- खेतों की प्यास बुझाने के लिए किसान और सिंचाई विभाग के अधिकारी कर रहे हैं मानसून का इंतजार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: टिहरी बांध से चार हजार क्यूसेक पानी की आपूर्ति बंद किए जाने के कारण रजवाहों के माध्यम से पर्याप्त जल नहीं दिया जा पा रहा है। जिससे किसानों के समक्ष खेतों की सिंचाई का संकट उत्पन्न हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि अभी मानसून तक जलापूर्ति का संकट बना रह सकता है। गौरतलब है कि टिहरी बांध से मेरठ खंड के लिए गंगनहर में तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। जबकि शेष पानी अलकनंदा और भागीरथी नदियों से मिलता है। पहले टिहरी बांध में नए प्लांट लगाने के लिए मई माह में ही जलापूर्ति बंद करने की घोषणा की गई थी।
लेकिन अधिकारियों के बीच वार्ता के बाद यह निर्णय 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच टिहरी बांध से 500 क्यूसेक अधिक यानि 3500 क्यूसेक पानी छोड़कर फसलों की सिंचाई की व्यवस्था दी गई। लेकिन समयावधि पूर्ण होने के साथ ही टिहरी बांध से करीब चार हजार क्यूसेक जलापूर्ति एक साथ बंद कर दी गई है। जिसके बाद से रजवाहों में पानी छोड़ने के लिए रोस्टर बनाकर आपूर्ति करनी पड़ रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार मेरठ खंड के लिए 13 हजार क्यूसेक पानी की जरूरत होती है।
जिसमें से 700 क्यूसेक एबी, 500 क्यूसेक देवबंद, 500 क्यूसेक देवबंद समानांतर, 1500 क्यूसेक अनूपशहर, 5000 क्यूसेक आगरा-मथुरा मंडल, 1200 क्यूसेक मेरठ-दिल्ली और 1000 क्यूसेक पानी मुजफ्फरनगर को दिया जाता है। वर्तमान में 13 हजार क्यूसेक के स्थान पर सात हजार क्यूसेक पानी की आपूर्ति रह जाने के कारण संबंधित सभी 72 रजवाहों को बराबर पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
जिसके कारण किसानों के सामने एक बार फिर गंभीर जल संकट के हालात बन गए हैं। अधिशासी अभियंता एनके लाम्बा का कहना है कि पानी की जितनी उपलब्धता है, उसी के अनुसार रोस्टर बनाकर 72 रजवाहों में बारी-बारी से पानी की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि भीषण गर्मी के दौरान मानसून आने तक किसानों को पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है।