार जुमलेबाज है। इसलिए गेहूं निर्यात पर रोक की बात गले नही उतर रही है। यदि वास्तव में सरकार गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा देती है तो यह जनहित में है। इससे गरीब, मजदूरों को सस्ता व भरपेट भोजन उपलब्ध हो सकेगा। हालांकि जमाखोर व्यापारियों को नुकसान होना लाजिम है मगर किसान को कोई हानि नही। क्योंकि फसल उठाने के बाद किसान तो अपनी जरूरत के मुताबिक गेहूं बेच चुका है।

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असीलपुर कोठरा निवासी अजब सिंह का कहना है कि वेस्ट यूपी गन्ना बेल्ट में शुमार है। यहां गन्ना उत्पादन अधिक होता है। गेहूं की पैदावार भी अच्छी है मगर इसबार गेहूं की फसल ही कम थी। अगर इसका भी निर्यात हो जाता तो गरीब, मजदूरों, बेसहारा लोगों का क्या होता? सरकार का फैसला सही है। सरकार के इस फैसले से उन गेहूं व्यापारियों को हानि होगी जो मंहगाई के लालच में गोदाम भरे बैठे हैं।

गेसूपुर जुनूबी निवासी प्रधान संजीव उर्फ राहुल प्रधान का कहना है कि केंद्र सरकार का गेहूं निर्यात पर पाबंदी का फैसला किसान हित में नहीं। कहा कि एक तरफ सरकार गेहूं की महंगाई का हवाला दे रही है। वहीं, दूसरी ओर राशनकार्डों पर मुफ्त राशन लुटाया जा रहा है। मुफ्त राशन की वजह से मजदूर नही मिल पाए। जिससे गेहूं की पकी फसल महीनों बाद कटी काफी गेहूं खेत में गिर गई। इससे उत्पादन प्रभावित हुआ। वह अच्छे दामों में न बिके तो निर्यात पर पाबंदी लगा दी। अब व्यापारी भी औने-पौने दामों में गेहंू खरीदेंगे। नुकसान में जाएगा किसान।

फिरोजपुर खादर निवासी किसान गज्जन सिंह का कहना है कि इस बार गेहूं उत्पादन कम हुआ है। इसलिए सरकारी मंडियों में गेहूं नही पहुंच पाया। सरकार मुगालते में है कि किसान ने गेहूं स्टोक कर लिया। जबकि किसान के पास सिर्फ उसके सालभर के खर्च का गेहूं बचा है। शेष गेहूं अधिकतर किसान व्यपारियों को बेच चुका। यदि निर्यात बंद हुआ तो व्यापारियों को नुकसान पहुंचेगा।

गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध से किसानों को नहीं कोई लाभ

सरधना: महंगाई कम करने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले पर किसानों ने मायूसी जताई है। किसानों का कहना है कि इस फैसले से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है। महंगाई कम करने के नाम पर सरकार किसानों को तेल निकालने में लगी हुई है। शनिवार को किसानों ने दैनिक जनवाणी के साथ बेबाक अपने विचार साझा किए।

नंगला आर्डर गांव के किसान अजय उर्फ पिंटू त्यागी का कहना है कि सरकार के इस फैसले से किसान को कोई लाभ नहीं होने वाला है। किसान की जगह आम आदमी को इसका लाभ जरूर मिल सकता है। मगर इस तरह के निर्णय किसान का कोई लाभ नहीं। यदि सरकार किसान का भला करना चाहती है तो गेहूं समेत अन्य फसलों के वाजिब दाम दिलाए।

वायुसेना के वायुसेना से रिटायर्ड सार्जेंट व किसान ननवा अली का कहना है कि सरकार के इस फैसले से आम जनता को महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी। मगर किसान को इसका कोई फायदा नहीं मिलने वाला। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग बढ़ी है। जिससे भारत से गेहूं का अधिक निर्यात हो रहा है। आम जनता को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार का फैसला सही है। मगर किसान को कोई लाभ नहीं।

झिटकरी गांव के किसान अशोक सिरोही का कहना है कि सरकार का दावा है कि हमारे पास इतना गेहूं है कि पूरी दुनिया को खिला देंगे। ऐसे में गेहूं निर्यात पर रोक लगाने की बात समझ से परे है। महंगाई कम करने के लिए सरकार अपने स्तर से प्रयास करे। इससे किसान का कोई फायदा नहीं पहुंचेगा। परेशान किसान ने इस तरह के फैसलों से ही इस बार गेहूं की बुआई कम की है। सरकार को चाहिए कि महंगाई कम करने के लिए और किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए मजबूत नीति बनाए।

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी का कहना है कि यह सरकार किसान विरोधी सरकार है। यह फैसला भी किसानों के विरोध में ही है। इससे किसान को फायदा होने के बजाय नुकसान पहुंचेगा। आम जनता को थोड़ा बहुत राहत मिल सकती है। महंगाई कम करने के नाम पर सरकार अपनी मनमानी चला रही है। सरकार किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए फसलों के वाजिब दाम दिलाए।

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