Monday, May 13, 2024
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बहुत रूप हैं रामायण के

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एपी भारती |

माना जाता है कि रामचरित मानस की रचना के बाद ही राम को वृहत्तर स्तर पर जाना गया है और रामलीला का मंचन शुरू हुआ। रामकथा का पहला ग्रंथ वाल्मीकि रामायण है। कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने या तो अयोध्या से लंका तक और राम के जल समाधि लेने तक सब कुछ अपनी आंख से देखा था या प्रत्यक्षदर्शियों से सुनकर शब्दबद्ध किया था। यह रामायण दुरूह होने के कारण भी जन-जन तक नहीं पहुंची। रामायण एक लोकप्रिय ग्रंथ है। विश्व में कम से कम 500 रामायण प्रकाशित हैं। रामायण भारत की ही धार्मिक किताब नहीं है। विदेशों में भी मौलिक रामायणें लिखी गई हैं और कई मुख्य भारतीय रामायणों के अनुवाद भी प्रकाशित किए गए हैं। सन 1807 में थाइलैंड में रामकथा प्रकाशित की गई जिसे वहां रामकिशन (रामकीर्ति) कहा जाता है।

थाइलैंड मुख्यरूप से बौद्धमतावलंबियों का देश है पर वे राम को बड़ी श्रद्धा-आदर-सत्कार देते हैं। राजपरिवार तो स्वयं को राम कुल का मानते हैं, तभी राजपरिवार के सदस्यों के नाम ह्णरामह्य नामयुक्त होते है जैसे राजा खुन-राम-खंहेड़, भूमिबल अतुलतेज राम। यहां के लोग यह भी मानते हैं कि रामायण का घटना स्थल दक्षिण भारत न होकर थाइलैंड था। थाइलैंड के पड़ोसी देश कंबोडिया की रामायण को रामकेर (रामकथा) नाम दिया गया। वहां हिंदू धर्म का काफी प्रभाव है।

जावा में भी रामकथा प्रसिद्ध है। वहां हिंदू मंदिर व पूजा पद्धति हैं। भयंकर अमेरिकी दमन सह चुके और पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित इस देश में आज भी राम की पूजा करने वाले लोग हैं। पेरू का राजपरिवार भी स्वयं को रामवंशी मानता है।

सुमात्र और बाली द्वीपों में भी रामायण का प्रभाव है। बर्मा में सन 1800 के आसपास ‘रामयागन’ नामक एक रामकथा ग्रंथ प्रकाशित किया गया। बर्मा में बहुतों के नाम में ‘राम’ नाम का प्रयोग हुआ है। लिऊ तऊत्व, त्वं पाओ, लंका सिहा नामक रामकथा ग्रंथ चीनी में, पूर्वी तुर्किस्तान, मंगोलिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका, मलेशिया, जापान आदि में रामकथाएं लिखी गई हैं। अंग्रेजी में वाल्मीकि रामायण का अनुवाद सन 1883 में फ्रेडरिच सॉलोमन ने किया। 1871 में रामचरित मानस का अनुवाद एफ एस ग्राउन पहले ही कर चुके थे। डेनिविली ने फ्रेंच में रामकथा लिखी थी।

इतावली छात्र लुहजीपियों टेस्सीटोरी ने रामकथा पर शोध करके पीएचडी की थी। रामकथा को बाल साहित्य के रूप में भी प्रकाशित किया गया। यूं तो रामकथा पर बच्चों के लिए कहानियों, कविताएं व चित्रकथाओं की रचना काफी हुई हैं मगर लगभग पूरी रामकथा को बाल-साहित्य के रूप में अमेरिकी लेखक मीलो क्लीवलैंड ने प्रकाशित कराया-‘एडवेंचर आॅफ राम’ नाम से।


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